नवरात्रि 2022: पांचवें दिन होती है मां स्कंदमाता की पूजा, यश और धन की प्राप्ति करने के लिए जरूर पढ़ें ये मंत्र और आरती
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 30 सितंबर।हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का बेहद ही खास महत्व है और भक्तजन मां दुर्गा का आशीर्वाद पाने के लिए पूरे 9 दिनों तक विधि-विधान के साथ व्रत करते हैं. 9 दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होती है.आज नवरात्रि का पांचवां दिन है और यह दिन मां स्कंदमाता को समर्पित है. यदि कोई व्यक्ति धन, यश और संतान सुख की कामना रखता है तो उसे पूरे विधि-विधान के साथ स्कंदमाता का पूजन अवश्य करना चाहिए. पूजा के बाद स्कंदमाता को प्रसन्न करने के लिए मंत्र और आरती भी जरूर पढ़नी चाहिए.
मां स्कंदमाता की पूजा विधि
नवरात्रि के पांचवे दिन स्नान आदि से निवृत हो जाएं और फिर स्कंदमाता का स्मरण करें. इसके पश्चात स्कंदमाता को अक्षत्, धूप, गंध, पुष्प अर्पित करें. उनको बताशा, पान, सुपारी, लौंग का जोड़ा, किसमिस, कमलगट्टा, कपूर, गूगल, इलायची आदि भी चढ़ाएं. फिर स्कंदमाता की आरती करें. स्कंदमाता की पूजा करने से भगवान कार्तिकेय भी प्रसन्न होते हैं.
मां स्कंदमाता का फूल
देवी स्कंदमाता को भी पीले रंग का फूल पसंद है.देवी की पूजा करने से स्वंय भगवान कार्तिकेय की उपासना भी हो जाती है. स्कंद देव यानी भगवान कार्तिकेय को देवों का सेनापति माना जाता है. इनकी पूजा से व्रती को मनचाहा फल मिलता है.
मां स्कंदमाता का भोग
मां स्कंदमाता का भोग अति प्रिय है. मान्यता है देवी को पूजा में केले का नेवैद्य लगान से स्वास्थ लाभ मिलता और संतान प्राप्ति होती हैं. ऊं स्कंदमात्रै नम: मंत्र बोलते हुए मां को भोग लगाएं इससे प्रार्थना जल्द स्वीकार होगी
मां स्कंदमाता का शुभ रंग
मां स्कंदमाता की उपासना में हरे रंग का उपयोग करें. मान्यताओं के अनुसार इससे देवी बेहद प्रसन्न होती है और साधक को जीवन ऊर्जा से भर जाता है. हरा रंग कुछ नया करने के लिए प्रेरित करता है.
मां स्कंदमाता मंत्र
बीज मंत्र – ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:
ध्यान मंत्र – सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।
पूजा मंत्र – या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
मां स्कंदमाता की आरती
जय तेरी हो स्कंद माता
पांचवां नाम तुम्हारा आता,
सब के मन की जानन हारी
जग जननी सब की महतारी,
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं
हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं,
कई नामों से तुझे पुकारा
मुझे एक है तेरा सहारा,
कहीं पहाड़ों पर है डेरा
कई शहरो मैं तेरा बसेरा,
हर मंदिर में तेरे नजारे
गुण गाए तेरे भगत प्यारे,
भक्ति अपनी मुझे दिला दो
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो,
इंद्र आदि देवता मिल सारे
करे पुकार तुम्हारे द्वारे,
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए
तुम ही खंडा हाथ उठाए,
दास को सदा बचाने आई
‘चमन’ की आस पुराने आई..