उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की बढ़ी मुश्किलें, शराब नीति के बाद अब DTC बस डील की भी जांच करेगी सीबीआई!
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 22अगस्त। दिल्ली की आबकारी नीति को लेकर विवाद अभी जोरों पर है. सीबीआई (CBI) इस मामले में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर भी जार कर चुकी है. सीबीआई ने इस मामले में आईपीसी की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) और 477ए (खातों का फर्जीवाड़ा) के तहत केस दर्ज किया है. अब दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) की मुश्किलें डीटीसी बस खरीद मामले में भी बढ़ने वाली हैं. क्योंकि सीबीआई ने रविवार को कहा कि वह दिल्ली परिवहन निगम (DTC) की लो फ्लोर बसों की खरीद और रखरखाव से जुड़ी डील की भी जांच करेगी.
दिल्ली के शिक्षामंत्री और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर आरोप है कि उन्होंने शराब कारोबारियों को कथित तौर पर 30 करोड़ रुपये की छूट दी थी. आरोप है कि आबकारी नियमों का उल्लंघन कर नीतिगत नियम बनाए गए. सूत्रों के अनुसार अब डीटीसी की लो-फ्लोर बसों की खरीद और रखरखाव संबंधी डील मामले में शुरुआती जांच यानी प्रिमिलिनेरी इंक्वायरी (PE) शुरू कर दी गई है.
डीटीसी मामले में यह जांच केंद्रीय गृहमंत्रालय (MHA) की साल 2021 की एक चिट्ठी के आधार पर शुरू की गई है. इस चिट्ठी में 1000 लो-फ्लोर एसी बसों की खरीद और रखरखाव (AMC) के संबंध में जांच के लिए सीबीआई को सिफारिश की गई थी. बता दें कि दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल अनिल बैजल द्वारा गठिक कमेटी ने इस डील में कई खामियां पाई थीं, जिसके बाद केंद्रीय गृहमंत्रालय ने जांच की सिफारिश की थी.
डीटीसी बसों की खरीद का 850 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट और 12 साल के एएमसी कॉन्ट्रैक्ट का मूल्य 3412 करोड़ रुपये था. बसों का परचेज टेंजर जेबीएम ऑटो और टाटा मोटर्स को 70: 30 के रिशियो में दिया गया, जबकि जेबीएम ऑटो ही एएमसी टेंडर में भी नंबर एक पर रही थी. विवाद का प्रमुख कारण डीटीसी द्वारा पिछले साल 1000 लो-फ्लोर एसी बसों की खरीद और एएमसी के अलग-अलग टेंडर जारी करना है. इस संबंध में डीटीसी का कहना था कि खरीद और एएमसी दोनों के लिए एक टेंडर जारी करने पर बिडिंग नहीं आएंगी, इसलिए दोनों को अलग-अलग किया गया.
तीन सदस्यीय जांच कमेटी ने एएमसी टेंडर के लिए एलिजिब्लिटी क्राइटेरिया पर सवाल उठाए और माना कि इससे बिड को दो अलग-अलग हिस्सों में तोड़ने का मकसद खत्म हो जाता है. बता दें कि 16 जून को बनाई गई इस तीन सदस्यीय जांच कमेटी में प्रिंसिपल सेक्रेटरी (ट्रांसपोर्ट) आशीष कुंद्रा, प्रिंसिपल सेक्रेटरी (विजिलेंस) केआर मीणा और पूर्व आईपीएस ओपी अग्रवाल शामिल थे.
कमेटी ने अपनी 11 पन्नों की रिपोर्ट में कहा कि एमएमसी कार्टेलाइजेशन और एकाधिकार मूल्य निर्धारण को प्रोत्साहित करती है. इसमें यह भी कहा कि एक स्थिति ऐसी भी बनी, जब दोनों बोलीदाताओं को पता था कि इस बोली में सिर्फ वही बोली लगा रहे हैं. अपनी रिपोर्ट में जांच कमेटी ने कहा कि उन्होंने बसों की एएमसी पर ही उन्होंने अपना ध्यान केंद्रित करके जांच की. बता दें कि दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने भी इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की थी.
हालांकि, दिल्ली सरकार ने इस संबंध में सभी आरोपों से इनकार किया है. दिल्ली सरकार ने कहा, आरोपों में बिल्कुल भी सच्चाई नहीं है. इस मामले की जांच के लिए पहले ही एक कमेटी गठित कर दी गई थी, जिसने इस मामले में हमें क्लीन चिट दी थी.