26 अप्रैल को मनाई जाएगी वरुथिनी एकादशी, संकल्प मंत्र से शुरू करें व्रत

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 20अप्रैल। वरुथिनी एकादशी वैशाख मास के कृष्ण पक्ष को आती है। इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु के वराह अवतार की आराधना की जाती है। कहते हैं इस दिन व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है। यदि एकादशी के दिन कुछ मंत्रों का जाप किया जाए तो इससे भगवान विष्णु की जल्दी कृपा हो सकती है और व्रत का भी पूरा फल प्राप्त हो सकता है।

वरुथिनी एकादशी के दिन करें इन मंत्रों का जाप
विष्णु जी के पंचरूप मंत्र
ॐ अं वासुदेवाय नम:
ॐ आं संकर्षणाय नम:
ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:
ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:
ॐ नारायणाय नम:

एकादशी संकल्प मंत्र
सत्यस्थ: सत्यसंकल्प: सत्यवित् सत्यदस्तथा।
धर्मो धर्मी च कर्मी च सर्वकर्मविवर्जित:।।
कर्मकर्ता च कर्मैव क्रिया कार्यं तथैव च।
श्रीपतिर्नृपति: श्रीमान् सर्वस्यपतिरूर्जित:।। यह एकादशी संकल्प मंत्र है।

वाराह मंत्र
ॐ नमो भगवते वाराहरूपाय भूभुर्व: स्व: स्यात्पते भूतित्वं देह्येतद्दापय स्वाहा।।

वराह देव गायत्री मंत्र
ॐ नमो भगवते वराह रूपाय भूभुर्व: स्व:।
स्यात्पते भूपति त्यं देहयते ददापय स्वाहा॥

वरुथिनी एकादशी तिथिः
एकादशी तिथि की शुरुआत 26 अप्रैल दिन मंगलवार सुबह 01 बजकर 36 मिनट पर आरंभ हो रही है।

वरुथिनी एकादशी त्रिपुष्कर योग:

पंचाग के अनुसार वरुथिनी एकादशी के दिन त्रिपुष्कर योग का निर्माण हो रहा है. इस योग में किए गए दान और पुण्य का विशेष महत्व है. कहते हैं इस योग में दान आदि करने से कई गुना ज्यादा फल की प्राप्ति होती है. बता दें कि इस दिन त्रिपुष्कर योग देर रात 12 बजकर 46 मिनट से शुरु हो रहा है, जो अलगे दिन 27 अप्रैल को सुबह 05 बजकर 43 मिनट तक रहेगा

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