समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 16जुलाई। ऑल्ट न्यूज़ वेबसाइट को-फाउंडर मोहम्मद ज़ुबैर के खिलाफ देश भर में धार्मिक भावनाओं को ठोस पहुंचाने जैसी धाराओं के तहत कुल सात मामले दर्ज हैं. इनमें से 6 मामले अकेले उत्तर प्रदेश में तो एक दिल्ली में दर्ज है. इन मामलों में से दिल्ली और यूपी के सीतापुर में दर्ज एक मामले में उनको जमानत मिल चुकी है. लेकिन फिर भी वह जेल से रिहा नही हो पाएंगे क्योंकि सात मामलों में चार मामलों में उन्हें हिरासत में लिया गया है. उनके लिए दिल्ली और सीतापुर में तो कुछ राहत मिली है, लेकिन जब-तक उन्हें यूपी के लखीमपुर खीरी और हाथरस केस में जमानत नहीं मिल जाती उनका जेल से बाहर आना नामुमकिन ही है.जब तक मोहम्मद जुबैर पर दर्ज सभी एफआईआर के एकसाथ सुनवाई का आदेश नहीं आ जाता तब-तक उनसे जेल से बाहर आना संभव नही है। पहली बार जुबैर को 27 जून 2022 को उनके 2018 में किए गए एक ट्वीट पर दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था.बाद में यूपी पुलिस में उनके खिलाफ दर्ज एक मामले में उनको रिमांड पर लिया था.
ऑल्ट न्यूज़ मोहम्मद जुबैर पर यूपी में छह तो दिल्ली में एक एफआईआर दर्ज हैं. यूपी में सीतापुर, हाथरस, लखीमपुर, खीरी, गाजियाबाद और मुज्जफर नगर में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हैं. इनमें से चार मामलों में उन्हें हिरासत में लिया गया है.इनमें दिल्ली,सीतापुर, हाथरस और लखीमपुर खीरी के मामले हैं. हिरासत वाले चार मामलों में से सीतापुर और अब दिल्ली मामले में उनको जमानत मिल चुकी है, लेकिन इसके बाद भी उनका जेल से निकलना तभी संभव हो पाएगा, जब उन्हें लखीमपुर खीरी और हाथरस केस में भी जमानत मिलेगी.हालांकि जुबैर ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका डाली है. इसमें उन्होंने यूपी में उन पर दर्ज 6 एफआईआर को रद्द करने की अपील के साथ ही यूपी में उनके खिलाफ गठित एसआईटी की (SIT) को चुनौती दी है.
दिल्ली में दर्ज केस में मिली जमानत
ऑल्ट न्यूज के को-फाउंडर को दिल्ली में दर्ज केस में शुक्रवार 15 जुलाई को राहत मिल गई है.पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश देवेंद्र कुमार जांगला की अदालत ने जुबैर को 50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत देने का आदेश दिया है.हालांकि अदालत ने कहा कि वह न्यायिक अधिकारी की पहले से अनुमति लिए बगैर देश नहीं छोड़ सकते हैं. हालांकि उनकी जमानत का दिल्ली पुलिस ने विरोध किया था. इससे पहले गुरुवार 14 जुलाई को अदालत ने अभियोजन व बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था.
सीतापुर में मिली जमानत
पहली बार जुबैर को 27 जून 2022 को उनके 2018 में किए गए एक ट्वीट पर दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया. इस ट्वीट के जरिए दिल्ली पुलिस ने धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया था. इसके एक हफ्ते बाद ही उत्तर प्रदेश की सीतापुर पुलिस ने ट्विटर पर साधुओं के खिलाफ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में उनका रिमांड मांगा था. सुप्रीम कोर्ट ने 8 जुलाई को सीतापुर वाले मामले में जुबैर को पांच दिन की अंतरिम जमानत दे दी थी. यह जमानत उन्हें जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जेके माहेश्वरी की अवकाशकालीन पीठ ने दे दी थी. उन्हें इस शर्त पर जमानत दी गई थी कि वो आगे कोई ट्वीट नहीं करेंगे.इसके बाद जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सीतापुर मामले में उनकी अंतरिम जमानत 12 जुलाई को अगले आदेश तक बढ़ा दी थी. कोर्ट ने यूपी सरकार को 4 हफ्ते में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है. इस मामले की अगली सुनवाई 7 सितंबर को होगी.
हाथरस कोर्ट और लखीमपुर खीरी में खारिज हुई जमानत अर्जी
उधर गुरुवार 14 जुलाई को हाथरस कोर्ट ने ऑल्ट न्यूज के को फाउंडर मोहम्मद जुबैर के खिलाफ जिले में 2018 में दर्ज दो मामलों में सुनवाई की. उन पर यह मामले धार्मिक भावना भड़काने पर दर्ज किए गए थे. इन मामलों पर पर कोर्ट ने 27 जुलाई तक जुबैर को न्यायिक हिरासत में भेजने के साथ ही उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी. उन्हें 14 दिन की न्यायायिक हिरासत में भेजा गया. यहां जुबैर पर नूपुर शर्मा की एक “संपादित क्लिप” ट्वीट करने को लेकर मामला दर्ज है.
लखीमपुर खीरी पुलिस ने जुबैर के खिलाफ 2021 में दुश्मनी को बढ़ावा देने पर दर्ज एक एफआईआर के तहत अदालत में पेश होने के लिए वारंट भेजा था. उनके खिलाफ यह मामला 25 नवंबर को एक लोकल पत्रकार ने दर्ज किया था. पत्रकार ने अपने चैनल के इसराइल-फिलिस्तीन विवाद के कवरेज के बारे में लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए यह मामला दर्ज कराया था. इसी को लेकर लखीमपुर खीरी की एक अदालत ने उन्हें तलब किया था.सोमवार 11 जुलाई को जुबैर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश हुए थे.अभियोजन पक्ष ने उनकी पुलिस हिरासत की मांग की थी और अदालत ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया.