कल देश में महिलाएं रखेंगी करवा चौथ का व्रत, जानिए इसका महत्व और पूजा विधि और सब कुछ

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 12अक्टूबर। हिंदू धर्म में करवा चौथ का विशेष महत्व है और इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत करती हैं. कहते हैं कि विधि-विधान से यह व्रत करने से दांपत्य जीवन में भी खुशहाली आती है. इस साल यह व्रत कल यानि 13 अक्टूबर को रखा जाएगा. करवा चौथ के दिन महिलाएं दिन भर निर्जला व्रत करने के बाद रात के समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करती हैं. इसलिए इस व्रत में चंद्रमा का भी खास महत्व होता है. आइए जानते हैं करवा चौथ का महत्व और इतिहास.

करवा चौ​थ 2022 शुभ मुहूर्त
इस साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 13 अक्टूबर को सुबह 1 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगी और 14 अक्टूबर को सुबह 3 बजकर 8 मिनट पर समाप्त होगी. उदयातिथि के अनुसार करवा चौथ का व्रत 13 अक्टूबर को रखा जाएगा. पंचांग के अनुसार पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 1 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 15 मिनट तक रहेगा. इस व्रत में चंद्रमा का विशेष महत्व होता है क्योंकि चांद देखने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है. 13 अक्टूबर को चंद्रोदय रात 8 बजकर 19 मिनट पर होगा.

करवा चौथ 2022 का महत्व
​हिंदू धर्म में महिलाओं के लिए करवा चौथ का विशेष महत्व है. महिलाएं ये व्रत अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना से रखती हैं. इस दिन महिलाएं अन्न और जल ग्रहण नहीं करतीं. रात के समय चांद निकलने के बाद छलनी में चांद देखकर अपना व्रत खोलती हैं. करवा चौथ के दिन चौथ माता के साथ भगवान शिव व पार्वती का भी पूजन किया जाता है.

करवा चौथ 2022 पूजा विधि
करवा चौथ के दिन सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि करके साथ सूथरे वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद इस मंत्र का उच्चारण करके व्रत का संकल्प लें- ‘मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये’।

सूर्योदय से पहले सास द्वारा दी गई सरगी ग्रहण कर लें। इसके बाद दिनभर निर्जला व्रत रखें। करवा में गेहूं, चावल और उसके ढक्कन में शक्कर या फिर बूरा भर दें। आप चाहे तो करवा में महावर से चित्र भी बना सकते हैं। इसके साथ ही आठ पूरियां बना लें। इसके साथ ही मीठे में हलवा या खीर बना लें।

अब पीली मिट्टी या फिर गोबर की मदद से मां पार्वती की प्रतिमा बना लें। आप चाहे तो बाजार में मिलने वाली मूर्ति भी ला सकते हैं। अब मूर्ति को एक चौकी में कपड़ा बिछाकर रख दें। इसके बाद विधिवत पूजा करें। मां पार्वती मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी और बिछुआ आदि चढ़ाएं। इसके साथ ही एक कलश में जल भरकर रख दें।

पति की लंबी आयु की कामना करते हुए इस मंत्र को बोले-”ऊॅ नम: शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥”
इसके बाद करवा में 13 बिंदी रखें। घी का दीपक और धूप जला दें। इसके बाद हाथों में 13 दाने गेहूं या चावल के लेकर करवा चौथ की कथा सुन लें। अब एक लोटे में जल लें और 13 दाने भी अलग रख दें। इसके बाद दिनभर व्रत रखें।

शाम को चंद्रमा निकलने के बाद विधिवत पूजा करने के साथ जसल से अर्घ्य दें। इसके बाद दीपक आदि जलाकर छलनी से चंद्रमा देखने के साथ पति को देखें। इसके बाद पति के हाथों से जल ग्रहण कर लें।

करवा चौथ के दिन सास को दी जाती हैं ये चीजें
करवा चौथ के दिन सास बहु को सरगी और सुहाग का सामान देती है. बहु भी अपनी सास को कुछ सामान देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करती हैं. करवा चौथ के दिन पूजा के लिए मिट्टी का करवा रखा जाता है और इसके साथ ही एक मीठा करवा होता है जिसे खांड का करवा कहते हैं. इस मी​ठे करवे में ड्राई फ्रूट्स रखे जाते हैं. इसके अलावा सास के लिए कपड़े और शगुन के तौर पर कुछ पैसे भी दिए जाते हैं. साथ ही भोजन की थाली भी मंसते हैं.

ये सारा सामाना पूजा के समय चौकी पर रखें और पूजा करने के बाद सास को देकर पैर छूएं और उनका आशीर्वाद लें. अगर आपकी सास सुहागिन हैं तो आप उन्हें सुहाग की सामग्री भी दे सकती हैं. नहीं तो परिवार में अपने से बड़ी किसी महिला जैसे कि ननद, जेठानी आदि को सुहाग का सामान अवश्य दें. य​दि ऐसा संभव न हो तो मंदिर में सुहाग की सामग्री देकर आएं. कहते हैं कि इससे अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद मिलता है.

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