यूक्रेन से वापस आए छात्रों की पढ़ाई को जारी रखने के लिए उसके पड़ोसी देशों से बात कर रही है सरकार: जयशंकर
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 6 अप्रैल। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि यूक्रेन से वापस गए छात्रों की पढाई को जारी रखने के लिए सरकार हंगरी, रोमानिया, कजाकिस्तान और पोलैंड जैसे देशों के साथ बातचीत कर रही है। यूक्रेन की स्थिति पर लोकसभा में चर्चा का जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा कि यूक्रेन सरकार ने भी छात्रों को उनके चिकित्सा शिक्षा पाठ्यक्रमों में दो प्रमुख परीक्षा देने के लिए छूट की पेशकश की है। उन्होंने कहा कि यूक्रेनी सरकार ने फैसला किया है कि तीसरे से चौथे वर्ष तक छात्रों को पदोन्नति के संबंध में छूट दी जाएगी।
अनिवार्य सीआरओसी परीक्षा को अगले शैक्षणिक वर्ष के लिए स्थगित कर दिया गया
जयशंकर ने सदन को बताया कि अनिवार्य सीआरओसी परीक्षा को अगले शैक्षणिक वर्ष के लिए स्थगित कर दिया गया है। छठे वर्ष के छात्रों के लिए अनिवार्य सीआरओसी -2 परीक्षा दिए बिना डिग्री दी जाएगी। यह मानदंड केवल अकादमिक प्रदर्शन के लिए होगा। उन्होंने कहा कि हंगरी ने यूक्रेन से निकाले गए छात्रों को अपने विश्वविद्यालयों में चिकित्सा पाठ्यक्रम पूरा करने की अनुमति देने की पेशकश की थी। हंगरी के अलावा अन्य देशों से भी प्रस्ताव मिले थे। हम यूक्रेन से निकाले गए छात्रों के लिए शिक्षा जारी रखने के बारे में हंगरी, रोमानिया, कजाकिस्तान और पोलैंड के संपर्क में हैं क्योंकि इन देशों में समान शिक्षा प्रणाली है।
1,319 छात्र हैं, जिन पर बकाया कर्ज है
उन्होंने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य मंत्रालयों को इस मामले से अवगत कराया गया था। वे इस बात का पता लगा रहे थे कि यूक्रेन से निकाले गए लोग अपनी शिक्षा कैसे जारी रख सकते हैं। मंत्री ने सदस्यों से कहा कि वित्त मंत्रालय ने बैंकों से यूक्रेन में छात्रों को दिए गए शैक्षिक ऋण पर यूक्रेन संकट के प्रभाव का आकलन करने के लिए भी कहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे 1,319 छात्र हैं, जिन पर बकाया कर्ज है। मंगलवार को चर्चा के दौरान सदस्यों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर प्रतिक्रिया देते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि कुछ छात्रों ने यूक्रेन नहीं छोड़ा क्योंकि उन्हें लगा कि इससे उनकी शिक्षा बाधित होगी।
विदेश मंत्री ने और क्या कहा
विदेश मंत्री ने कहा कि उस समय कई विश्वविद्यालयों ने आनलाइन पाठ्यक्रमों की पेशकश करने से इन्कार कर दिया था। उन्होंने कहा कि कीव में एक विश्वविद्यालय ने कहा कि यह आनलाइन प्रणाली में बदलाव नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि ओडेसा में विश्वविद्यालय एक था, जिसने कहा था कि हम केवल 25 फरवरी तक आनलाइन कक्षाएं ले सकते हैं। खारकीव में एक विश्वविद्यालय को दूतावास फोन करता रहा और यहां तक कि किसी को मिलने के लिए भेजा, वे मिलने के लिए तैयार नहीं थे। उन्होंने कहा कि कुछ विश्वविद्यालयों ने सुझाव दिया कि छात्रों को वापस आना चाहिए क्योंकि चीजें गंभीर नहीं होंगी।