आज़ादी का अमृत महोत्सव: फटे और पुराने तिरंगे का क्या किया जाता है? जानें राष्ट्रीय ध्वज को लेकर नियम
हर घर तिगंगा: पूरे देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. सरकार की अपील पर लोग अपने घरों में तिरंगा झंडा फहरा रहे हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि अगर तिरंगा झंडा फट गया हो या किसी भी तरह से खंडित हो गया हो तो उसका क्या किया जाता है?
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 13अगस्त। 15 अगस्त को भारत आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा. इसे आजादी के अमृत महोत्सव के नाम से देशभर में सेलिब्रेट किया जा रहा है. सरकार ने हर घर तिरंगा योजना शुरू की है. इस योजना के तहत प्रधानमंत्री मोदी ने सभी देशवासियों से अपने घरों में भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा लगाने की अपील की है. तिरंगा हमारे देश की आन बान शान है. लेकिन इसे फहराने के कुछ नियम भी हैं. ज्यादातर लोगों को ये तो पता है कि तिरंगा कैसे फहराना है लेकिन पुराने तिरंगा झंडा का क्या करना है ये कम ही लोग जानते हैं. इसके अलवा अगर किसी वजह से राष्ट्रीय ध्वज फट गया हो या किसी भी तरह से खंडित हो गया हो तो उसके निपटान को लेकर भी कुछ नियम बने हैं. आइए इनके बारे में बताते हैं.
खंडित तिरंगा का क्या करें?
आपको बता दें कि भारतीय ध्वज संहिता के खंड 2.2 के अनुसार, यदि तिरंगा झंडा क्षतिग्रस्त हो या बदरंग हो जाए या फिर कट फट जाए तो उसे अलग ले जाकर पूरी तरह नष्ट कर देना चाहिए. यानी एक तरह से जलाकर या फिर किसी ऐसे तरीके से, जिसमें कि राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा को कोई ठेस ना पहुंचे. तिरंगे झंडे को पवित्र नदी में जल समाधि भी दी जा सकती है. फटा या गंदा तिरंगा झंडा फहराना अपराध है अगर कोई ऐसा करता है तो उसे 3 साल की सजा हो सकती है.
कागज के तिरंगा के लिए है ये नियम
स्वतंत्रता दिवस या अन्य किसी राष्ट्रीय पर्व पर स्कूलों में बच्चे कागज के तिरंगा लेकर जाते हैं. आपको बता दें कि इसे लेकर भी कड़े नियम हैं. इन झंडों को कभी भी जमीन पर नहीं फेंकना चाहिए. इस झंडे को राष्ट्र ध्वज की गरिमा को ध्यान रखते हुए अलग ले जाकर त्याग देना चाहिए. आप कागज के तिरंगे को पानी में भी समर्पित कर सकते हैं.
शहीदों पर चढ़ाए तिरंगे का क्या होता है?
इसके अलावा आपने देखा होगा कि सैनिक के शहीद होने पर उसके पार्थिव शरीर पर तिरंगा झंडे को चढ़ाया जाता है. लेकिन कई लोगों के मन में ये सवाल जरूर आता होगा कि बाद में इस तिरंगे का क्या होता है? आपको बता दें कि शहीदों के शरीर से उतारे गए तिरंगे झंडे को गोपनीय तरीके से सम्मान के साथ जला दिया जाता है या नदी में समाधि दी जाती है.