प्लास्टिक प्रदूषण पर वैश्विक कार्रवाई को आगे बढ़ाने के लिए सरकार के सहयोग से कंपोस्टेबल प्लास्टिक की अवधारणा को आगे बढ़ाया जाएगा : डॉ जितेंद्र सिंह

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 17अगस्त। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने आज “कम्पोस्ट किए जाने योग्य (कंपोस्टेबल)” प्लास्टिक के व्यावसायीकरण के लिए मैसर्स टीजीपी बायोप्लास्टिक्स को 1 करोड़ 15 लाख रुपये के स्टार्टअप ऋण को मंजूरी दी और इस तरह सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) के उपयोग को भी कम करने की दिशा में कदम बढ़ाया गया।

कंपोस्टेबल प्लास्टिक के निर्माण और व्यावसायीकरण के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत एक सांविधिक निकाय प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड तथा मैसर्स टीजीपी बायोप्लास्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड, सतारा, महाराष्ट्र के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

डॉ जितेंद्र को अवगत कराया गया कि यह स्टार्टअप एकल उपयोग (सिंगल यूज प्लास्टिक – एसयूपी) के वैकल्पिक समाधान के साथ आया है जिसमें एक कंपोस्टेबल प्लास्टिक सामग्री के उपयोग का प्रोटोटाइप है जो पर्यावरण को प्रभावित किए बिना मिट्टी में खाद के रूप में टूट कर मिल जाता है। इस अनूठी परियोजना को प्रोटोटाइप विकास के लिए निधि (एनआईडीएचआई) प्रयास (डीएसटी), नीति आयोग और संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (यूएनआईडीओ) के तहत सीड फंडिंग सहायता प्राप्त हुई है।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के आह्वान के अनुरूप ही भारत ने पहचान की गई एकल उपयोग वाली ऐसी प्लास्टिक वस्तुओं के उत्पादन (निर्माण), आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर 1 जुलाई, 2022 से पूरे देश में प्रतिबंध लगा दिया है, जिनकी उपयोगिता कम है और जिनसे में उच्च मात्रा में कूड़े की संभावना बनती है। मंत्री महोदय ने कहा कि प्लास्टिक प्रदूषण पर वैश्विक कार्रवाई किए जाने के लिए सरकार के समर्थन के साथ कंपोस्टेबल प्लास्टिक की अवधारणा को आगे बढ़ाया जाएगा।

डॉ जितेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि टीजीपी बायोप्लास्टिक्स द्वारा कंपोस्टेबल प्लास्टिक का निर्माण और व्यावसायीकरण 5 जुलाई, 2022 से पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए देशव्यापी समुद्र तटीय सफाई अभियान के साथ अच्छी तरह से मेल खाता है। उन्होंने कहा कि यह 75 दिनों का लम्बा अभियान “स्वच्छ सागर, सुरक्षित सागर” के बारे में जागरूकता बढाएगा और इसका समापन 17 सितंबर 2022 को “अंतर्राष्ट्रीय तटीय सफाई दिवस” ​​​​को उस समय होगा जब 75,000 लोगों, छात्रों, नागरिक समाज के सदस्यों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं को समुद्र तटों से 1,500 टन कचरे को हटाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एकत्रित किया जाएगा। यह कचरा भी मुख्य रूप से सिंगल यूज प्लास्टिक ही है।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि कूड़े के रूप में पड़े हुए एकल उपयोग (सिंगल यूज प्लास्टिक- एसयूपी) सामग्री के प्रतिकूल प्रभावों के बारे में विश्व स्तर पर जानकारी प्राप्त है और भारत सरकार कूड़े वाले सिंगल यूज प्लास्टिक के कारण होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए ठोस कदम उठा रही है । उन्होंने कहा कि मार्च 2022 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा के 5वें सत्र के दौरान भी भारत प्लास्टिक प्रदूषण पर वैश्विक कार्रवाई चलाने के संकल्प पर आम सहमति विकसित करने के लिए सभी सदस्य देशों के साथ रचनात्मक रूप से जुड़ा रहा था। भारत सरकार केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के माध्यम से एसयूपी के उन्मूलन की अत्यधिक आवश्यकता के प्रति जागरूकता पैदा करने के उपाय कर रही है और इसके लिए उद्यमियों (स्टार्टअप, एमएसएमई तथा अन्य उद्योगों, केंद्र, राज्य और स्थानीय सरकारों, अनुसंधान एवं विकास और शैक्षणिक संस्थानों तथा नियामक निकायों एवं नागरिकों को एक साथ लाया गया है।

