“छोड़कर नश्वर जगत को चल पड़ी, नाम जिसका था लता वो गायिका”: लता मंगेशकर जी को समर्पित गीतांजलि

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डा० नीलिमा मिश्रा
गीत की संगीत की आराधिका ।
कृष्ण की मीरा कहो या राधिका ।।
छोड़कर नश्वर जगत को चल पड़ी ।
नाम जिसका था लता वो गायिका ।

ताल-सुर सब वाद्य बैठे मौन हैं ।
शांत होकर सो गया ये कौन है ।।
अश्रुपूरित हो गए सबके नयन ।
थम गयी पवमान चंचल सी पवन ।।
बाग में कोयल नहीं अब गा रही ।
खो गयी वो सप्त स्वर की दायिका।।

अश्रुओं की धार रुकती है नहीं ।
इस ह्रदय की प्यास बुझती है नहीं
शून्य सा लगने लगा संसार है ।
दु:ख का विस्तार ही विस्तार है ।।
याद प्रतिपल आओगी ये सत्य है ।
भारती की दिव्य थीं तुम नायिका ।।

शारदे का तेज जिसमें रूप था ।
सौम्य कोमल शांत चित्त अनूप था ।।
आठ दशकों की निरंतर साधना ।
पूर्णता को पा चुकी हर कामना ।।
गीत की गंगा ने सागर पा लिया ।
ब्रह्म का दर्शन करेगी साधिका ।।

गीत की संगीत की आराधिका—-

डा० नीलिमा मिश्रा
प्रयागराज

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