माधवपुर घेड़ उत्सव में शामिल हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, बोले- वर्तमान और भावी पीढ़ियों को सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ना चाहिये
समग्र समाचार सेवा
राजकोट, 13अप्रैल। माधवपुर घेड़ उत्सव 10 से 13 अप्रैल, 2022 तक मनाया जा रहा है। उत्सव का उद्घाटन राष्ट्रपति ने किया था तथा संस्कृति मंत्रालय और उत्तर पूर्व क्षेत्र विकास मंत्रालय के साथ गुजरात सरकार इसका आयोजन कर रही है।
सूचना और प्रसारण मंत्री श्री अनुराग ठाकुर गुजरात के चार दिवसीय ‘माधवपुर घेड़ मेला’ के तीसरे दिन मेले में सम्मिलित हुये। कार्यक्रम में मणिपुर के मुख्यमंत्री श्री एन. बिरेन सिंह और गुजरात के मंत्रियों ने भी हिस्सा लिया।
इस अवसर पर उपस्थितजनों को सम्बोधित करते हुये श्री ठाकुर ने कहा कि माधवपुर घेड़ मेला भारत के लोगों को आपस में जोड़ने का प्रतीक है और यह उत्सव देश के सुदूर पूर्व को देश के पश्चिमी हिस्से से जोड़ता है। पूर्वोत्तर राज्यों में चल रहे विकास कार्यों का उल्लेख करते हुये श्री ठाकुर ने कहा कि ‘लुक ईस्ट’ नीति अब ‘ऐक्ट ईस्ट’ नीति बन चुकी है। वर्तमान सरकार के अंतर्गत भारत के पूर्वोत्तर राज्य अब अवसंरचना तथा सुविधाओं के अभूतपूर्व विकास के साक्षी हैं।
श्री ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने भारत की विस्मृत धरोधर को दोबारा जीवित करने की दिशा में सक्रिय काम किया है तथा प्रधानमंत्री के नेतृत्व में ही जहां एक तरफ केदारनाथजी मंदिर को भव्य स्वरूप दिया गया, वहीं सोमनाथ मंदिर ने भी नई ऊंचाइयों का स्पर्श किया। श्री ठाकुर ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, राम मंदिर निर्माण और चार धाम के सुंदरीकरण की दिशा में किये जाने वाले कामों की प्रशंसा की।
श्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि हालांकि 1947 में भारत ने राजनीतिक स्वंत्रता प्राप्त कर ली थी, लेकिन सांस्कृतिक स्वतंत्रता उसे नहीं मिली थी। सांस्कृतिक स्वतंत्रता उसे 2014 में मिली, जब सांस्कृतिक राष्ट्रवाद, राजनीतिक विमर्श का महत्वपूर्ण हिस्सा बना। उन्होंने वर्तमान और भावी पीढ़ियों का आह्वान किया कि वे अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ें। उन्होंने कहा कि यह हमारा दायित्व है कि हम अपनी सांस्कृतिक विरासत की कहानियों को जनता के बीच प्रसारित करें।
श्री ठाकुर ने अबू धाबी की अपनी हाल की यात्रा का स्मरण करते हुये कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में स्थापित मैत्रीपूर्ण सम्बंधों के आधार पर ही अब खाड़ी के एक देश में भव्य स्वामी नारायण मंदिर का निर्माण होगा।
श्री अनुराग ठाकुर ने भरोसा दिलाया कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय अपनी मीडिया इकाइयों के साथ उत्सव को बढ़ावा देगा और उसकी भव्यता को प्रदर्शित करेगा।
अनुराग ठाकुर ने कहा- माधवपुर मेला एक भारत, श्रेष्ठ भारत का उत्कृष्ट उदाहरण है। देश को एक सूत्र में पिरोने की मिसाल हैं हमारे उत्सव, त्योहार और मेले। कुछ राजनीतिक तत्वों ने उत्तर पूर्व, दक्षिण भारत और दूर दराज के क्षेत्रों को भारत की मुख्यधारा अलग दिखाने का खतरनाक प्रयास किया है, लेकिन माधवपुर मेला और ऐसे अन्य उत्सव साबित करते हैं कि आज से नहीं हमारा भारत वर्षों से वैदिक और पौराणिक काल से एक सभ्यता, एक संस्कृति, एक सूत्र से जुड़ा हुआ हैं। इसको अलग करने की साजिशें हमेशा नाकाम होगी। जानबूझकर रणनीति और विचारधारा के तहत देश के सांस्कृतिक गौरव को भुला दिया गया। दुनिया को चकित करने वाले मंदिर, सभ्यता और संस्कृति से जुड़े स्थानों को खंडहर में बदलने दिया गया। सिर्फ कुछ स्थानों को शोकेस किया जाता था और बाकियों को नजरअंदाज करते गये। प्रधानमंत्री मोदी जी के अद्भूत विजन के तहत अब देश के गौरव को पुनर्स्थापित करने की दिशा में हम काफी आगे बढ चुके हैं। काशी से लेकर गुजरात और कुशीनगर से लद्दाख तक, हमारी सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित करने, उसके प्राचीन गौरव को अक्षुण्ण रखते हुए आधुनिक सुविधाएं मुहैया कराने, कनेक्टिविटी बेहतर करने और यात्रियों, श्रद्धालुओं के हित में हर कदम उठाने की नीति पर लगातार काम हो रहा है।
मगर ये काम सिर्फ स्थानों के रख रखाव और सुविधा देने से पूरा नहीं होता। हम नई शिक्षा नीति के तहत अपने पाठ्यक्रम को भी ऐसा तैयार कर रहे हैं कि भारत का प्रचान गौरव, उसके ज्ञान के भंडार का भी हमारी नई पीढ़ी को पता चले।देश की धार्मिक, आध्यात्मिक और पवित्र परंपरा को फिर से जगाने वाले पहले पीएम -नरेंद्र मोदी
अयोध्या, केदारनाथ, चारधाम, सोमनाथ और काशी विश्वनाथ सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के उदय की दे रहे गवाही
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 दिसंबर को काशी विश्वनाथ धाम कोरिडोर का लोकार्पण किया तथा सदियों से उपेक्षित त्रिलोकीनाथ देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी को दिव्यता और भव्यता प्रदान की.
