छत्तीसगढ़ अपडेट- राज्यपाल अनुसुईया उइके- राज्यपाल उइके को छत्तीसगढ़ की फिल्म पत्रिका ‘मिसाल’ का विशेष अंक भेंट
समग्र समाचार सेवा
रायपुर, 15जुलाई। राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके से राजभवन में छत्तीसगढ़ फिल्म उद्योग के प्रमुख व्यक्तियों ने सौजन्य भेंट की। भेंटकर्ताओं में फिल्म निर्देशक श्री सतीश जैन, फिल्म निर्देशक श्री मनोज वर्मा, श्री अनिरूद्ध दुबे, श्री संतोष जैन एवं डॉ. अजय सहाय उपस्थित थे। भेंट के दौरान राज्यपाल से छत्तीसगढ़ फिल्म उद्योग एवं ‘भूलन द मेज‘ फिल्म के निर्माण की रोचक जानकारियां साझा की। सुश्री उइके ने कहा कि उन्हें छत्तीसगढ़ की भाषा, संस्कृति और फिल्मों से काफी लगाव है और वे इससे संबंधित साहित्य का काफी रूचि से अध्ययन करती हैं।
राज्यपाल को श्री अनिरूद्ध दुबे ने छत्तीसगढ़ की फिल्म पत्रिका ‘मिसाल’ का विशेष संस्करण भेंट किया। उन्होंने बताया कि यह संस्करण छत्तीसगढ़ की राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त फिल्म ‘भूलन द मेज’ पर आधारित है। उन्होंने बताया कि यह पत्रिका गत 10 वर्षों से उनके द्वारा संपादित की जा रही है। सुश्री उइके ने ‘भूलन द मेज’ फिल्म देखने की इच्छा जाहिर की। सुश्री उइके ने छत्तीसगढ़ फिल्म उद्योग की उत्तरोत्तर प्रगति की कामना की और शुभकामनाएं दी।
राज्यपाल सुश्री उइके जैन समाज के विशु़द्ध वर्षायोग 2022 कार्यक्रम में हुईं शामिल
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके आज रायपुर के श्री खण्डेलवाल दिगम्बर जैन मंदिर में आयोजित विशुद्ध वर्षायोग कार्यक्रम में शामिल हुईं। राज्यपाल ने सर्वप्रथम खण्डेलवाल जैन मंदिर में पहुंचकर जैन धर्म के सभी तीर्थंकरों के दर्शन कर छत्तीसगढ़ राज्य की खुशहाली एवं प्रगति की कामना की। इसके बाद राज्यपाल ने कार्यक्रम स्थल विशुद्ध देशना मण्डप पहुंचकर दिगम्बर जैन संत आचार्य विशुद्ध सागरजी महाराज सहित समस्त जैन संतों के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लिया। साथ ही राज्यपाल सुश्री उइके ने श्री विराग जी महाराज के चित्र का अनावरण भी किया।
राज्यपाल सुश्री उइके ने इस अवसर पर जैन समाज को संबोधित करते हुए कहा कि पूरे छत्तीसगढ़ के लिए यह गर्व का विषय है कि जैन संत आचार्य विशुद्ध सागरजी महाराज अपने शिष्यों सहित छत्तीसगढ़ की धरा में पधार कर यहां पर चातुर्मास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जैन धर्म हमें समानता, आत्मनियंत्रण, त्याग तथा सद् आचरण की शिक्षा देता है। साथ ही उन्होंने कहा कि कभी भी समाज में किसी भी प्रकार की आपदा-संकट की स्थिति आती है, जैन समाज सदैव सामने आता है और खुले मन से दीनदुखियों की मदद करता है। वे किसी भी पद पर हों या धन-धान्य से परिपूर्ण हों परन्तु जब समाज को उनकी जरूरत होती हैै, वे बड़ा से बड़ा त्याग कर समाज के लिए कार्य करते हैं। उनकी इसी सेवा भावना के कारण ही वे समाज में निरंतर प्रगति कर रहे हैं और हर क्षेत्र में ऊंचाईयों में स्थापित हैं।
उन्होंने कहा कि जैन संत और उनके अनुयायी महावीर स्वामी द्वारा बताए गए सिद्धांतों को जीवन में उतारते हैं और उसी के अनुसार आचरण करते हैं। वे सदैव अहिंसा के मार्ग पर चलते हैं तथा जीव हत्या न हो, इस पर विश्वास करते हैं और उसके अनुसार ही कार्य भी करते हैं। वर्षा ऋतु में नये-नये सूक्ष्म जीवों की उत्पत्ति होती है और इस दौरान किसी भी प्रकार की जीव हत्या न हो, इस कारण जैन मुनि एक ही जगह पर रूक कर चातुर्मास का आयोजन कर अपनी धार्मिक क्रियाओं को संपन्न करते हैं।
