समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 24 मार्च। दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद को 2020 के दिल्ली दंगों में एक बड़ी साजिश रचने के आरोप वाले एक मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा दंगों की साजिश बहुत बड़ी है। इस महीने की शुरुआत में कई बार फैसला टाले जाने के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने यह आदेश सुनाया। कड़कड़डूमा कोर्ट ने तीन मार्च को फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसके बाद 14 मार्च को आदेश सुनाया जाना था लेकिन उमर खालिद के वकील द्वारा लिखित दलीलें न दायर करने पर इसे टाल दिया गया।
उमर खालिद के खिलाफ कई चैट और अन्य सबूत
फिर विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद द्वारा अतिरिक्त नोट जमा करने के बाद मामले को 23 मार्च तक के लिए टाल दिया गया। उन्होंने कहा कि उमर खालिद के खिलाफ कई चैट और अन्य सबूत हैं। फरवरी 2020 में अमरावती में उमर खालिद के दिए भाषण पर अदालत द्वारा पूछे गए एक विशिष्ट प्रश्न पर, एसएसपी ने बताया कि महाराष्ट्र पुलिस द्वारा उनके कार्यक्रम की अनुमति 11 फरवरी को अस्वीकार कर दी गई थी।
13 सितंबर 2020 को हुई थी खालिद की गिरफ्तारी
12 फरवरी को, वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया ने इस कार्यक्रम के लिए छह गणमान्य व्यक्तियों का उल्लेख करते हुए एक और आवेदन दायर किया, लेकिन उसमे उमर खालिद का नाम नहीं था। उमर खालिद को 13 सितंबर 2020 को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया था।
छात्र के खिलाफ पूरा आरोपपत्र मनगढ़ंतः वकील
खालिद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिदेव पेस ने कहा कि जेएनयू छात्र के खिलाफ पूरा आरोपपत्र मनगढ़ंत है और समाचार चैनलों द्वारा दिखाए गए उमर खालिद के भाषण के एक छोटे वीडियो क्लिप पर आधारित है। बता दें कि नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध के दौरान, दिल्ली के उत्तरपूर्वी हिस्से में फरवरी 2020 में बड़े पैमाने पर झड़पें और हिंसा हुई थीं। इसमें 53 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 700 से अधिक घायल हो गए थे।