*अवधेश सिंह
ओमिक्रोन वस्तुतः ॐ – इक्रोन से बना शब्द है , यदि मुस्लिम लीग चाहे तो इसे दूसरे उस नाम से पुकार सकती है जिसमें इसकी शुरुआत “ॐ” से न होती हो । “नाम” योग के लिए विरोध का कारण बन गया जब योग अभ्यास “सूर्य नमस्कार” में उन्हे “सूर्य” शब्द से दिक्कत हो गयी । यह विदित है कि “नमस्कार” से उनको परहेज नहीं है । कोरोना से बचाव में “सूर्य नमस्कार है बड़ा योग उपचार” इस पर हुई बेहूदी तकरार पर आज की चर्चा और आयोजकों के मन्तव्य पर ताजा मंथन ।
दरअसल जब सतही और सस्ती राजनीति के पास कोई मुद्दा नहीं बचता है तब वह उन विषयों को राजनीति के दायरे में लपेटना शुरू कर देती है जो विषय राजनीति में कभी रहे ही नहीं हैं । पाँच विधान सभा चुनावों के आसन्न होते ही ऐसे विषयों को राजनैतिक दलों की खुराक बनते देखा जा सकता है इसके दर्जनों उदाहरण मिलते हैं । हाल फिलहाल हाशिए पर सिमट गए मुस्लिम लीग ने सूर्य नमस्कार पर हाहाकार मचाने का एक ऐसा ही फर्जी मुद्दा ढूंढ लिया है । सभी को पता है कि सरकार के सभी मंत्रालय कोरोना वैश्विक आपदा के समय एक जुट होकर जन सामान्य के स्वास्थ्य संबंधी कामों में सरकार का सहयोग कर रहे हैं, अब सभी लोग जो थोड़ा भी योग अभ्यास करते हैं उन्हे यह अनुभव है कि सूर्य नमस्कार योगासनों में सर्वश्रेष्ठ है।
गौरतलब है कि कोरोना से बचाव संबंधी ताजा शोध से पहली बात निकली कि कोई भी वेक्सीनेशन ओमिक्रोन संक्रामण को रोकने में कामयाब नहीं है, दूसरी बात भी आई कि इस लाइलाज वायरस का संक्रमण रफ्तार पहले के मुक़ाबले 10 गुना ज्यादा है पर स्वाभाविक चिंता रखते हुए भारत सरकार के सलाहकारों ने योग को अंतिम प्रभावी सहारे को पकड़ने की उपयोगी और महत्वकांक्षी राह पर अमल करने की योजना बना ली । इसी क्रम में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने बीते 16 दिसंबर, 2021 को एक पत्र में सभी राज्य सरकारों को स्कूलों में सूर्य नमस्कार कार्यक्रम का आयोजन करने का निर्देश दिया और कहा कि ‘आजादी का अमृत महोत्सव के बैनर तले राष्ट्रीय योगासन खेल महासंघ ने 01 जनवरी 2022 से 07 फरवरी 2022 तक सूर्य नमस्कार की एक योजना चलाने का निर्णय लिया है। तथा आगामी 26 जनवरी 2022 को सूर्य नमस्कार पर संगीतमय प्रदर्शन की भी योजना है।’ जिसका उद्देशय बना कि इस कार्यक्रम के जरिए सूर्य नमस्कार को जन-जन तक पहुंचाया जाय और लोगों को इसके फायदे के बारे में जानकारी दी जाय । स्वास्थ्य चेतना के लिए इस योगामृत महोत्सव को फिट इंडिया, आयुष मंत्रालय के तत्वावधान में 20 फरवरी 2022 तक 75 करोड़ सूर्य नमस्कार अभ्यास करवाने का लक्ष्य भी रखा गया है। जिसको पतंजलि योगपीठ, पतंजलि योग समिति, गीता परिवार, भारत स्वाभिमान ट्रस्ट, महिला पतंजलि योग समिति, आर्ट ऑफ लिंविंग, भारतीय योग संस्थान, दिव्य योग मंदिर, ब्रह्मकुमारी परिवार के सहयोग से गत 3 जनवरी को हैदराबाद से शुरू किया गया जिसमें भारत सहित 150 देशों के प्रतिभागीयों ने हिस्सा लिया ।
