नदी का पानी ज्यों का त्यों फिर कुनबा डूब क्यों?

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पार्थसारथि थपलियाल
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पार्थसारथि थपलियाल
भारत का सबसे पुराना राजनीतिक दल विगत कई वर्षों से लोक चिंतन का विषय बना हुआ है। इसी चिंता का चिंतन करने के लिए मई 13-14 मई, 2022 को झीलों की नगरी उदयपुर राजस्थान में चिंतन शिविर का आयोजन किया। वर्तमान में अपने दम पर कांग्रेस की सरकारें राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ही रह गई। अगले साल राजस्थान में विधान सभा का चुनाव है। राजस्थान की राजनीति को जानने वाले बताते हैं कि अगली सरकार भाजपा की होगी। दूसरी ओर 2024 में लोकसभा के चुनाव भी सन्निकट हैं। कांग्रेस पिछले तीन सालों से अपना एक राष्ट्रीय अध्यक्ष नही खोज पाई। श्रीमती सोनिया गांधी 2019 में राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद से मनोनीत अध्यक्ष हैं। काँग्रेस के 23 नेताओं का समूह ग्रुप 23 की समस्याएं यथावत हैं।
गांधी परिवार की स्थिति कुछ इस तरह हो गई है कि “तेरे लिए कोई और नही और मेरे सिवा कोई ठौर नही”। परिवारवादी पार्टियों की यह स्थिति सदैव रहती है। 75 वर्षीय श्रीमती सोनिया पूर्व अध्यक्ष सीताराम केसरी की नेमप्लेट हटाकर 1998 में कोंग्रेस की अध्यक्ष बनी। बीच मे 2017 में राहुल गांधी अध्यक्ष बनाये गए। 2019 से सोनिया गांधी ने फिर दायित्व संभाला। राहुल गांधी के पास पद नही लेकिन सक्रिय वही हैं ।
कांग्रेस में चिंतन शिविर की शुरुवात 1974 में श्रीमती इंदिरा गांधी के समय नरोरा से हुई थी। 1996 में पंचमढ़ी चिंतन शिविर, 2003 शिमला में, 2013 जयपुर में और इस बार उदयपुर में। गालिब ने यह शेर ऐसे ही मौके के लिए कहा होगा।
ताउम्र गालिब यह भूल करता रहा
धूल चेहरे पे थी, आईना साफ करता रहा।
चिंतन शिविर होते रहे कांग्रेस की स्थिति कमजोर होती गई। इस मुख्य बदलाव को करने की जरूरत थी वह नही किया। कांग्रेस बहुत लोकतांत्रिक पार्टी कही जाती है लेकिन दिखाई नही देती। सचिन पायलट ठगे के ठगे रह गए, नवजोत सिंह सिद्धू ताली ठोकते ठोकते कांग्रेस को ही ठोक गए। उत्तराखंड में अंतिम समय मे अध्यक्ष बदलने से परिणाम ही बदल गया।प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री का चेहरा बन कर उत्तरी थी लेकिन परिणाम क्या निकला? क्या भाजपा के राष्ट्रवाद को सेकुलरवाद से जीता जा सकता है? क्या तुष्टीकरण की नीतियां कांग्रेस को जिता पाएंगी? राहुल गांधी जो मौसमी नेता हैं, भाजपा नेतृत्व को टक्कर दे पाएंगे?
अच्छे लोकतंत्र के लिए अच्छे विपक्ष का होना आवश्यक है। अपनी अच्छाइयों और कमियों के साथ कांग्रेस का होना देश की आवश्यकता भी है। कोंग्रेस अब परिवारवाद से मुक्त नही हो सकती। यदि देश भर के वे कांग्रेसी संभावित लोग एकजुट हो जांय तो वह नई पार्टी भविष्य में पनप सकती है।।

वर्तमान कांग्रेस को परखने वाली नीति छोड़नी चाहिए। राहुल ने जयपुर चिंतन शिविर में सत्ता को ज़हर बताया था। राहुल अच्छे आदमी हैं इसमें कोई दो राय नही लेकिन राहुल में राष्ट्रीय नेतृत्व की सूझबूझ और निर्णय की क्षमता नही है। प्रियंका वाड्रा के पति पर पड़े छींटे उसका पीछा करते रहेंगे। इस चिंतन शिविर की अंदरूनी बातें बाहर नही आई लेकिन सुगबुगाहट है कि राहुल गांधी को फिर से अध्यक्ष बनाया जा सकता है। अब सोचने की बात यह भी है कि चिंतन शिविर झीलों की नगरी उदयपुर में हो या दिल्ली के तालकटोरा में। बदल क्या रहा है?
बात पुरानी है।गणित के एक प्रोफ़ेसर थे। परिवार सहित नदी पार करनी थी। उन्होंने नदी में पानी के बहाव का माध्य निकाला जिससे यह जानकारी मिली कि पानी की औसत गहराई एक फीट है। वे एक एक कर एक बेटा बेटी और पत्नी को लेकर नदी पार कराने लगे। बीच मे बहाव तेज था। एक एक कर तीनों बह गए। प्रोफेसर साहब फिर तट पर आए, फिर हिसाब लगाया जोर से बाल खींचते हुए चिल्लाए “नदी का पानी ज्यों का त्यों तो कुनबा डूबा क्यों?”

लेखक परिचय -श्री पार्थसारथि थपलियाल,
वरिष्ठ रेडियो ब्रॉडकास्टर, सनातन संस्कृति सेवी, चिंतक, लेखक और विचारक। (आपातकाल में लोकतंत्र बचाओ संघर्ष समिति के माननीय स्वर्गीय महावीर जी, तत्कालीन विभाग प्रचारक, शिमला के सहयोगी)

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