पार्थसारथि थपलियाल।
माननीय जे. नंदकुमार जी ने अपना उद्बोधन क्रांतिकारी तारकनाथ दास को स्मरण करते हुए किया। उन्होंने पूछा आज किस क्रांतिकारी का जन्मदिन है? उत्तर न मिलता देख, बोले आज (15 जून 1884 को) बंगाल में जन्मे क्रन्तिकारी तारकनाथ दास जन्मदिन है। तारकनाथ दास भारतीय स्वाधीनता संग्राम के महान क्रांतिकारी थे। मा. जे.नंदकुमार जी तत्कालीन रूसी साहित्यकार लियो टॉलस्टॉय को तारकनाथ दास के लिखे पत्र का स्मरण किया, जिसमें तारकनाथ दास ने लिखा था कि हिन्दू संकीर्ण नही है। हम बसुधैवकुटुम्बकं की धारणा में विश्वास रखते हैं। यह उत्तर गांधी जी को भी अच्छा लगा।
भारत को अंग्रेजों से मुक्त करने में अनेक अज्ञात क्रांतिकारियों का योगदान है। यह दूसरी बात है उनके योगदान को महत्व नही दिया गया। इस वर्ष भारत अपनी स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मना रहा है। यह अवसर है हम सही मंतव्य (Narrative) स्थापित करें। वैसे भी सत्ता ऐसे ही करती है। जब सत्ताधारी स्वयं अपनी बड़ी रेखा स्थापित नही कर पाते हैं, तब बड़ी रेखा को काट कर छोटा कर दिया जाता है। पहले ब्रिटिश शासकों ने ऐसा ही किया बाद में उनके भारतीय अनुयायियों ने वैसा ही किया। हमारे देश में इतिहास को इतना प्रदूषित किया गया कि भारत की स्वतंत्रता के लिए संग्राम कब शुरू हुआ यह भी ठीक ठीक नही बताया जाता। कोई कहता है 1885 ई. में तो कोई 1857 में मानता है। कूका आंदोलन (1871-1872ई.) की चर्चा नही होती। यह नामधारी सिखों का सशस्त्र विद्रोह था, जो अंग्रेज़ो द्वारा की जा रही गौ हत्या के विरोध में किया गया था। अंग्रेज़ों से पहले पुर्तगालियों के विरुद्ध युद्ध किया गया। सन 1600 ई. में पुर्तगालीयों के विरुद्ध युद्ध के महत्व को रेखांकित करते हुए रानी अम्बिका ने कहा था “जब देश खतरे में हो तब पत्नीधर्म से अधिक महत्व देशधर्म का है”। 1741 में डचों के विरुद्ध पूरे भारत में आंदोलन चलाया गया। हमारे वनवासी भील, संथाल आदि लोगों ने स्वाधीनता आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। भारतीय महिलाओं ने भी बढ़ चढ़ कर इस आंदोलन में भाग लिया। भारतीय इतिहास को पढ़ते हुए लगता है हमारे देश मे महान क्रांतिकारियों को वह स्थान नही मिला जिसके वे हकदार थे। भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चंद्रशेखर आज़ाद आदि सैकड़ों क्रांतिकारियों ने भारत की आज़ादी में अपना जीवन अर्पण कर दिया। नेताजी सुभाषचंद्र बोस के योगदान को निश्तेज कर दिया गया।
अंग्रेजों नें सर्वाधिक नुकसान हमारी शिक्षा व्यवस्था को पहुंचाया। शिक्षा व्यवस्था बदलने से संस्कृति को नुकसान हुआ। अंग्रेज़ तो चले गए, वे जाने से पहले भारतीय अंग्रेज़ स्थापित कर गए। 1947 में स्वाधीनता मिलने के बाद संविधान में वही बातें हैं जो अंग्रेजों ने सोची थी। स्वाधीन भारत इतना ही स्वाधीन है कि अंग्रेज़ अब भारतीय सत्ता में नही लेकिन कायदे कानून सब अंग्रेज़ो के शासनकाल के हैं। हमारा अपना स्व कहाँ है? क्या सारा तंत्र हमारा अपना हो पाया। इसमें भारतीय जीवन दृष्टि कितनी है? जिस जंबूद्वीप की बात, भरतखंड की बात हम सुनते हैं उसका क्या हुआ? सोचने की बात है अपना तंत्र बनाये बिना हम स्वतंत्र कैसे?
इस वर्ष हम स्वाधीनता का अमृतमहोत्सव मना रहे हैं। यह चिंतन का समय भी है संमीक्षा का भी कि पिछले 75 वर्षों में हमने क्या तरक्की की है? अशिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी, गरीबी, बेरोजगारी, ऐसी समस्याएं हैं जिन्हें राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर हल किया जाना है। इसके लिए लोगों का जागरुक होना आवश्यक है। ये तभी संभव है जब हम भारत देश को सम्मान दें, राष्ट्र और उसकी संस्कृति को सम्मान दें, प्रत्येक भारतीय के साथ हमारा आत्मीय बोध हो, राष्ट्र के प्रति हम एकात्मकता का भाव रखें, भारत के लिए हमारी धड़कनें एक साथ धड़कें। इससे आगे भारत का विश्वगुरु का मार्ग है। थोड़ा थोड़ा प्रयास करें। असंभव कुछ भी नही।
।।मंथन- “पंचनद :विमर्श का सांगोपांग सार” सम्पन्न।।
निवेदन- कुरुक्षेत्र में 14-15 जून 2022 को आयोजित पंचनद मंथन शिविर में बहुत सी प्रेरक बातें हुईं। कुछ ज्ञान लपक पाया कुछ ज्ञान छलक गया। स्मृतियों में जो ध्वनियां संग्रहित रही उन्ही को आप तक पहुंचाने का प्रयास किया। संभव है जिन आदरणीयों/स्नेहियों को मैंने शब्द चित्र भेजे कुछ ने अवश्य पढ़ें होंगे। कई माननीयों ने मुझे बल दिया। कुछ अन्य से मेरी आशा है कि जिन्होंने यह सीरीज पढ़ी है वे अपने भाव पंचनद के प्लेटफार्म पर अवश्य लिखें। उद्देश्य यह है कि पुनरावृति से ज्ञान स्थाई होता है।
कुरुक्षेत्र में आतिथ्य प्रदायक मित्रों का आभार, जिन्होंने दो दिन हमें अहसास नही होने दिया कि हम अपने घर से बाहर हैं।
आप सभी की स्मृतियां मेरी पूंजी बनी हैं। हम अपने उद्देश्य में सफल हों ऐसी कामना है। नमस्कार।।
भारत मां तेरी जय हो विजय हो
तू शुद्ध तू बुद्ध तू प्रेम आगार ,
तेरा विजय सूर्य माता उदय हो ।
आवे पुनः कृष्ण देखें दशा तेरी ,
अरविंद गोविंद बंदा की जय हो ।
तेरे लिए मृत्यु हो स्वर्ग का द्वार ,
शस्त्रों की झनझन में वीणा की लय हो ।
मेरा यह संकल्प पूरा करें ईश ,
राणा शिवाजी का फिर से उदय हो ।
भगवे तले आज हम राष्ट्र बंधु ,
गायें सभी मिल के मां तेरी जय हो ।