समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 27 फरवरी। किडनी प्रत्यारोपण के बाद मरीज जीवन भर नि:शुल्क जरूरी और जीवन रक्षक दवा पाने का हकदार है या नही, इस बारे में दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने किडनी प्रत्यारोपण के बाद जरूरी दवा का खर्च उठा पाने में असमर्थ दो मरीजों की ओर से दाखिल याचिका पर विचार करते हुए यह आदेश दिया है।
जरूरी दवा निशुल्क मुहैय्या कराने की मांग
मरीजों ने प्रत्यारोपण के बाद प्रयोग होने वाली जरूरी दवा निशुल्क मुहैय्या कराने की मांग की है। जस्टिस वी. कामेश्वर राव ने दिल्ली सरकार को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। सरकार की ओर से अतिरिक्त स्थायी वकील गौतम नारायण ने नोटिस स्वीकार करते हुए कहा कि इस बारे में जवाबी हलफनामा दाखिल करेंगे।
मामले की अगली सुनवाई 31 मार्च को होगी
हाई कोर्ट ने सुरेंद्र कुमार और राज कुमार सिंह की ओर से दाखिल याचिका पर यह आदेश दिया है। साथ ही बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 31 मार्च को तय की है।
एम्स में किडनी का प्रत्यारोपण हुआ
मरीजों की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने कोर्ट को बताया कि उनके एक मुवक्किल का 2016 में और दूसरे का 2017 में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में किडनी का प्रत्यारोपण हुआ। इसके बाद करीब दो साल तक एम्स ने मरीजों को सभी जरूरी दवाई मुहैय्या कराई, लेकिन पिछले करीब एक साल से अधिक समय से यह बंद कर दिया है। अग्रवाल ने कहा कि दोनों मरीज अत्यंत गरीब होने के साथ जीवन बचाने के लिए जरूरी जीवन रक्षक दवा का खर्च उठाने में असमर्थ है।
टेक्रोग्राफ दवा जीवनभर खाने का सुझाव
याचिका में कहा गया है कि एम्स के डॉक्टर ने याचिकाकर्ता राज कुमार सिंह को सेलसेप्ट और सुरेंद्र कुमार को सेलसेप्ट के अलावा टेक्रोग्राफ दवा जीवनभर खाने का सुझाव दिया है। ऐसे में सरकार को निशुल्क दवाइयां मुहैय्या कराने का आदेश दिया जाए। अग्रवाल ने जीवन जीने के अधिकारों का हवाला देते हुए कहा है कि सरकार की जिम्मेदारी है कि वे नागरिकों की जीवन की रक्षा करे।
यह है मामला, यहां समझें
कोर्ट के आदेश पर दिल्ली सरकार ने राज कुमार सिंह और सुरेंद्र कुमार के प्रत्यारोपण पर हुए खर्च का भुगतान किया। याचिकाकर्ता ने कहा है कि दवाइयों पर हर माह 10 हजार रुपये से अधिक का खर्च आ रहा है और उनके मुवक्किल की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि वे इसका वहन करने में असमर्थ हैं।