उन्होंने कहा कि इस दौरान किए गए कर्म और विभिन्न धार्मिक क्रियाओं से आसपास के वातावरण में शुद्धता आती है और शांति व सद्विचारों का वातावरण निर्मित होता है। साथ ही समाज के लोगों को यह संदेश मिलता है कि हम अपने जीवन को किस प्रकार अच्छे कार्यों में लगाएं, जिससे पूरे देश और प्रदेश में शांति, खुशहाली और भाईचारे का वातावरण निर्मित हो।
इस दौरान राज्यपाल ने दैनिक विश्व परिवार समाचार पत्र के विशेषांक का विमोचन किया। साथ ही इस विशिष्ट अवसर पर जैन समाज ने राज्यपाल सुश्री उइके को सम्मान स्वरूप प्रतीक चिन्ह और दिगम्बराचार्य विशुद्ध सागर विरचित ताम्रपत्र में अंकित ‘‘सत्यार्थ बोध’’ नीति ग्रंथ भेंट की।
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके से वीणा शेन्द्रे ने की सौजन्य मुलाकात
आज राजभवन में राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके से सुश्री वीणा शेन्द्रे ने मुलाकात की। इस अवसर पर सुश्री शेन्द्रे ने थर्ड जेन्डर समुदाय के समस्याएं एवं उनकी समाजिक परिस्थितियों पर चर्चा की।
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके से डॉ. शैलेन्द्र कुमार सिंह ने की मुलाकात
आज राजभवन में राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके से शहीद महेन्द्र कर्मा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. शैलेन्द्र कुमार सिंह ने मुलाकात की।
राज्यपाल सुश्री उइके ने राजभवन में किया वृक्षारोपण
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने आज गुरू पूर्णिमा के पावन अवसर पर राजभवन परिसर में मौलश्री पौधे का रोपण किया। साथ ही योगी स्वामी महेश, राज्यपाल के सचिव श्री अमृत कुमार खलखो, राज्यपाल के विधिक सलाहकार श्री राजेश श्रीवास्तव और उप सचिव श्री दीपक कुमार अग्रवाल ने भी राजभवन परिसर में अमलतास, कचनार और झारूल पौधों का रोपण किया।
इस अवसर पर राज्यपाल सुश्री उइके ने राज्य के समस्त जनता से आह्वान किया है कि पर्यावरण को स्वच्छ एवं सुरक्षित रखने के लिए अधिक से अधिक पौधों का रोपण करें एवं उनकी सेवा करने का संकल्प लें।
मेडिटेशन से मिलती है मानसिक तनाव से मुक्ति, दृष्टिकोण होता है सकारात्मक: सुश्री उइके
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके राजभवन में आयोजित ध्यान-सत्र में हुई शामिल
आज राजभवन के दरबार हॉल में गुरू पूर्णिमा के अवसर पर विशेष ध्यान सत्र का आयोजन किया गया। इस ध्यान सत्र में राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने राजभवन के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा कि यह बड़ी खुशी की बात है कि गुरू पूर्णिमा के इस पावन अवसर पर स्वामी महेश जी के सान्निध्य में यह मेडिटेशन शिविर का आयोजन किया गया है। उन्होने कहा कि ध्यान और योग हमारी प्राचीन संस्कृति की देन है। हमारे प्राचीन ग्रंथों में भी यह वर्णित है कि हमारे ऋषि-मुनि लंबे समय तक तपस्या कर अपनी आत्मिक शक्ति को जागृत करने के लिए योग किया करते थे। उन्होने कहा कि मेडिटेशन वह तपस्या है, जिससे हम अपने अंदर की ऊर्जा को जागृत कर सकते हैं।
राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि आधुनिक भाग-दौड़ भरी जिंदगी से हम कई तरह के मानसिक तनाव के दौर से गुजर रहे हैं। इससे अनेक बीमारियों की गिरफ्त में हम आ रहे हैं। युवा कम उम्र मे ही मानसिक अवसाद के दौर से गुजर रहे हैं। कोरोना काल में तो यह स्थिति और भी अधिक गंभीर हो गई हैं।
