समग्र समाचार सेवा
प्रयागराज, 14 अप्रैल। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की दो नाबालिग लड़कियों की मांग अस्वीकार कर दी। इनमें एक लड़की की मां ने अपनी बेटी को दूसरी लड़की के चंगुल से मुक्त कराने के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की थी। न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने मां मंजू देवी की तरफ से दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को निस्तारित करते हुए यह आदेश दिया है।
हाई कोर्ट के आदेश पर दोनों लड़कियां न्यायालय में हाजिर हुईं
प्रयागराज के अतरसुइया थाना इलाके में रहने वालीं अंजू देवी ने हाई कोर्ट से कहा कि उसकी बेटी बालिग है। उसे एक लड़की ने अवैध ढंग से अपने पास बंधक बना रखा है। उनकी बेटी को दूसरी लड़की के चंगुल से मुक्त कराया जाय। हाई कोर्ट के आदेश पर दोनों लड़कियां न्यायालय में हाजिर हुईं। उन्होंने कोर्ट को बताया कि वे वयस्क हैं। उन दोनों ने आपसी सहमति व मर्जी से समलैंगिक विवाह कर लिया है। उनके समलैंगिक विवाह को न्यायालय द्वारा मान्यता प्रदान किया जाए। साथ ही उनके वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप करने से रोका जाय।
भारतीय संस्कृति में समलैंगिक विवाह की अनुमति नहीं, याचिका कर दी खारिज
सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने कहा भारतीय संस्कृति में समलैंगिक विवाह की अनुमति नहीं है। कहा गया कि किसी भी कानून में समलैंगिक विवाह को मान्यता नहीं दी गई है। समलैंगिक विवाह को मान्यता प्रदान नहीं की जा सकती, क्योंकि इस शादी से संतानोत्पत्ति नहीं की जा सकती। इस पर कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग खारिज करते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका निस्तारित कर दिया।