बिहार के इस जिलें में लगता है दुल्हो का मेला, हर धर्म और जाति के लड़को के अंगो का परिक्षण कर अपना वर ढुंढती है लड़किया

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 12अक्टूबर। अकसर शादी ब्याह के मामलों में दो परिवारों का मेल होता है और लड़का.. लड़की देखने जाता है उसके बाद लड़की को पसंद करने के बाद ही शादी तय होती है। लेकिन बिहार का एक जिला ऐसा है जहां लड़का नही बल्कि लड़की अपने वर का चुनाव करती है वो भी मेले में………

और यह मेला कही और नही बल्कि बिहार के मिथिलांचल इलाके में लगता है जो 700 साल से ज्यादा पुराना है और इसे दूल्हे का बाजार कहा जाता है, जिसमें हर धर्म और जाति के दूल्हे आते हैं। इसमें दुल्हन दूल्हे को चुनती है। जिसकी बोली सबसे ज्यादा दूल्हा उसका होता है।

इसके साथ ही घरवाले दूल्हे के बारे में सारी जानकारी पता करते है। इतना ही नहीं, दोनों का मिलन होता है और लड़की और लड़की की जन्म पत्री मिलाई जाती है। इस तरह दोनों की शादी एक योग्य वर चुनकर कर की जाती है।

1310 ईस्वी में शुरू हुआ
जानकारी के अनुसार इस मेले की शुरुआत 1310 ई. हुई। इसकी शुरुआत 700 साल पहले कर्णाट वंश के राजा हरिसिंह देव ने की थी। इसका उद्देश्य यह था कि विवाह एक ही गोत्र में न हो, बल्कि वर-वधू के अलग-अलग गोत्र हों।

इस परंपरा को शुरू करने का क्या कारण था
इस मेले को शुरू करने का मकसद इतना था कि लड़की के घरवालों को शादी के लिए ज्यादा परेशानी न उठानी पड़े। यहां हर वर्ग के लोग अपनी लड़की की शादी के लिए आते हैं और न तो दहेज देना पड़ता है और न ही शादी के लिए लाखों रुपये खर्च करने पड़ते हैं।

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