समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 26अगस्त। देवालय, अर्थात देवता का घर, जहां देवता प्रत्यक्ष वास करते हैं । देवालय में जाने से हमारी इच्छाओं की पूर्ति होती है और मानसिक शांति मिलती है । कहा भी जाता है, जहां भाव है वहां भगवान हैं । श्रद्धालु किसी भी भाव से देवता की पूजा करें, उसे ईश्वरीय कृपा की अनुभूति अवश्य होती है । वास्तविक, साधारण मनुष्य में आवश्यक भाव नहीं होता । इसलिए, उसे शास्त्रोचित पद्धति से देवता के दर्शन करने चाहिए । इस लेख में देवालय की प्रत्येक सीढी को नमस्कार करना, प्रत्येक सीढी को स्पर्श करने का महत्त्व एवं दर्शनार्थी द्वारा देवालय की सीढी को दाहिने हाथ से स्पर्श कर वह हाथ आज्ञाचक्र पर रखने से हुए सूक्ष्म-स्तरीय लाभ इसकी जानकारी दी है ।
देवालय की प्रत्येक सीढी को नमस्कार करना
देवालय में प्रवेश करने के लिए यदि सीढियां हों, तो उन्हें चढते समय प्रत्येक सीढी को दाहिने हाथ की उंगलियों से स्पर्श कर उन उंगलियों से आज्ञाचक्र को (छठा चक्र, जो दोनों भ्रुकुटियों के मध्य पर होता है) स्पर्श करें, पश्चात आगे बढें । ऐसा कर, हम देवालय की पावनभूमि से चैतन्य ग्रहण कर सकते हैं । सीढियों को नमन करनेसे, उस भूमिका चैतन्य सक्रिय होकर जीव के शरीर की ओर आकर्षित होता है । इससे उसकी देहपर बना रज-तम कणों का आवरण हटने में सहायता होती है । सीढियां जीव को द्वैतसे अद्वैत, अर्थात ईश्वर की ओर ले जाने की कडी भी हैं ।’
साभार- प्रशासक समिति®️✊🚩
(रजी. एकात्मिता सोशल वेलफेयर सोसाइटी)