दरअसल, सूर्य नमस्कार विभिन प्रकार से शरीर के अंगों को खिचाव देते हुए 12 मुद्राओं में किया जाने वाला योग है। इसका सीधा मतलब हुआ कि अकेले सूर्य नमस्कार के करने पर आप 12 प्रकार के योग कर पाते हैं । यह योग अभ्यास वस्तुतः आज की भाषा में एक पूरा फिजिकल थैरेपी का पैकज है इसके अभ्यास से जन सामान्य का शरीर निरोग और स्वस्थ होकर तेजस्वी होता है। इन 12 प्रकार की मुद्राओं में शरीर को पाँव के पंजे से लेकर हाथ की हथेली तक पूरे शरीर को जमीन पर खड़ा / सीधा या जमीन से क्षैतिज – आड़ा रखकर कमर से पूरी तरह आगे और पीछे की ओर लंबी गहरी साँसों के साथ स्ट्रेच किया जाता है। इससे पूरे शरीर में एक तरफ प्राणवायु यानि ऑक्सीजन का संचार होता है और नसों में रक्त प्रवाह अच्छा होता है। जिससे ब्लड प्रेशर में आराम , पेट वायु का शमन होता है , हृदय – फेफड़े और स्वांस संबंधी परेशानी दूर होती है तथा अनावश्यक वजन कम होता है, शरीर हल्का फुर्तीला और लचीला हो जाता है । सूर्य नमस्कार करने से इस प्रकार कई रोगों से छुटकारा मिलता है और यह कोरोना से बचने का भी अचूक उपाय है ।
बस यही मुद्दा ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के हाथ लग गया । और इन्होने बिना सोच विचार के स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ पर स्कूलों में सूर्य नमस्कार का कार्यक्रम आयोजित किए जाने के दिशा निर्देश का विरोध कर डाला । मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने बयान जारी कर कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। यहां पर बहुसंख्यक समुदाय के रीति-रिवाज और पूजा पद्धति को सभी धर्मों के ऊपर थोपा नहीं जा सकता है। मौलाना ने सूर्य नमस्कार कार्यक्रम से मुस्लिम छात्र-छात्राओं को दूर रहने की हिदायत दे डाली। मौलाना खालिद का कहना है स्कूलों में सभी धर्मों के बच्चे पढ़ते हैं। इसलिए स्कूलों में किसी खास धर्म की पूजा पद्धति को कराने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। वहीं कुछ राजनैतिक नेताओं सहित अन्य मुस्लिम धर्मगुरुओं ने भी सूर्य नमस्कार पर आपत्ति जताई थी। उनका कहना है कि इस्लाम में अल्लाह के अलावा किसी और के सामने झुकने की इजाजत नहीं है।
हालांकि योग गुरु स्वामी रामदेव ने इस पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सूर्य नमस्कार कोई पूजा अर्चना या धार्मिक क्रिया कलाप नहीं है यह शरीर को पूर्ण स्वास्थ्य रखने का रोजाना सुबह खाली पेट किया जाने वाला शारीरिक व्यायाम है । योग विधि में जिसका नाम ‘सूर्य नमस्कार’ है । स्पष्ट करते हुए रामदेव गुरु ने कहा कि इस अभ्यास के दौरान मानसिक स्वास्थ्य और विचारों को सरल बनाने के लिए कुछ संस्कृत के श्लोक आदि का उच्चारण किया जाता है, जो कि पूरा वैकल्पिक है यानि जो चाहे श्लोको को उच्चरित करे या जो चाहे वो उच्चरित न भी करे । बात यहीं नहीं रुकी बीजेपी के मुस्लिम नेता केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने करारा तंज किया है। पर्सनल लॉ बोर्ड पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि ‘यह फर्जी फतवा की फैक्ट्री की एक और फुलझड़ी है। इन्हें सूर्य से एलर्जी है या नमस्कार से, यह तो इनकी कुन्द बुद्धि जाने? पर सूर्य और नमस्कार दोनों ऊर्जा देते हैं, यह दुनिया भर को पता है।’
बावजूद इसके केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि महामारी के कारण प्रतिरक्षा स्तर को बढ़ाना अनिवार्य हो गया है। उनकी पहल पर 14 जनवरी 2022 को मकर संक्रांति के अवसर पर दुनिया भर में 75 लाख लोगों ने सूर्य नमस्कार किया ।
-अवधेश सिंह कवि लेखक स्तंभकार