समग्र समाचार सेवा
बीजिंग, 28 जनवरी। भारत के साथ जारी सीमा विवाद को लेकर चीन के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि अमेरिका को इसमें दखल नहीं देना चाहिए। दोनों पड़ोसी देश द्विपक्षीय ढंग से मसले को सुलझा लेंगे। दरअसल चीन द्वारा लद्दाख क्षेत्र में मनमाने ढंग से निर्माण कार्यों पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई है। अन्य पड़ोसी देशों के साथ भी चीन के विस्तारवादी कदमों को लेकर अमेरिका व अन्य पश्चिमी देश उसका कड़ा विरोध कर रहे हैं। इसे लेकर चीन पर दबाव बढ़ रहा है।
भारत-चीन नहीं चाहते किसी तीसरे की मदद
चीन ने यह भी कहा कि वह और भारत नहीं चाहता है कि कोई तीसरा पक्ष सीमा विवाद को लेकर मध्यस्थता न करे। हालांकि चीन के इस बयान पर भारत ने अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। चीन के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि भारत के साथ सीमा समस्या द्विपक्षीय मसला है। उसने इस बयान को लेकर अमेरिका की आलोचना की कि चीन भारत समेत अपने पड़ोसियों को मजबूर कर रहा है।
अमेरिका को चीन ने लिया निशाने पर
चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वू कियान ने कहा, ‘कुछ अमेरिकी राजनीतिज्ञ ‘दमन’ शब्द के इस्तेमाल के इतने आदी हो चुके हैं कि वे भूल जाते हैं कि अमेरिका ही ‘दबाव की कूटनीति’ का आविष्कारक और बड़ा खिलाड़ी है।’ कियान ने कहा कि चीन न तो किसी पर दबाव डालता है और न ही किसी के दबाव में आता है। वह अमेरिका की दबाव की कूटनीति का मजबूती से विरोध करता है। चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने गुरुवार को अपनी मासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह बात कही। उन्होंने कहा कि हम भारत के साथ निकट संपर्क में रह कर सीमा विवाद सुलझा लेंगे।
चीन को अमेरिकी राष्ट्रपति दे चुके हैं चेतावनी
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने बीते दिनों जापान के पीएम किशिंदा के साथ 80 मिनट की वर्चुअल मीटिंग में चीन को चेतावनी दी थी। चीन सागर में चीन के बढ़ते दखल व भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ते दखल व यूक्रेन संकट के बीच ताइवान में आक्रमण न करने को लेकर उसे धमकाते हुए अमेरिका ने कहा था कि वह अपनी हरकतों से बाज आए। अमेरिका ने यह भी कहा था कि भारतीय सीमा पर चीन की हरकतों पर भी उसकी नजर है।