इसी के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भी इतिहास में हिंदू हितोद्धारक राजमाता अहिल्या बाई होलकर के समक्ष स्वर्णिम अक्षरों में अंकित हो गया.
अगर हम नरेंद्र मोदी के अब तक के 7 वर्ष के कार्यकाल को देखें तो देश के विकास और इंफ्रास्ट्रक्चर को पूर्ण समर्पित राजनेता के साथ ही वह एक सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के उदय की ज्वलंत मशाल के रूप में उभर कर सामने आए हैं.
चाहे वह अयोध्या जी में प्रभु श्रीराम मंदिर का शिलान्यास हो, सोमनाथ मंदिर का विकास हो, केदारनाथ धाम के विकास से लेकर चार धाम परियोजनाओं के कार्य हों या और अब काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनरुद्धार हो. ये वो कार्य हैं जो इस बात को प्रमाणित करते हैं कि जिस तरह पीएम मोदी सेना के आधुनिकीकरण, देश के इन्फ्रास्ट्रक्चर, गरीबों के उत्थान के लिए पूरे मनोयोग से कार्य कर रहे हैं, ठीक उसी तरह वह देश में सांस्कृतिक उदय के लिए भी कार्य कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री ही नहीं बल्कि बतौर मुख्यमंत्री भी नरेंद्र मोदी ने गुजरात में सोमनाथ मंदिर परिसर को नया रूप दिया था. मोदी के प्रधानमंत्री और सोमनाथ ट्रस्ट के अध्यक्ष बनने के बाद मंदिरों में सुधारों का पैमाना और बढ़ गया. पीएम मोदी ने सोमनाथ मंदिर परिसर में एक प्रदर्शनी केंद्र, समुद्र तट पर सैरगाह का उद्घाटन किया, जिसे सोमनाथ की दिव्यता और भव्यता को नए आयाम मिले हैं.
प्रधानमंत्री बनने के बड़ा नरेंद्र मोदी ने अयोध्या श्रीराम मंदिर का भूमि पूजन किया. 9 नवंबर 2019 को सदियों के संघर्ष व बलिदानों के बाद श्री रामजन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुओं के पक्ष में फैसला सुनाया.
8 मार्च 2019 को पीएम मोदी ने काशी विश्वनाथ कॉरीडोर और मंदिर परिसर के जीर्णोद्धार का काम शुरु कर दिया. पीएम मोदी ने आर्किटेकट से कहा कि एक ऐसा रास्ता बनाओ जिससे तीर्थ यात्रियों का मन प्रफुल्लित हो जाए।
अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण हमेशा से भारतीय जनता पार्टी के घोषणा पत्र में हमेशा से रहा है. सुप्रीम फैसले के बाद नरेंद्र मोदी सरकार तेजी से आगे बढ़ी और 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में एक भव्य राम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ।
जब नरेंद्र मोदी 2014 में देश के प्रधानमंत्री बने तो उनके साथ एक बड़ी चुनौती थी 2013 में उत्तराखंड में आई भयानक बाढ़ से तबाह हुए बाब केदारनाथ धाम क्षेत्र व मंदिर का फिर से पुनरुद्धार की।
पीएममोदी सिर्फ केदारनाथ तक ही सीमित नहीं रहे बल्कि उन्होंने यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के चार तीर्थ स्थलों को जोड़ने वाले एक आधुनिक ऑल वेदर चार धाम रोड नेटवर्क के निर्माण को मंजूरी देकर चार धाम परियोजना की शुरुआत की.
कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद मोदी सरकार ने श्रीनगर में कई पुराने मंदिरों का पुनर्निर्माण शुरु किया है. मोदी सरकार के आंकलन के मुताबिक कश्मीर में कुल 1842 हिंदू मंदिर या फिर पूजास्थल हैं. इसमें से 952 मंदिर हैं जिनमें 212 में पूजा चल रही है जबकि 740 जीर्ण शीर्ण हालत में है।