विपक्ष के विरोध के बावजूद धर्म स्वतंत्रता संशोधन विधेयक पारित

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

समग्र समाचार सेवा
हिमाचल प्रदेश, 21 अगस्त। पिछले दिनों हिमाचल प्रदेश सरकार ने कांग्रेस विधायकों व वामपंथी विधायक द्वारा विरोध करने के बावजूद हिमाचल प्रदेश धर्म स्वतंत्रता संशोधन विधेयक 2022 विधानसभा में बहुमत से पारित करवा लिया।

उपरोक्त विधेयक के समर्थन में बोलते हुए हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा इस मामले को गंभीरता से लेने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आज रोहडू, बंजार और आनी में क्या स्थिति हो गई है। इन इलाकों में लोग रविवार और शुक्रवार को कहां जा रहे हैं, यह देखने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले वह भरोसा नहीं करते थे कि हिमाचल में धर्म परिवर्तन हो रहा होगा लेकिन जब उनके सामने तथ्य आए तो स्थिति बिल्कुल अलग थी। संशोधन विधेयक पर चर्चा करते हुए वामपंथी विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश धर्म की स्वतंत्रता विधेयक 2019 को प्रदेश हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। ऐसे में विधानसभा के नियमों के मुताबिक इस विधेयक में संशोधन ही नहीं किया जा सकता। साथ ही सिंघा ने कहा कि इस संशोधन में अगर कोई अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का व्यक्ति धर्म परिवर्तन करता है तो उसके अनुसूचित जाति व जनजाति के तहत मिलने वाले लाभ समाप्त हो जाएंगे ऐसा करना संविधान का उल्लंघन है। इस बावत कांग्रेस विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी आपत्ति जताई थी। इसका जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अदालत से कोई स्टे नहीं मिला है। इसके अलावा कानून बनाने का अधिकार इस सदन को है और सभी को इसी अधिकार को बचाए हुए रखना चाहिए।

धर्म स्वतंत्रता संशोधन विधेयक में अब सामूहिक धर्म परिवर्तन करने पर दोषी पाए जाने वाले के खिलाफ कम से काम पांच साल की सजा का प्रावधान किया गया है व इस सजा को दस साल तक बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा कम से कम डेढ़ लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है, जिसे दो लाख रुपए तक बढ़ाया जा सकता है। इस अधिनियम में धर्म परिवर्तन करने से पहले एक महीना पहले मजिस्टे्रट के सामने शपथ परिवर्तन देने का प्रावधान किया गया, लेकिन विधेयक में अब प्रावधान किया गया है कि अगर कोई दोबारा से अपने मूल धर्म में आना चाहता है तो उसे कोई पूर्व नोटिस नहीं देना होगा। अगर कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन के बाद भी अपने मूल धर्म के तहत सुविधा प्राप्त करता है तो उसे दो साल की सजा का प्रावधान किया गया है व इस सजा को पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है, जबकि जुर्माने को पांच हजार से एक लाख रुपए तक किया जा सकता है। विधेयक में धर्म परिवर्तन का दोषी पाए जाने पर सात की जगह दस साल की सजा का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे धर्म के व्यक्ति से विवाह करने के लिए अपने धर्म को छिपाता है तो ऐसे व्यक्ति के खिलाफ कम से कम तीन साल की सजा को बढ़ाकर दस साल का प्रावधान किया गया है।

जयराम ठाकुर सरकार द्वारा धर्म परिवर्तन को लेकर जो संशोधन विधेयक पारित किया गया है वह ठीक दिशा में उठा एक बड़ा कदम ही है।
हिमाचल प्रदेश की सरकार ने राष्ट्र स्तर की समस्या के समाधान की जो राह चुनी है उस पर चलते हुए अन्य राज्यों को भी धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए ऐसे साहसिक कदम उठाने की आवश्यकता है।

धर्म परिवर्तन का सिलसिला तब से शुरू है जब देश पर इस्लाम में विश्वास करने वाले विदेशी आक्रमणकारियों ने तलवार के जोर पर हिन्दुओं को मुसलमान बनाया। इसका परिणाम देश विभाजन के रूप में हमारे सामने आया। देश विभाजन के समय लाखों लोगों का कत्ल भी धर्म के कारण हुआ। करोड़ों लोग बेघर हो गए। आज पड़ोसी इस्लामिक देशों में हिन्दुओं की कितनी दयनीय स्थिति है उससे देश व दुनिया परिचित है। देश के भीतर भी धर्म परिवर्तन करवाने के लिए ईसाई और इस्लामिक संगठन आज भी सक्रिय हैं। इन संगठनों को विदेशी धन भी मिलता है। योजनाबद्ध तरीके से आज भी हिन्दुओं का धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। इस सिलसिले को रोकने के लिए कानून का बनना और उसमें समय अनुसार संशोधन होना समय की मांग है। जयराम ठाकुर की सरकार ने समय की मांग को ही पूरा किया है। जो लोग सरकार का उपरोक्त मामले में विरोध कर रहे हैं वह भविष्य में होने वाली स्थिति को अनदेखा कर रहे हैं। भारत को अपना गौरवमयी अतीत और उज्ज्वल भविष्य बनाना है तो उसे वर्तमान में धर्म परिवर्तन की बुराई को कानून के माध्यम से समाप्त करना होगा।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.