छठ पूजा के दौरान इन बातों का रखें विशेष ध्यान, पूरी होगी हर मनोकामना

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 28अक्टूबर। हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन छठ पूजा की जाती है और यह पर्व 4 दिनों तक चलता है. इस बार छठ पर्व की शुरुआत आज यानि 28 अक्टूबर से हो गई है और 31 अक्टूबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद इस व्रत का पारण होगा. छठ पूजा में महिलाएं 36 ​घंटे का निर्जला व्रत करती हैं और विशेष नियमों का पालन करती हैं. यह व्रत संतान की लंबी उम्र, संतान प्राप्ति और संतान के खुशहाल जीवन के लिए रखा जाता है. इस व्रत के कुछ नियम होते हैं जिनके बारे में आपको जरूर पता होना चाहिए.

छठ पूजा के नियम
छठ पूजा 4 दिनों तक चलती है और इस दौरान घर में तामसिक भोजन नहीं बनाया जाता. यहां त​क कि भोजन में लहसुन व प्याज का इस्तेमाल भी निषेध होता है.

छठ पूजा में साफ-सफाई और शुद्धता का विशेष तौर पर ध्यान रखा जाता है और मान्यता है कि इस दौरान खाने-पीने की किसी भी वस्तु को बिना नहाय हाथ नहीं लगाना चाहिए.

छठ पूजा में जो महिलाएं व्रत करती हैं उन्हें पलंग या चारपाई पर नहीं सोना चाहिए. व्रती को जमीन पर बिस्तर बिछाकर साकना चाहिए.

छठ पूजा में सूर्य भगवान का पूजन किया जाता है और उन्हें अर्घ्य देने की परंपरा है. लेकिन अर्घ्य देने के लिए भूलकर भी प्लास्टिक, चांदी या स्टील के बर्तन का उपयोग नहीं करना चाहिए.

छठ का प्रसाद बनाते समय इस बात का ध्यान रखें कि प्रसाद बनाते समय उसे चखना चाहिए क्योंकि इससे वह प्रसाद झूठा हो जाता है.

छठ पूजा का प्रसाद ऐसी जगह बनाना चाहिए जहां खाना नहीं बनाया जाता. इसलिए इसके लिए मिट्टी का नया चूल्हा बनाया जाता है.

पूजा के दौरान साफ-सुथरे और स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए. आमतौर पर इस लोग इस दौरान परिवार के लिए नए वस्त्र खरीदते हैं.

छठ पूजा के दौरान जो भी व्यक्ति व्रत करता है वह सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन का सेवन कर सकता है.
इस दौरान घर में शराब या मांसाहारी भोजन न तो बनाना चाहिए और न ही इसका सेवन करना चाहिए.

छठ पूजा के दौरान घर के किसी सदस्य को फलों का सेवन करने की अनुमति नहीं होती. पूजा समाप्त होने के बाद ही फलों का सेवन किया जा सकता है.

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