“गिफ्ट सिटी की परिकल्पना में देश के आम आदमी की आकांक्षाएं शामिल हैं”- पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने गांधीनगर में गिफ्ट सिटी में आईएफएससीए मुख्यालय की आधारशिला रखी
समग्र समाचार सेवा
गांधीनगर, 30जुलाई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गिफ्ट सिटी, गांधीनगर में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (आईएफएससीए) के मुख्यालय भवन की आधारशिला रखी। उन्होंने गिफ्ट-आईएफएससी में भारत का पहला अंतर्राष्ट्रीय बुलियन एक्सचेंज इंडिया इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज (आईआईबीएक्सएफ) का भी शुभारंभ किया। उन्होंने एनएसई आईएफएससी-एसजीएक्स कनेक्ट की भी शुरुआत की। इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्रभाई पटेल, केंद्रीय मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण, केंद्र सरकार और राज्य सरकार के मंत्री, राजनयिक, कारोबार के क्षेत्र के दिग्गज उपस्थित थे।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि यह दिन भारत की बढ़ती आर्थिक और तकनीकी ताकत और भारत के कौशल में बढ़ते वैश्विक विश्वास के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, “आज गिफ्ट सिटी में, इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विसेज सेंटर अथॉरिटी- आईएफएससी हेड क्वार्टर बिल्डिंग का शिलान्यास किया गया है। मुझे विश्वास है, ये भवन अपने आर्किटैक्चर में जितना भव्य होगा, उतना ही भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने के असीमित अवसर भी खड़े करेगा।” प्रधानमंत्री ने कहा कि आईएफएससी नवाचार को बढ़ावा देगा और विकास के लिए एक उत्प्रेरक के साथ-साथ उत्प्रेरक भी होगा। आज लॉन्च किए गए संस्थान और प्लेटफॉर्म 130 करोड़ भारतीयों को आधुनिक वैश्विक अर्थव्यवस्था से जुड़ने में मदद करेंगे। उन्होंने कहा, “भारत अब यूएसए, यूके और सिंगापुर जैसे दुनिया के उन देशों की कतार में खड़ा हो रहा है जहां से ग्लोबल फाइनेंस को दिशा दी जाती है।”
गिफ्ट सिटी की अपनी मूल अवधारणा का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि “गिफ्ट सिटी महज कारोबार करने के लिए नहीं है, बल्कि देश के आम आदमी की जो आकांक्षाएं हैं वो गिफ्ट सिटी के विजन का हिस्सा हैं। भारत के भविष्य का विजन गिफ्ट सिटी से जुड़ा है और भारत के सुनहरे अतीत के सपने भी इससे जुड़े हैं।”
प्रधानमंत्री ने याद किया कि 2008 में जब दुनिया आर्थिक संकट और मंदी का सामना कर रही थी, तब भारत में नीतिगत निष्क्रियता का माहौल था। उन्होंने कहा, “लेकिन, उस समय फिनटेक के क्षेत्र में गुजरात नए और बड़े कदम उठा रहा था। मुझे खुशी है कि आज वो आइडिया इतना आगे बढ़ चुका है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि गिफ्ट सिटी वाणिज्य और प्रौद्योगिकी के केंद्र के रूप में एक मजबूत पहचान बना रहा है। गिफ्ट सिटी वेल्थ और विजडम दोनों को सेलिब्रेट करता है। उन्हें ये देखकर भी खुशी हुई कि गिफ्ट सिटी के जरिए भारत विश्व स्तर पर सेवा क्षेत्र में अपनी एक मजबूत हिस्सेदारी के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि गिफ्ट सिटी एक ऐसा स्थान है जहां वेल्थ क्रिएशन हो रही है और दुनिया के सर्वश्रेष्ठ दिमाग यहां जुट रहे हैं और सीख रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “एक लिहाज से ये वित्त और व्यापार में भारत के गौरव को फिर से हासिल करने का एक जरिया भी है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें ये याद रखना होगा कि एक जीवंत फिनटेक क्षेत्र का मतलब सिर्फ एक आसान व्यापारिक माहौल, सुधार और नियमन भर नहीं है। ये विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले पेशेवरों को बेहतर जीवन और नए अवसर देने का भी जरिया है।