वर्तमान काल में बाजार में बहुत कम विखंडनीय सामग्री/कम्पोजिट्स उपलब्ध हैं। उन में से भी कच्चे माल के लिए ज्यादातर की कीमत रुपये 280 रूपये प्रति किलोग्राम से अधिक है। आज का सबसे सस्ता डिग्रेडेबल पॉलीमर पॉलीब्यूटिलीन एडिपेट टेरेफ्थेलेट (पीबीएटी) है जो कि 280-300 रूपये/ किग्रा में उपलब्ध है, जबकि पारंपरिक प्लास्टिक कच्चे माल की कीमत लगभग 90 रूपये/किग्रा. है इसलिए डिग्रेडेबल प्लास्टिक के लिए बाजार कम ही इच्छुक रहता है, इस समस्या को हल करने के लिए, स्टार्टअप ने एक नई मिश्रित सामग्री विकसित की है जो उपलब्ध कंपोस्टेबल प्लास्टिक (~ 180 रुपये/किलो) की तुलना में सस्ती है और जिसमें तुलनीयशक्ति भी है।

यह कम्पोजिट थर्मोप्लास्टिक – स्टार्च (टीपीएस) -ग्लिसरीन का एक अनूठा मिश्रण है जिसमें कुछ ऐसे रासायनिक संशोधन किए गए हैं जो कम विनिर्माण लागत के साथ उच्च शक्ति प्रदान करते हैं । इस कंपोजिट से तैयार किए गए दानों (ग्रेन्यूल्स) को किसी भी आकार में ढाला जा सकता है और आवश्यकता के अनुसार उपयोग किया जा सकता है तथा यह एक बार बाहर फेंक दिए जाने के बाद प्राकृतिक पदार्थों में विघटित हो जाता है । प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) से वित्त पोषण के साथ, अब कंपनी गैर- कम्पोस्ट योग्य एकल उपयोग प्लास्टिक (एसयूपी) को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की देश की आवश्यकता के संदर्भ में कंपोस्टेबल पैकेजिंग समाधान प्रदान करने के उद्देश्य से प्रति वर्ष 880 मीट्रिक टन की उत्पादन क्षमता का लक्ष्य रखती है।

प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड के सचिव, आईपी एंड टीएएफएस, श्री राजेश कुमार पाठक ने कहा कि “प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया है कि प्लास्टिक गैर-जैव-अपघटनीय होने के साथ ही मानवता के लिए खतरा बन गया है और पहले से ही हमारे स्थलीय, समुद्री और जलीय पारिस्थितिकी तंत्र पर घातक प्रभाव डाल रहा है। इसलिए, ‘डिग्रेडेबल कंपोस्टेबल प्लास्टिक’ के निर्माण का विचार ‘समय की आवश्यकता’ वाली तकनीक है। टीडीबी द्वारा मैसर्स टीजीपी बायोप्लास्टिक्स का समर्थन करने के साथ ही भारत अब ‘एसयूपी’ के लिए स्वदेशी वैकल्पिक समाधान प्रदान करने और ‘एकल उपयोग प्लास्टिक मुक्त’ राष्ट्र की भारत की प्रतिबद्धता को प्राप्त करने के लिए एक कदम और करीब हो गया है।”

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