समग्र समाचार सेवा
रायबरेली, 25 अगस्त। वह रायबरेली के फिरोज गांधी कॉलेज में 1857 के विद्रोह में शामिल स्वतंत्रता सेनानी राणा बेनीमाधव बख्श सिंह की 218वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।
अवध केसरी के नाम से मशहूर सिंह की वीरता को सलाम करते हुए आदित्यनाथ ने कहा कि देश को पूरी आजादी मिलने से 90 साल पहले उन्होंने पूरे क्षेत्र को स्वतंत्र महसूस कराया।
चुनौतियों का सामना करने के लिए सामाजिक एकजुटता के महत्व को बताते हुए, उन्होंने कहा कि 1857 से पहले भी, स्वतंत्रता संग्राम महाराणा प्रताप और शिवाजी जैसे अन्य लोगों द्वारा किया जा रहा था, और इस लड़ाई ने 1857 में एक संगठित रूप लिया।
उन्होंने उनके योगदान का जिक्र करते हुए कहा, “शांति और सद्भाव, जो एक स्थिर और समृद्ध समाज के निर्माण के लिए आवश्यक हैं, बिना वीरता के संभव नहीं हैं।”
आदित्यनाथ ने कहा कि सिंह और वीरा पासी नाम के एक अन्य स्वतंत्रता सेनानी ने अवध में ब्रिटिश शासन के खिलाफ स्वतंत्रता का प्रकाश जगाया, जिसने एक जन आंदोलन का रूप ले लिया।
उन्होंने कहा, “1922 में चौरी चौरा विरोध और 1925 में काकोरी कार्रवाई ने 1947 में स्वतंत्रता के लक्ष्य को हासिल करने में मदद की।”