सुश्री उइके ने कहा कि जिंदगी की ऐसी तमाम मानसिक परेशानियों का मेडिटेशन से समाधान किया जा सकता है। मेडिटेशन ही इसकी ऐसी दवाई है, जो इसे पूरी तरह से ठीक कर सकती है। मेडिटेशन हमें मानसिक रूप से मजबूत बनाता है। इसके निरंतर अभ्यास से हम जीवन के तमाम तनाव और निराशाजनक स्थितियों से मुक्ति पा सकते हैं। यह हमारे दृष्टिकोण को सकारात्मक कर, हमें आशावादी बनाता है। वास्तव में यह मेडिटेशन हमारी ऊर्जा को ईश्वर से जोड़ता है।
उन्होने कहा कि यदि हमें स्वस्थ जीवन यापन करना है तो अपनी व्यस्त दिनचर्या से समय निकाल कर योग और ध्यान करना चाहिए। इसी के सहायता से हम मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहेंगे और अपने कर्तव्यों का अच्छे से निर्वहन कर पाएंगे।
योगी स्वामी महेश ने कहा कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए योग,प्राणायाम तथा ध्यान बेहद आवश्यक है। इनके द्वारा हम शरीर के ऊर्जा के संतुलन को बनाये रख सकते है। उन्होने कहा कि योग व ध्यान के माध्यम से हम अपने मन को नियंत्रित और स्वच्छ कर सकते हैं। स्वामी महेश ने शरीर के सात चक्रों के बारे में भी जानकारी दी और कहा कि योग साधना से इन चक्रों को जागृत कर हम अपनी शारीरिक क्षमता को बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा स्वामी महेश ने अधिकारियों एवं कर्मचारियों को अष्टांग योग के बारे में जानकारी देते हुए सभी से योग और ध्यान करने की अपील की ताकि हम एक बेहतर समाज बना सकें।
इस ध्यान सत्र में डॉ. अनिल गुप्ता ने हमारे प्राचीन वैदिक विज्ञान के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आधुनिक चिकित्सा पद्धति आवश्यक है, परन्तु हमारे शरीर की ऊर्जा, उसकी क्षमता में वृद्धि करने के लिए योग और ध्यान अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि हमारे शरीर के चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का एक आभामंडल होता है, जिसे योग साधना के द्वारा संतुलित रखा जा सकता है। डॉ. गुप्ता ने कहा कि चिप्स, गुटखा, शराब, तंबाकु जैसे उत्पादों के सेवन से हमारे शरीर का यह आभामंडल बुरी तरह प्रभावित होता है और हमारी क्षमता क्षीण होती है।
कार्यक्रम में राज्यपाल सुश्री उइके ने योगी स्वामी महेश को स्मृति चिन्ह एवं गमछा पहनाकर सम्मानित किया। स्वामी महेश ने भी राज्यपाल सुश्री उइके को गमछा पहनाकर सम्मानित किया। इस अवसर पर राज्यपाल के सचिव श्री अमृत कुमार खलखो, राज्यपाल के विधिक सलाहकार श्री राजेश श्रीवास्तव, राज्यपाल के उप सचिव श्री दीपक कुमार अग्रवाल सहित राजभवन के समस्त अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।
राज्यपाल ने श्रावण मास की शुभकामनाएं दी
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने देश एवं प्रदेशवासियों को श्रावण मास की हार्दिक शुभकामनाएं दी है। उन्होंने कहा है कि श्रावण मास भगवान शिव की आराधना का पर्व है। इस समय श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं। छत्तीसगढ़ के विभिन्न मंदिर देवालयों में भगवान महादेव की उपासना की जाती है। उन्होंने इस अवसर पर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की है।
राज्यपाल सुश्री उइके से क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी श्रीमती सुनीता पुरोहित ने की भेंट
‘मंजरी’ पत्रिका का किया विमोचन
