समग्र समाचार सेवा
शिंकुला, 17 अप्रैल। अटल टनल रोहतांग के बाद अब बीआरओ दुनिया की सबसे ऊंची और लंबी टनल का निर्माण करने जा रहा है। यह टनल कई मायनों में अहम है। यह टनल सीमा तक रसद पहुंचाने का तीसरा और सबसे सुरक्षित विकल्प होगी। मौजूदा समय में लेह लद्दाख के लिए पहला विकल्प जोजिला पास जो पाकिस्तान सीमा क्षेत्र से सटा है और दूसरा विकल्प बारालाचा पास है, जो चीन सीमा से सटा है। अब यह तीसरा मार्ग शिंकुला पास में टनल के माध्यम से बनेगा। यह मार्ग दोनों देशों की सीमा से दूर मध्य में होगा।
जानिए पांच महत्वपूर्ण बिंदु
– सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है। यह मार्ग चीन और पाकिस्तान की सीमा से दूर मध्य में होगा। इस कारण यहां से सेना के वाहनों की गतिविधि की जानकारी दुश्मन को नहीं लग पाएगी।
– यह टनल बन जाने से लेह लद्दाख की जांस्कर घाटी नौ से दस महीने तक शेष विश्व से जुड़ी रहेगी। पहले यह क्षेत्र महज छह महीने ही खुलता था।
– टनल निर्माण होने से जांस्कर घाटी में पर्यटन बढ़ेगा। इस कारण यहां के लोगों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। अभी यहां सड़क व बिजली तक नहीं है।
– शिंकुला टनल दुनिया की सबसे ऊंची और लंबी टनल होगी। 16580 फीट की ऊंचाई पर 4.25 किमी लंबी टनल का निर्माण होगा।
– दुनिया की सबसे ऊंची व लंबी टनल का निर्माण तीन साल में पूरा कर लिया जाएगा।
16580 फीट की ऊंचाई पर बन रही शिंकुला टनल
16580 फीट की ऊंचाई पर बन रही शिंकुला टनल का निर्माण इस साल जुलाई में शुरू हो जाएगा। विश्व में नया कीर्तिमान स्थापित करने वाली यह टनल 2025 में बनकर तैयार हो जाएगी। यह टनल इस उंचाई पर बनने वाली विश्व की सबसे ऊंची व लंबी टनल होगी। इस टनल के बनने से लेह लद्दाख की जांस्कर घाटी साल के अधिकतर महीने लाहुल व मनाली से जुड़ जाएगी। केंद्र सरकार ने इस टनल के निर्माण के लिए बीआरओ की योजक परियोजना का गठन किया है।
बदलेगी जांस्कर घाटी की तस्वीर
इस टनल के निर्माण से समस्त जांस्कर घाटी में नए युग की शुरुआत होगी। लेह लद्दाख की इस घाटी के कुछ एक गांव आज भी आधारभूत सुविधाओं की से वंचित हैं। टनल निर्माण से जांस्कर के अधिकतर क्षेत्र कारज्ञा, पुरने, पदुम, जंगला, कारश, मुने जैसे पर्यटन स्थल देश विदेश के पर्यटकों को निहारने को मिलेंगे। पर्यटन कारोबार से इन ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिकी सुदृढ़ होगी।
भारतीय सेना को मिलेगा सुरक्षित मार्ग
वर्तमान में जम्मू श्रीनगर लेह सहित मनाली बारालाचा लेह दो मार्ग हैं। लेकिन अब मनाली दारचा शिंकुला से पदुल लेह तक तीसरा मार्ग बन रहा है। यह दोनों मार्ग पाकिस्तान व चीन सीमा के साथ लगते हैं। यह मार्ग सामरिक दृष्टि से भी देश का तीसरा वैकल्पिक मार्ग होगा। यह मार्ग सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि मनाली सरचू लेह व श्रीनगर लेह मार्ग के मुक़ाबले यह मार्ग सीमा से कोसों दूर है। इस वजह से इस मार्ग पर सेना की आवाजाही दुश्मन की नजर से सुरक्षित रहेगी।