“चेतन” नितिन खरे।
मुझसे नफ़रत करने वालो,
मेरे पंख कतरने वालो,
मेरे स्वाभिमान के ऊपर,
पल पल चोटें करने वालो,
जब मैं दूर चला जाऊंगा; आंखे सब लोग भिगोओगे,
खारे जल का ज्वार उठेगा; सबसे ज्यादा तुम रोओगे,
सबसे ज्यादा तुम रोओगे,
मुंह में मीठा कहने वालो,
पीछे उल्टे बहने वालो,
अपनेपन का गला घोंटते,
आस्तीनों में रहने वालो,
मेरे नेह को न समझे तो; कहां चैन से फिर सोओगे,
जब मैं दूर चला जाऊंगा; आंखें सब लोग भिगोओगे,
खारे जल का ज्वार उठेगा; सबसे ज्यादा तुम रोओगे,
सबसे ज्यादा तुम रोओगे,
बार बार अजमाने वालो,
रोड़े रोज लगाने वालो,
बिन सोचे बिन मिले बात बिन,
अपनी राय बनाने वालो,
तुम मेरे मन को बांचोंगे; तब शायद मेरे होओगे,
जब मैं दूर चला जाऊंगा; आंखें सब लोग भिगोओगे,
खारे जल का ज्वार उठेगा; सबसे ज्यादा तुम रोओगे,
सबसे ज्यादा तुम रोओगे,
“चेतन” नितिन खरे(कवि एवं लेखक)