आगरा की बेगम मस्जिद की सीढ़ियों में दबे हैं केशव देव ? याचिका दायर…. मस्जिद में आवाजाही रोकने की मांग

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 31मई। दैनिक जागरण-अमर उजाला और आज तक की खबर के मुताबिक मथुरा अदालत में श्री कृष्ण जन्मस्थान मामले में वादी महेंद्र प्रताप सिंह ने एक याचिका दाखिल की है ।

-याचिका के मुताबिक 1670 में औरंगजेब ने मथुरा के श्री कृष्ण जन्मस्थान पर स्थित ठाकुर केशव देव मंदिर को तोड़ दिया था और वहां मंदिर के श्री विग्रह और देवी देवताओं की मूर्तियों को आगरा भिजवा दिया था । इन मूर्तियों को आगरा में मौजूद बेगम साहिबा की मस्जिद की सीढ़ियों में दबा दिया गया ताकी मुसलमानों द्वारा नमाज पढ़ने के लिए जाते वक्त हिंदू आस्था का अपमान होता रहे !

-याचिका में मांग की गई है कि लोग बेगम साहिबा की मस्जिद में नमाज पढ़ने आते हैं । ऐसे में देवी देवताओं के विग्रह उनके पैरों तले कुचले ले जाते हैं इससे लोगों की भावनाएं आहत होती हैं। महेंद्र प्रताप ने अपनी याचिका में कहा कि सर्वे करवाकर मूर्तियों को निकलवाया जाए । और तब तक वहां नमाज पढ़ने के लिए लोगों की आवाजाही पर रोक लगाई जाए ताकी हिंदू आस्था का अपमान ना हो ।

क्या आगरा की बेगम मस्जिद की सीढ़ियों में मूर्तियों को दबाया गया ? सच क्या है ?

– दिल्ली के बादशाह औरंगजेब के दरबार में इतिहासकार रहे साकी मुस्तैइद खां ने अपने ग्रंथ मासिर-ए-आलमगिरी में इस घटना का पूरा वर्णन लिखा है… जो लिखा है वो हू ब हू नीचे दिया जा रहा है…

“27 जनवरी 1670 को रमजान महीने की 14 तारीख थी । न्याय के संस्थापक और कुफ्र को उखाड़ फेंकने वाले औरंगजेब ने मथुरा के प्रसिद्ध केशव राय के मंदिर को नष्ट करने का आदेश दिया । बहुत थोड़े से समय में ही कुफ्र की मजबूत नींव को बहुत जबरदस्त मेहनत के साथ नष्ट कर दिया और उसकी जगह एक बुलंद मस्जिद खूब पैसा खर्च करके बना दी गई । अल्लाह में बादशाह की आस्था को देखकर बड़े बड़े हिंदू राजाओं का गर्व दब गया । ये राजा दीवारों पर छपे चित्र के समान खड़े रह गए । मथुरा का नाम बदलकर इस्लामाबाद कर दिया गया । मंदिर में स्थापित हुई रत्नजड़ित बड़ी छोटी मूर्तियों को आगरा की बेगम मस्जिद की सीढ़ियों में दफन कर दिया गया ताकी आने जाने उन मूर्तियों को रौंदते हुए जाएं ”

– यानी अगर हम दावों की बात करें तो निश्चित रूप से ऐतिहासिक रूप से हिंदू पक्ष के पास अत्यंत पुख्ता प्रमाण हैं । कहा जाता है कि ये मस्जिद शाहजहां की बेटी जहांआरा बेगम ने बनवाई थी । 1643 में इस मस्जिद का निर्माण शुरू हुआ था और 1648 में इस मस्जिद का निर्माण पूरा हुआ था ।

-सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई है जिसमें अदालत से ये अपील की है कि देश में 100 साल से ज्यादा पुरानी मस्जिदों के वजूखाने की जांच की जाए और ये देखा जाए कि कहीं इसमें कोई हिंदू प्रतीक तो नहीं है ।

-देश में हिंदू मुगलों से हुई ऐतिहासिक भूलों का सुधार करना चाहता है लेकिन देश का मुसलमान शायद खुद को मुगलों से अलग नहीं कर पा रहा है क्योंकि जमीयत के अध्यक्ष महमूद मदनी मंच पर रोते हुए ये कह रहे थे कि मुसलमानों पर जुल्म किया जा रहा है । इसे विक्टिम कार्ड कहा जा रहा है जिससे काफी सावधान रहने की आवश्यकता है !

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