समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 7 फरवरी। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पहले अंतरिम आदेश जारी करने के बावजूद सांप्रदायिक हिंसा के बारे में सोशल मीडिया पोस्ट करने पर एक्टिविस्टों को नोटिस भेजे जाने पर त्रिपुरा पुलिस को फटकार लगाई। अदालत ने चेतावनी दी कि अगर राज्य पुलिस हिंसा पर लोगों को उनके सोशल मीडिया पोस्ट पर परेशान करने से परहेज नहीं करती है, तो अदालत पुलिस अधीक्षक और यहां तक कि राज्य के गृह सचिव सहित अन्य लोगों की व्यक्तिगत उपस्थिति का निर्देश देगी।
नोटिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए एक्टिविस्ट समीउल्लाह शब्बीर
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ त्रिपुरा पुलिस द्वारा आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 41 ए के तहत पेश होने के लिए जारी नोटिस के खिलाफ एक्टिविस्ट समीउल्लाह शब्बीर खान द्वारा दायर एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी। आवेदक की ओर से पेश अधिवक्ता शारुख आलम ने कहा कि 10 जनवरी को अदालत ने पुलिस को उनके ट्वीट के खिलाफ कार्रवाई करने से रोकने के लिए एक अंतरिम आदेश पारित किया था। उस आदेश से, अदालत ने पुलिस द्वारा ट्विटर इंक को धारा 91 सीआरपीसी के तहत जारी नोटिस को आगे बढ़ाने के लिए कदमों पर रोक लगा दी थी, जिसमें उनके ट्वीट और उनके आईपी पते और फोन नंबर के बारे में जानकारी को हटाने की मांग की गई थी।
शीर्ष अदालत ने लगाई पुलिस को जमकर फटकार
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने आगे कहा कि पुलिस अधीक्षक को सूचित करें कि इस तरह के लोगों को परेशान न करें। किसी को सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए क्यों कहा जाए? यह उत्पीड़न नहीं तो और क्या है? अगर पुलिस ने लोगों को परेशान करना नहीं छोड़ा तब हम एसपी को अदालत में बुलाएंगे और उन्हें जवाबदेह बनाएंगे। हम आपके गृह सचिव सहित वरिष्ठ आला अधिकारियों को इस अदालत के सामने पेश होने के लिए कहेंगे। एक बार जब हम एक आदेश पारित कर देते हैं। पीठ ने कहा कि इस मुद्दे पर आपको जिम्मेदारी दिखानी चाहिए।