भारत और सिंगापुर के बीच रणनीतिक साझेदारी ने अपना लचीलापन दिखाया है- केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह

 सिंगापुर प्रधानमन्त्री कार्यालय (पीएमओ) में मंत्री लोह खुम येन और स्थायी सचिव, लोक सेवा विभाग (पीएसडी) के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय सिंगापुर प्रतिनिधिमंडल ने नई दिल्ली में नॉर्थ ब्लॉक कार्यालय में डॉ. जितेंद्र सिंह से भेंट की

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 30सितंबर। सिंगापुर प्रधानमन्त्री कार्यालय (पीएमओ) में मंत्री लोह खुम येन, जो वर्तमान में भारत की 2 दिवसीय यात्रा पर हैं, ने अपने भारतीय समकक्ष केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह यहां नॉर्थ ब्लॉक नई दिल्ली में भेंट की।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने सिंगापुर प्रधानमन्त्री कार्यालय (पीएमओ) में मंत्री श्री लोह खुम येन और स्थायी सचिव, लोक सेवा विभाग (पीएसडी) के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय सिंगापुर प्रतिनिधिमंडल को बताया कि भारत और सिंगापुर अत्याधुनिक क्षेत्रों में निकट सहयोग कर रहे हैं जो तकनीकी व्यवधान – वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक), सूचना प्रौद्योगिकी, साइबर सुरक्षा, कौशल विकास, स्मार्ट सिटी समाधान एवं नवीकरणीय ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा इत्यादि में तेजी के संदर्भ में भविष्य को आकार देंगे

सिंगापुर के उच्चायुक्त साइमन वोंग ने भी दोनों पक्षों के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता में भाग लिया ।

डॉ जितेंद्र सिंह ने इस अवसर पर कहा, भारत और सिंगापुर के बीच रणनीतिक साझेदारी ने अपना लचीलापन दिखाया है और दोनों पक्ष व्यापार, रक्षा, विज्ञान और नवाचार, शिक्षा, शासन और डिजिटल अर्थव्यवस्था जैसे क्षेत्रों में इस महत्वपूर्ण संबंध को और मजबूत करने के लिए तत्पर हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने आगे कहा कि 17 सितंबर, 2022 को नई दिल्ली में आयोजित पहली भारत – सिंगापुर मंत्रिस्तरीय गोलमेज बैठक की परिकल्पना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की थी, जिसे उन्होंने एक पथप्रदर्शक पहल के रूप में वर्णित किया जो अद्वितीय भारत – सिंगापुर द्विपक्षीय संबंधों का एक दस्तावेजी प्रमाण है और साझेदारी के नए क्षेत्रों में समन्वय का मार्ग प्रशस्त कर सकता है ।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने आगे बताया कि भारत और सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय महत्व के विभिन्न मुद्दों पर अभिसरण दिखाते हैं और वे जी20, राष्ट्रमंडल, हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (आईओआरए) , पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन तथा हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी (आईओएनएस) जैसे कई समूहों का हिस्सा भी हैं। उन्होंने कहा कि 2005 के व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (सीईसीए) के समापन के बाद, इस मजबूत संबंध को 2015 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की यात्रा के दौरान और राजनयिक संबंधों स्थापना की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक रणनीतिक साझेदारी में बढ़ाया गया था।

लोह खुम येन ने अपने भारतीय समकक्ष डॉ जितेंद्र सिंह को बताया कि वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) इक्विटी प्रवाह के मामले में सिंगापुर एक शीर्ष स्रोत राष्ट्र के रूप में उभरा है। वित्तीय वर्ष 2022 में सिंगापुर से भारत में एफडीआई प्रवाह का परिमाण लगभग 16 अरब (बिलियन) अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान लगाया गया था।

दोनों पक्षों ने सिविल सेवाओं के आदान-प्रदान कार्यक्रम को मजबूत करने और सिंगापुर के उत्कृष्टता संस्थानों में प्रधानमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार के विजेताओं की यात्रा पर भी चर्चा की। साथ ही द फ्यूचर ऑफ वर्क, वर्कफोर्स एंड वर्कप्लेस ऑफ सिंगापुर डॉ. जितेंद्र सिंह की अध्यक्षता में विजन इंडिया – 2047 के साथ मिलकर काम करने पर सहमत हो गया है।

इससे पहले, दूसरी द्विपक्षीय बैठक नई दिल्ली में आयोजित की गई थी, जिसकी सह-अध्यक्षता प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) के सचिव वी श्रीनिवास और लोह खुम येन, स्थायी सचिव, लोक सेवा विभाग (पीएसडी), प्रधानमंत्री कार्यालय, सिंगापुर ने की थी। बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने प्रशासन सुधार के क्षेत्र में की गई पहलों के बारे में जानकारी का आदान-प्रदान किया। भारतीय पक्ष ने सुशासन सूचकांक (गुड गवर्नेंस इंडेक्स), राष्ट्रीय (नेशनल) ई-गवर्नेंस सेवा वितरण (सर्विस डिलीवरी) और केंद्रीयकृत सार्वजनिक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) पर और सिंगापुर पक्ष ने सर्विस डिलीवरी बेंचमार्किंग स्टडी, सिटीजन सेंट्रिक पब्लिक सर्विसेज और द फ्यूचर ऑफ वर्क, वर्कफोर्स एंड वर्कप्लेस पर अपनी प्रस्तुतियां दीं।

लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) के सचिव वी श्रीनिवास ने बताया कि कार्मिक प्रबंधन और लोक प्रशासन के क्षेत्र में भारत और सिंगापुर के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर 1 जून, 2018 को हस्ताक्षर किए गए थे। सहयोग के लिए चिन्हित किए गए प्रमुख क्षेत्रों में लोक सेवा वितरण, सार्वजनिक क्षेत्र में सुधार, नेतृत्व/प्रतिभा विकास और ई-गवर्नेंस/ डिजिटल सरकार तथा मानव संसाधन प्रबंधन शामिल हैं। जून, 2018 में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के बाद, दोनों पक्षों ने वैश्विक महामारी के कारण 6 जुलाई, 2021 को आभासी (वर्चुअल) रूप में द्विपक्षीय बैठक का पहला दौर आयोजित किया था।

यह समझौता ज्ञापन कार्यशालाओं, संगोष्ठियों और सम्मेलनों के माध्यम से सूचना और अनुभव साझा करने, व्याख्यान देने के लिए सूचनाओं और विशेषज्ञों के आदान – प्रदान , क्षमता निर्माण और सामान्य हित के संयुक्त तुलनात्मक अनुसंधान, एवं सरकारी अधिकारियों के प्रशिक्षण में दोनों देशों के प्रशिक्षण संस्थानों के बीच सहयोग की सुविधा प्रदान करता है।

बैठक में अपने समापन भाषण में डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि दोनों पक्ष लोक प्रशासन और शासन सुधार के क्षेत्रों में सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान – प्रदान में संलग्न होते रहेंगे और इसकी प्रतिकृति को अन्य खेत्रों में लागू किए जाने की संभावनाओं का भी पता लगाएंगे।

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