समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 29सितंबर। अडानी ग्रुप आने वाले 10 सालों में करीब 100 अरब डॉलर का निवेश करने की योजना बना रहा है. इस बात की जानकारी खुद ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी ने दी. गौतम अडानी के मुताबिक उनकी कंपनी अगले एक दशक में 100 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश करेगी. इस निवेश का 70 फीसदी हिस्सा एनर्जी ट्रांजिशन के लिए इस्तेमाल किया जाएगा.
सिंगापुर में आयोजित 20th Forbes Global CEO conference में बोलते हुए गौतम अडानी ने कहा कि 70 अरब डॉलर के निवेश के जरिए उनकी कंपनी मौजूदा 20GW रिन्यूअल पोर्टफोलियो के साथ ही एक 45GW हाइब्रिड रिन्यूअल power generation करने की योजना पर काम कर रही है. इसके लिए कंपनी 1,00,000 हेक्टेयर भूमि पर प्लांट का निर्माण कराया जा रहा है, जो सिंगापुर से करीब 1.4 गुना बड़ा है.
उन्होंने बताया कि ग्रुप तीन गीगा फैक्ट्रियों का निर्माण करने जा रहा है. इनमें पहली फैक्ट्री 10 गीगावॉट सिलिकॉन आधारित फोटोवोल्टिक मूल्य-श्रृंखला के लिए रॉ सिलिकॉन से लेकर सोलर पैनल तक को एकीकृत करेगी. दूसरी फैक्ट्री 10 गीगावॉट की एकीकृत पवन टरबाइन विनिर्माण संयंत्र होगी और तीसरी फैक्ट्री पांच गीगावॉट हाइड्रोजन इलेक्ट्रोलाइजर की होगी. अडानी ने कहा कि आज हम ग्रीन इलेक्ट्रॉन के सबसे कम खर्चीले उत्पादक हैं, और हम सबसे कम लागत में ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन भी करेंगे. अडानी ग्रुप देश में सबसे बड़ा एयरपोर्ट और बंदरगाह संचालक है. यह देश की सबसे बड़ी एफएमसीजी कंपनी है.
अडाणी ने कहा, “भविष्य में हमारे भरोसे को दर्शाने वाला सबसे अच्छा सबूत ग्रीन एनर्जी में किया जाने वाला 70 अरब डॉलर का हमारा निवेश है.” समूह की नवीकरणीय ऊर्जा कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) वर्ष 2030 तक 45 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करना चाहती है. इसके लिए वह हर साल दो गीगावाट सौर क्षमता विकसित करने के लिए 20 अरब डॉलर का निवेश कर रही है. बाकी राशि का इस्तेमाल हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए विनिर्माण सुविधाएं बनाने में किया जाएगा. अडाणी ने कहा, “नवीकरणीय ऊर्जा में हमारी ताकत हमें हरित हाइड्रोजन को भविष्य का ईंधन बनाने में मदद करेगी. हम भारत को तेल व गैस के आयात पर अत्यधिक निर्भर देश से स्वच्छ ऊर्जा के शुद्ध निर्यातक देश में बदलने की पहल में सबसे आगे हैं.”