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके से राजभवन में क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी श्रीमती सुनीता पुरोहित के नेतृत्व में प्रतिनिधिमण्डल ने मुलाकात की। इस अवसर पर क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय, रायपुर द्वारा प्रकाशित पत्रिका ‘मंजरी’ के द्वितीय अंक का विमोचन किया गया। राज्यपाल सुश्री उइके को श्रीमती पुरोहित ने क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय के कार्यों से संबंधित जानकारी दी। इस अवसर पर श्रीमती प्रग्ना आर. परमार, श्री संजीव कुमार, श्री अंशुमन शुक्ला, श्री मनोज बारला एवं श्री सुमित कुमार उपस्थित थे।
राज्यपाल को समाज कल्याण विभाग के संचालक श्री शर्मा ने ट्रांसजेंडर के लिए चलाई जा रही योजनाओं की दी जानकारी
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके से राजभवन में समाज कल्याण विभाग छत्तीसगढ़ शासन के संचालक श्री रमेश कुमार शर्मा ने भेंट की। साथ ही उन्होंने राज्यपाल को विभाग की गतिविधियों और ट्रांसजेंडर के लिए चलाए जा रहे योजनाओं की जानकारी दी।
राज्यपाल सुश्री उइके ने छत्तीसगढ़ अनधिकृत विकास का नियमितिकरण (संशोधन) विधेयक 2022 पर किए हस्ताक्षर
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने छत्तीसगढ़ अनधिकृत विकास का नियमितिकरण अधिनियम 2002 (क्र. 21 सन् 2002) में संशोधन के लिए प्रस्तुत विधेयक पर हस्ताक्षर किए हैं। छत्तीसगढ़ अनधिकृत विकास का नियमितिकरण (संशोधन) विधेयक 2022 के अनुसार छत्तीसगढ़ अनधिकृत विकास का नियमितिकरण अधिनियम 2002 (क्र. 21 सन् 2002) की धारा 04 की उपधारा (2) के खण्ड (पांच), मूल अधिनियम की धारा 6 की उप-धारा (1) में, मूल अधिनियम की धारा 7 की उप-धारा (1), मूल अधिनियम की धारा 9 की उप-धारा (2) तथा मूल अधिनियम की धारा 9 की उप-धारा (3) में संशोधन किया गया है।
विधेयक में छत्तीसगढ़ अनधिकृत विकास का नियमितिकरण अधिनियम 2002 के मूल अधिनियम की धारा 04 की उपधारा (2) के खण्ड (पांच) को प्रतिस्थापित करके नगर तथा ग्राम निवेश विभाग का जिले का प्रभारी अधिकारी/संयुक्त संचालक/उपसंचालक/सहायक संचालक किया गया हैै। अधिनियम के खण्ड(चार)(क) में निर्धारित प्रयोजन से भिन्न भूमि के उपयोग परिवर्तन करने पर उस क्षेत्र की भूमि के लिए वर्तमान में प्रचलित कलेक्टर गाईड लाईन दर का 5 प्रतिशत अतिरिक्त शास्ति लगाने का प्रावधान किया गया है। अधिनियम में प्रावधान किया गया है कि यदि अनधिकृत विकास निर्धारित पार्किंग हेतु आरक्षित भूखण्ड / स्थल पर किया गया हो, तो नियमितिकरण की अनुमति तभी दी जायेगी, जब आवेदक द्वारा पार्किंग की कमी हेतु निर्धारित अतिरिक्त शारित राशि का भुगतान कर दिया गया हो।
अधिनियम में कहा गया है कि दिनांक 01.01.2011 के पूर्व अस्तित्व में आये ऐसे अनधिकृत विकास/निर्माण, जिनकी भवन अनुज्ञा/विकास अनुज्ञा स्वीकृति हो, अथवा ऐसे अनधिकृत भवन, जिसके लिए संबंधित स्थानीय निकाय में शासन द्वारा निर्धारित दर से संपत्ति कर का भुगतान किया जा रहा हो, ऐसे भवनों में, यदि छत्तीसगढ़ भूमि विकास नियम, 1984 अथवा संबंधित नगर के विकास योजना के अनुरूप पार्किंग उपलब्ध नहीं है, तो पार्किंग हेतु निम्नानुसार अतिरिक्त शास्ति राशि दिये जाने पर, भवन का नियमितिकरण इस प्रकार किया जा सकेगा कि पार्किंग में 25 प्रतिशत कमी होने पर प्रत्येक कार स्थान हेतु पचास हजार रूपये, 25 प्रतिशत से अधिक एवं 50 प्रतिशत तक प्रत्येक कार स्थान हेतु एक लाख रूपये,50 प्रतिशत से अधिक एवं 100 प्रतिशत तक प्रत्येक कार स्थान हेतु दो लाख रूपये का प्रावधान किया गया है। नए प्रावधानों के अनुसार दिनांक 01.01.2011 अथवा उसके पश्चात् अस्तित्व में आये ऐसे अनधिकृत विकास / निर्माण, जिनकी भवन अनुज्ञा/विकास अनुज्ञा स्वीकृति हो, अथवा ऐसे अनधिकृत