उन्होंने कहा कि संभवतः अतीत की गुलामी और कमजोर आत्मविश्वास के असर की वजह से, आजादी के बाद हमारा देश व्यापार और वित्त की अपनी गौरवशाली विरासत से कतराता रहा और दुनिया के साथ अपने सांस्कृतिक, आर्थिक और अन्य संबंधों को सीमित करता रहा। उन्होंने कहा, “हालांकि अब ‘न्यू इंडिया’ सोचने के इस पुराने तरीके को बदल रहा है और आज समन्वय हमारे सबसे महत्वपूर्ण एजेंडों में से एक है। हम एक वैश्विक बाजार और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के साथ तेजी से एकीकरण कर रहे हैं। गिफ्ट सिटी भारत के साथ-साथ वैश्विक अवसरों से जुड़ने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रवेश द्वार है। जब आप गिफ्ट सिटी के साथ जुड़ जाते हैं, तो आप पूरी दुनिया से जुड़ जाते हैं।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। इसलिए भविष्य में जब हमारी अर्थव्यवस्था आज की तुलना में बड़ी होगी, तो हमें इसके लिए अभी से तैयार रहना होगा। इसके लिए हमें ऐसे संस्थानों की जरूरत है जो वैश्विक अर्थव्यवस्था में हमारी वर्तमान और भविष्य की भूमिका में योगदान दे सकें। उन्होंने कहा कि इंडिया इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज-आईआईबीएक्स उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने भारतीय महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण को सुनिश्चित करने में सोने की भूमिका का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत की पहचान सिर्फ एक बड़े बाजार तक सीमित नहीं रहनी चाहिए बल्कि इसे ‘बाजार निर्माता’ होना चाहिए। उन्होंने कहा, “एक तरफ हम स्थानीय तरक्की के लिए वैश्विक पूंजी ला रहे हैं। दूसरी ओर, हम वैश्विक कल्याण के लिए स्थानीय उत्पादकता का भी उपयोग कर रहे हैं।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की ताकत निवेशकों को अच्छा रिटर्न देने से भी कहीं आगे जाती है। उन्होंने विस्तार से कहा, “ऐसे समय में जब वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला अनिश्चितता से ग्रस्त है और दुनिया इस अनिश्चितता से आशंकित है, तब भारत दुनिया को गुणवत्तापूर्ण उत्पादों और सेवाओं का आश्वासन दे रहा है।” प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “मुझे नए भारत के इन नए संस्थानों से, इन नई व्यवस्थाओं से खासी उम्मीदें हैं और मुझे आप पर पूरा भरोसा है। आज 21वीं सदी में वित्त और प्रौद्योगिकी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। और जब प्रौद्योगिकी, विज्ञान और सॉफ्टवेयर की बात आती है तो भारत के पास बढ़त भी है और उसके साथ अनुभव भी है।” प्रधानमंत्री ने फिनटेक क्षेत्र में भारत की लीडरशिप को रेखांकित करते हुए, गिफ्ट सिटी के हितधारकों से फिनटेक पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा। उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद है कि आप सभी फिनटेक में नए इनोवेशन को लक्ष्य करेंगे और गिफ्ट आईएफएससी फिनटेक की वैश्विक प्रयोगशाला के रूप में उभरेगा।”
प्रधानमंत्री द्वारा व्यक्त की गई दूसरी अपेक्षा गिफ्ट आईएफएससी के टिकाऊ और जलवायु परियोजनाओं के लिए वैश्विक ऋण एवं इक्विटी पूंजी का प्रवेश द्वार बनने के बारे में थी। तीसरी बात, आईएफएससीए को एयरक्राफ्ट लीजिंग, शिप फाइनेंसिंग, कार्बन ट्रेडिंग, डिजिटल करेंसी और निवेश प्रबंधन के आईपी अधिकारों के क्षेत्र में वित्तीय नवाचारों को अपनाने की दिशा में काम करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा, “आईएफएससीए को न सिर्फ भारत में बल्कि दुबई और सिंगापुर जैसे देशों की तुलना में विनियमन एवं संचालन लागत को प्रतिस्पर्धी बनाना चाहिए। “आपका उद्देश्य विनियमन के क्षेत्र में अग्रणी बनना, कानून के शासन के लिए उच्च मानक निर्धारित करना और दुनिया के पसंदीदा मध्यस्थता केन्द्र के रूप में उभरना होना चाहिए।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले आठ सालों में देश ने वित्तीय समावेशन की एक नई लहर देखी है। यहां तक कि गरीब से गरीब भी आज औपचारिक वित्तीय संस्थानों से जुड़ रहा है। उन्होंने कहा कि आज जब हमारी एक बड़ी आबादी वित्त व्यवस्था से जुड़ गई है, तो यह समय की मांग है कि सरकारी संस्थाएं और निजी क्षेत्र मिलकर कदम आगे बढ़ाएं। प्रधानमंत्री ने बुनियादी बैंकिंग से ऊपर जाकर वित्तीय साक्षरता बढ़ाने का आह्वान किया क्योंकि लोग विकास के लिए निवेश करना चाहते हैं।