प्रस्तुति -:कुमार राकेश।
रात के लगभग दो-ढाई बजे थे।
एक धनी व्यक्ति को नींद नहीं आ रही थी। घर में कई चक्कर लगा लिये पर चैन नहीं पड़ा।
आखिर में थक कर अपने आलीशान बंगले से बाहर आया।
कार निकाली और शहर की सड़कों पर निकल गया।
धुंआधार वर्षा हो रही थी।
रास्ते में एक मंदिर दिखा तो सोचा, थोड़ी देर इस मंदिर में भगवान के पास बैठकर प्रार्थना करूँगा, तो शायद शांति मिल जाये।
वह धनी आदमी मंदिर के अंदर गया तो देखा, एक दूसरा आदमी भगवान की मूर्ति के सामने अत्यंत उदास चेहरा एवं आंखों में करूणता लीये बैठा था।
धनी व्यक्ति ने उस भक्त से पूछा, “क्यों भाई इतनी रात को मंदिर में क्या कर रहे हो ?”
वो गरीब दिखाई देनेवाला आदमी बोला,
“मेरी पत्नी अस्पताल में भर्ती है, सुबह यदि उनका आपरेशन नहीं हुआ, तो ये भी संभव है कि, वो मर जायेगी और मेरे पास आपरेशन का पैसा नहीं है।”
इस धनाढ्य व्यक्ति ने उससे पूछा, तुम्हारी पत्नी के उपचार हेतु कितने रुपयों की आवश्यकता है ?
गरीब नीची नजरें करके बोला, यही कोई 50 हजार ₹।
धनाढ्य व्यक्ति ने अपनी सभी जेबें टटोल लीं।
संयोग से सब पाकिट में लगभग 60 हजार ₹ निकले, सब उसको दे दिये।
गरीब बोला, सेठजी, मैं आपकी इतनी बड़ी रकम कैसे चुकाऊंगा ?
सेठजी बोले, वापिस करने की कोई आवश्यकता नही है।
इस घटना से उस गरीब आदमी के चहरे पर एक विशिष्ट चमक आ गयी।
धनी व्यक्ति ने उसे अपने कार्ड दिया और कहा :
“इसमें मेरा नाम, फोन नंबर और पता भी है। और जरूरत हो तो नि:संकोच बता देना।”
वह गरीब आदमी ने कार्ड वापीस दिया और विनम्रता से बोला, “मेरे पास एड्रेस है। इस एड्रेस की जरूरत ही नहीं है सेठजी।
आश्चर्य से सेठजी ने पूछा, “किसका एड्रेस है ?”
उस गरीब आदमी ने कहा, “उसीका, जिसने रात को साढ़े तीन बजे इतनी तेज वर्षा में आपको यहां भेजा है।”!!!