समग्र समाचार सेवा
चंड़ीगढ़, 25अगस्त। पंजाब के बठिंडा में सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक ने मई 2020 में एक थैलीसीमिया पीड़ित महिला को एचआईवी पॉजिटिव ब्लड चढ़ाकर उसे संक्रमित कर दिया था लेकिन ब्लड बैंक और अस्पताल प्रबंधन व अधिकारियों ने महिला व उसके परिवार को एचआईवी संक्रमित ब्लड चढ़ाने पर कई माह बाद भी जानकारी नहीं दी है। इस वजह से महिला का स्तनपान करने वाली तीन साल की मासूम बच्ची भी एचआईवी पॉजिटिव हो गई और महिला का पति भी एचआईवी पॉजिटिव हो गया है। इसका खुलासा तब हुआ, जब सरकारी अस्पताल की टीम ने 27 अगस्त 2021 को महिला व उसके परिवार का टेस्ट किया। महिला गरीब परिवार से है, महिला का पति मजदूरी करता है। समाजसेवी सोनू माहेश्वरी ने इस मामले में मानवाधिकार आयोग को शिकायत कर कार्रवाई की मांग की थी। शिकायत की गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने शिकायत पर केस नंबर 135752/सीआर/2021 दर्ज करते हुए पीड़ित महिला को स्वास्थ्य विभाग से चार लाख रुपये का मुआवजा दिलाने और केस को पंजाब मानवाधिकार आयोग के पास अगली कार्रवाई के लिए ट्रांसफर कर दिया। राज्य मानवाधिकार आयोग ने पंजाब के हेल्थ डायरेक्टर को इस संबंध में रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया और अगली सुनवाई पांच दिसंबर को तय की है। शिकायतकर्ता सोनू माहेश्वरी ने कहा कि एचआईवी पॉजिटिव रक्त चढ़ाकर मासूमों की जिंदगियों को नरक में झोंकने वाले दोषियों को सख्त सजा दिलवाने और पीड़ितों को उचित मुआवजा दिलवाने के लिए संघर्ष जारी रहेगा।
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