पवन कुमार बंसल।
गुस्ताखी माफ़ हरियाणा
*सौ कोतकी एक रोहतकी
में भी रोहतकी हूँ.मेरा जन्म मेरे नाना स्वतंत्रता सेनानी, श्री नागर मल गुप्ता के घर हुआ था। नाना जी महान स्वतंत्रता सेनानी , पंडित श्री राम शर्मा के खास थे। उनकी मित्रमंडली में टेकचंद सांघी वाले भी थे। बचपन में जब में अपने ननिहाल आता तो अपने नाना के साथ पंडित श्री राम शर्मा के पड़ाव में स्थित आश्रम में जाया करता था। रोहतक में मेने बीस वर्ष जनसत्ता और इंडियन एक्सप्रेस के रिपीर्टर के नाते नौकरी की. इस दौरान फ़ूड कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया के चर्चित गेहू घोटाले का भंडाफोड़ किया। नारायण पार्षद गोयल ने जनसत्ता में छपी मेरी खबर को ही ऍफ़ आई आर में तब्दील कराया था और खबरों के आधार पर ही पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायलय ने मामले की सी बी आई जाँच का आदेश दिया था। एक बार सिटी थाने में जब में डबल मर्डर की खबर लेने गया और थानेदार को कहा की में जनसत्ता से हूँ तू उसने जवाब दिया की पहले अपनी जनसत्ता तो सम्हाल लू।
पवन जी आपको गुरुग्राम मे पेट्रोल पंप बारे मुख्यमंत्री मनोहर को की फाइल नोटिंग वाली फाइल कहा से मिल गई। मैने जवाब दिया की कहा से मिल गई यह तो नहीं बताऊंगा लेकिन कैसे ओर क्यों मिल गई यह जरूर बता दूंगा।ठीक है मुझे गुरुग्राम बैठे चंडीगढ़ से फाइल मिल गई।यदि पत्रकार की यह साख हो की वो दी गई सूचना को जनहित में प्रयोग करेगा ओर सोर्स की पहचान गुप्त रखेगा तो टॉप सीक्रेट सरकारी फाइल घर बैठे आती है।मे 87=90 तक जनसत्ता चंडीगढ़ में हरियाणा कवर करता था। तब तो सूचना का अधिकार भी नहीं था ।लेकिन मेरी साख की वजह से सरकारी फाइल घर आती थी।सभी आज ही एक फाइल मिली है जिसमे हुडा के चीफ़ मिनिस्टर रहते गुरुग्राम मे एक बिल्डर की लाइसेंस की फाइल एक दिन मे गुरुग्राम से चंडीगढ़ चल कर फिर निदेशक टाउन प्लानिंग फिर सेक्रेट्री टाउन प्लानिंग ओर फिर चीफ़ मिनिस्टर के पी एस ओर फिर सी एम ओर फिर बिल्डर को मिल गई।
*जब आडवाणी ने डॉक्ट्रेट की मानद उपाधि लेने से मना किया
मोदी बेशक अपने गुरु लाल कृष्ण आडवाणी को याद करे न करे लेकिन गुस्ताखी माफ़ हरियाणा आज अपने पाठको को उनके जीवन के एक बेहतरीन पहलु से वाकिफ करवाने जा रहा है। किस्सा पचीस वर्ष पुराना जब लेखक रोहतक में जनसत्ता अख़बार का रिपोर्टर था। महर्षि दयानन्द यूनिवर्सिटी रोहतक का दीक्षांत समारोह था। तब के कुलपति रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल ओ पी कौशिक के निमंत्रण पर आडवाणी समरोह के मुख्य अतिथि बने थे।
वहा अपने भाषण में आडवाणी ने उस समय सब को चौका दिया जब उन्होंने बताया के कुलपति मुझे डॉक्टरेट की आनरेरी उपाधि से सम्मानित करना चाहत्ते थे लेकिन मेने नम्रता से मना कर दिया क्योंकि मेरा मानना है की यह उपाधि मुझे नहीं मेरे पद यानि यूनियन होम मिनिस्टर को दी जा रही है। आडवाणी ने बताया की उन्होंने कुलपति को कहा के जब वे पद पर न रहे तब वे यह उपाधि सहर्ष ले लेंगे। अब आडवाणी जी पद की तो महिमा है।
वैसे हरियाणा में अब भाजपा की सरकार है और आडवाणी का पुराना चेला खटटर चीफ मिनिस्टर है। यूनिवर्सिटी ने हरियाणा भाजपा के नेता डॉक्टर मंगल सेन के नाम से चेयर भी स्थापित की है। क्या मनोहर लाल अपने गुरु आडवाणी को अब यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉक्टर राजबीर से कह कर डॉक्ट्रेट की उपाधि से सम्मानित करवाएंगे ?
कभी नहीं क्योंकि अब आडवाणी का सितारा गर्दिश में है और मोदी शरणम गच्छामि का युग है सो खट्टर भी दिन रात यहाँ तक की नींद में भी मोदी मोदी कहते रहते है। कहे भी क्यों न आखिर न विधायकों के सप्पोर्ट और न वरिष्ठता फिर भी मोदी ने अपने चेले मनोहर को चीफ मिनिस्टर बना दिया। आखिर पुराने वक्त में खिलाई खिचड़ी का असर हो गया। चलो मोदी या खट्टर अपने पुराने गुरु आडवाणी को याद करे न करे अपन तो उनकी डिग्री न लेने के महानता को लेकर उनको नमन करते है और इस तरह के डिग्री लेने वाले नेताओं को आगाह करते है की यह सब चमचागिरी है। वैसे तेजस्वी यादव की तरह हरियाणा के कई नेता भी गंगा पुत्र और ईंमानदार की इस तरह की यूनिवर्सिटीज से फर्जी डिग्री लिए बैठे है जिनका जिक्र कभी करेंगे।