अ​धिकारियों और उच्च पदों पर बैठे लोगों को व्यापक जनहित में कानून को सर्वोपरि रखना चाहिए – उपराष्ट्रपति धनखड़

उपराष्ट्रपति बनने पर धनखड़ को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने सम्मानित किया

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 23अगस्त। निष्पक्ष एवं स्वतंत्र न्याय व्यवस्था लोकतांत्रिक मूल्यों के फलने-फूलने और उसमें निखार लाने के लिए सबसे सुरक्षित गारंटी है।

धनखड़ के सम्मान में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा सोमवार को नई दिल्ली में आयोजित एक सम्मान समारोह के दौरान सभा को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने संस्कृत के एक श्लोक ‘धर्मो रक्षति र​क्षित:’ का हवाला दिया (कानून तभी हमारी रक्षा करता है जब हम उसकी पवित्रता को बरकरार रखते हैं) और इसे लोकतंत्र एवं कानून के शासन के ‘अमृत वचन’ करार दिया। यह देखते हुए कि मौजूदा दौर में यह धारणा बन गई है कि यह महत्वपूर्ण सिद्धांत दबाव में है, उन्होंने अधिकारियों और उच्च पदों पर बैठे लोगों को जनहित में कानून को सर्वोपरि रखने और लोकतांत्रिक परिवेश को बेहतर करने के लिए कहा। थॉमस फुलर को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा, ‘चाहे आप कितने भी ऊंचे हो जाओ, कानून हमेशा आपसे ऊपर है।’

धनखड़ ने इस अवसर पर जोर देकर कहा कि न्यायाधीशों की गरिमा और न्यायपालिका के प्रति सम्मान अपरिहार्य है क्योंकि ये कानून के शासन और संवैधानिकता की बुनियाद हैं। उन्होंने देश में संवैधानिक संस्थाओं में सद्भाव और कामकाज में एकजुटता की भावना लाने का भी आह्वान किया।

धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस अवसर पर उन्हें अदालत में अपनी पहली उप​स्थिति के दौरान हुई घबराहट की याद आती है। उन्होंने उन न्यायाधीशों और वरिष्ठ अधिवक्ताओं को भी धन्यवाद दिया जिन्होंने शुरुआती दिनों में उन्हें प्रोत्साहित किया था।

इस सम्मान समारोह में केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री श्री किरेन रिजिजू, भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनवी रमना, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, भारत के सॉलिसिटर जनरल श्री तुषार मेहता, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता श्री विकास सिंह, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पदाधिकारी एवं सदस्य शामिल हुए।

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