गुजरातः पुरानी पेंशन को लेकर बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरे सरकारी कर्मचारी

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समग्र समाचार सेवा

गांधीनगर, 10 मई। पुरानी पेंशन व्यवस्था को फिर से शुरू करने, नियत वेतन व्यवस्था को खत्म    करने और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने सहित कई मांगों को लेकर राज्य सरकार  के विभिन्न विभागों के कर्मचारियों ने सोमवार को एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया। गुजरात राज्य संयुक्त कर्मचारी मोर्चा (जीएसयूईएफ) के बैनर तले गांधीनगर के सत्याग्रह छावनी में लगभग सभी सरकारी विभागों के कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया। बता दें कि गुजरात में इसी साल    के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।

2005 में बंद कर दी गई पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग के अलावा, कर्मचारियों ने कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम और निश्चित वेतन व्यवस्था के माध्यम से नियुक्तियों को समाप्त करने की मांग की। सरकारी कर्मचारियों के संगठन ने बाद में सीएम को संबोधित एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें कहा गया था कि वह सरकारी कर्मचारियों के कल्याण के लिए जिम्मेदार हैं और उनकी सरकार को सातवें वेतन आयोग की सभी सिफारिशों को स्वीकार करना चाहिए।

जीएसयूईएफ के संयोजक सतीश पटेल ने कहा, ‘हम अपनी मांगों को रखने के लिए मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगेंगे। अगर हमें सरकार से अनुकूल प्रतिक्रिया नहीं मिलती है, तो हम अपनी अगली कार्ययोजना की घोषणा करेंगे।” पटेल गुजरात प्राइमरी स्कूल टीचर्स एसोसिएशन के महासचिव भी हैं। उन्होंने कहा कि राजस्व, स्वास्थ्य, पंचायत, मत्स्य पालन और अन्य विभागों के कर्मचारियों ने दिन भर के धरने में भाग लिया। पटेल ने दावा किया, “करीब एक लाख कर्मचारियों ने काम से छुट्टी ली और विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।”

कुछ दिनों पहले, सरकारी स्कूल के शिक्षकों के एक छत्र निकाय गुजरात राज्य शैक्षणिक संघ ने भी नई पेंशन योजना (एनपीएस) को रद्द करने की मांग को लेकर सत्याग्रह छावनी में धरना दिया था। पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग को लेकर सोमवार को अन्य विभागों के कर्मचारी भी धरने में शामिल हुए। सचिवालय के सूत्रों ने बताया कि कई महीनों में ऐसा पहली बार हुआ है जब इतनी बड़ी संख्या में कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया।

कांग्रेस पिछले कुछ समय से पुरानी पेंशन योजना के मुद्दे को जोर शोर से उठा रही है। यही नहीं, कांग्रेस शासित राज्यों में पुरानी पेंशन योजना को बहाल भी किया जा चुका है। ऐसे में भाजपा शासित राज्यों पर भी इसको लेकर भारी दबाव है। कई प्रदेशों के सरकारी कर्मचारी ओल्ड पेंशन स्कीम फिर से लागू करने की मांग कर ही रहे हैं। ऐसे में चुनावी राज्य में कांग्रेस भी इस मुद्दे को जोर शोर से उठा सकती है।

क्या है न्यू और ओल्ड पेंशन स्कीम?

नई पेंशन स्कीम के तहत सरकारी कर्मचारी के मूल वेतन से 10 प्रतिशत राशि काटी जाती है और उसमें सरकार 14 फीसदी अपना हिस्सा मिलाती है। पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी की सैलरी से कोई कटौती नहीं होती थी। पुरानी पेंशन योजना में रिटायर्ड कर्मचारियों को सरकारी कोष से पेंशन का भुगतान किया जाता था। नई पेंशन योजना शेयर बाजार आधारित है और इसका भुगतान बाजार पर निर्भर करता है।

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