भवन, जिनके लिए संबंधित स्थानीय निकाय में शासन द्वारा निर्धारित दर से संपत्ति कर का भुगतान किया जा रहा हो, ऐसे भवनों में, यदि छत्तीसगढ़ भूमि विकास नियग, 1984 अथवा संबंधित नगर के विकास योजना के अनुरूप पार्किंग उपलब्ध नहीं है, तो पार्किंग हेतु अतिरिक्त शास्ति राशि दिये जाने पर, भवन का नियमितिकरण इस प्रकार किया जा सकेगा कि पार्किंग में 25 प्रतिशत तक कमी होने पर प्रत्येक कार स्थान हेतु पचास हजार रूपये, 25 प्रतिशत से अधिक एवं 50 प्रतिशत तक प्रत्येक कार स्थान हेतु एक लाख रूपये का प्रावधान किया गया है। खण्ड (चार) में कहा गया है कि शमन योग्य पार्किंग की गणना इस प्रकार की जायेगी कि 500 वर्ग मीटर तक आवासीय क्षेत्र में पार्किंग हेतु उपलब्ध न्यूनतम क्षेत्रफल प्रति कार स्थान (ईसीएस) के आधार पर निरंक होगी जबकि 500 से अधिक क्षेत्र होने पर पार्किंग हेतु उपलब्ध न्यूनतम क्षेत्रफल प्रति कार स्थान (ईसीएस) के आधार पर 50 प्रतिशत होगी। गैर आवासीय क्षेत्र में पार्किंग हेतु उपलब्ध न्यूनतम क्षेत्रफल प्रति कार स्थान (ईसीएस) के आधार पर निरंक होगी जबकि 500 से अधिक क्षेत्र होने पर पार्किंग हेतु उपलब्ध न्यूनतम क्षेत्रफल प्रति कार स्थान (ईसीएस) के आधार पर 50 प्रतिशत होगी।
प्रावधान में कहा गया है कि (ग) ऐसी गैर लाभ अर्जन करने वाली सामाजिक संस्थायें, जो लाभ अर्जन के उद्देश्य से स्थापित न की गई हो, के अनधिकृत विकास के प्रत्येक प्रकरण में शास्ति प्राक्कलित राशि के 50 (पचास प्रतिशत की दर से देय होगा । छत्तीसगढ़ भूमि विकास नियम, 1984 के नियम 39 में निर्धारित प्रावधान के अनुसार, मार्ग की चौड़ाई उपलब्ध नहीं होने के कारण, स्थल पर विद्यमान गतिविधियों में किसी प्रकार का लोकहित प्रभावित न होने की स्थिति में, नियमितीकरण किया जा सकेगा।
इसके अलावा मूल अधिनियम की धारा 7 की उप-धारा (1) के खण्ड (तीन) का लोप किया गया है। मूल अधिनियम की धारा 9 की उप-धारा (2) में, शब्द ‘‘अपील के लंबित रहने की अवधि में अपीलकर्ता अनधिकृत विकास के मासिक भाड़े की राशि, जैसा कि प्राधिकारी द्वारा निर्धारित की जावे, नियमित रुप से जमा करेगा.‘‘ के स्थान पर, शब्द ‘‘अपील के लंबित रहने की अवधि में अपीलकर्ता द्वारा अनधिकृत विकास के मासिक भाड़े की राशि, जो एक वर्ष से अनधिक अवधि का देय होगा, जैसा कि प्राधिकारी द्वारा निर्धारित की जाये, नियमित रूप से जमा करेगा। यह प्रावधान समस्त लम्बित एवं नवीन प्रकरणों पर प्रभावशील होगा‘‘ से प्रतिस्थापित किया गया है।
मूल अधिनियम की धारा 9 की उप-धारा (3) के परन्तुक के स्थान पर, निम्नलिखित से प्रतिस्थापित किया जाएगा ‘‘परंतु अपील के लंबित रहने की अवधि में, अपीलकर्ता अनधिकृत विकास के मासिक भाड़े की राशि, जैसा कि इस अधिनियम के अंतर्गत प्राधिकारी द्वारा निर्धारित किया गया हो, एक वर्ष से अनधिक अवधि के लिए जमा नियमित रूप से करेगा। यह समस्त लम्बित एवं नवीन प्रकरणों पर प्रभावशील होगा‘‘
राज्यपाल सुश्री उइके चातुर्मास कलश स्थापना कार्यक्रम में शामिल होंगी
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके 12 जुलाई 2022 को चातुर्मास कलश स्थापना कार्यक्रम में शामिल होंगी।
उल्लेखनीय है कि दिगंबर जैन संत आचार्य ने विशुद्ध सागर जी महाराज अपने शिष्यों के साथ प्रथम बार रायपुर मे चातुर्मास हेतु आ रहे है। चातुर्मास जैन धर्म का एक विशिष्ट पर्व हैै। जिसमें संतो और मुनियों द्वारा एक ही स्थान पर रहकर अनवरत साधना एवं पूजा पाठ की जाती हैं । इस वर्ष चातुर्मास 10 जुलाई से 3 नवम्बर तक मनाया जाएगा ।