समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 26 अप्रैल। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मुंबई में निर्दलीय सांसद नवनीत राणा की गिरफ्तारी पर 24 घंटे के भीतर महाराष्ट्र सरकार से विवरण मांगा है। इससे पहले नवनीत राणा ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को एक पत्र लिखकर कहा था कि मुंबई पुलिस द्वारा उनकी गिरफ्तारी अवैध है। उन्होंने पुलिस हिरासत में अमानवीय व्यवहार का भी आरोप लगाया।
स्पीकर को लिखे पत्र में कहा गया, जेल में उन्हें न पानी दिया गया और न ही वाशरूम
रिपोर्ट्स के मुताबिक, घटना का ब्योरा गृह मंत्रालय (एमएचए) के माध्यम से अध्यक्ष द्वारा मांगा गया है। लोकसभा अध्यक्ष को लिखे अपने पत्र में, सांसद ने आरोप लगाया कि अनुसूचित जाति से आने के कारण जेल में उन्हें न पानी दिया गया और न ही वाशरूम का इस्तेमाल करने दिया जा रहा है।
जमानत पर आज सेशंस कोर्ट में सुनवाई होगी
महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे के आवास के बाहर हनुमान चालीसा पढ़ने की घोषणा करने वाली निर्दलीय सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा की जमानत याचिका पर आज सेशंस कोर्ट में सुनवाई होगी। दोनों को इस मामले में गिरफ्तार किया गया है। उन पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया है। सोमवार को हाईकोर्ट ने एफआइआर रद करने की उनकी अपील खारिज कर दी थी।
नवनीत राणा ने लोस अध्यक्ष को पत्र लिखकर लगाया था ये आरोप
महाराष्ट्र के अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा ने अपनी गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने पुलिस हिरासत में अमानवीय व्यवहार का भी आरोप लगाया है। उन्होंने मुंबई पुलिस आयुक्त संजय पांडे को कटघरे में ख़़डा करते हुए उनके खिलाफ क़़डी कार्रवाई करने की मांग की है। कहा है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के निर्देश पर उनके और उनके पति के खिलाफ कार्रवाई की गई है। उन्होंने पुलिस हिरासत में पीने का पानी नहीं मिलने की बात कही है। आरोप लगाया है कि उनकी जाति के आधार पर उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया गया।
बांबे हाई कोर्ट ने राणा दंपत्ति को लगाई फटकार
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के घर के बाहर हनुमान चालीसा पढ़ने की घोषणा करने वाली सांसद नवनीत राणा और उनके पति रवि राणा को बांबे हाई कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने उनके खिलाफ आइपीसी की धारा-353 के तहत दर्ज प्राथमिकी को रद करने वाली याचिका को खारिज कर दिया। इस दौरान कोर्ट ने उन्हें जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि किसी के घर के बाहर हनुमान चालीसा पढ़ना व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन है। उनके कारण कानून-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो गई थी। पुलिस की इस बात में तथ्य है। याचिकाकर्ता जन प्रतिनिधि हैं। इसलिए, उनकी जवाबदेही आम नागरिकों से ज्यादा है। ऐसे लोगों को बहुत ही सोच-समझकर बोलना चाहिए।