उत्तर-पूर्व के खनिज अन्वेषण और विकास को केंद्र सरकार सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है- प्रल्हाद जोशी
प्रल्हाद जोशी ने उत्तरी-पूर्वी भूविज्ञान और खनन मंत्रियों के पहले सम्मेलन को संबोधित किया
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 1नवंबर। खान मंत्रालय पूरे भारत में खनन गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है। तदनुसार ही खनिज समृद्ध उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र में अन्वेषण गतिविधियों को और अधिक प्रोत्साहित करने के लिए “उत्तरी-पूर्वी भूविज्ञान और खनन मंत्रियों का पहला सम्मेलन आज निआथू रिज़ॉर्ट, चुमुकेदिमा, दीमापुर, नागालैंड में आयोजित किया गया ।
इस आयोजन के दौरान उत्तरी-पूर्वी खान एवं कोयला मंत्रियों की समिति ने केंद्रीय खान, कोयला एवं संसदीय कार्य मंत्री श्री प्रह्लाद जोशी के समक्ष अपनी चिंताओं एवं मांगों को रखा। उसी का समाधान करते हुए, श्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि भारत को बदलने के प्रधानमंत्री के एजेंडे के अंतर्गत उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र को विकास के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ का केंद्र बिंदु है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने पिछले पांच वर्षों के दौरान विभिन्न खनिज वस्तुओं पर उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र (एनईआर) में 108 परियोजनाएं और वर्तमान क्षेत्रीय मौसम (फील्ड सीजन) 2022-23 में इसी क्षेत्र में ही विभिन्न वस्तुओं पर 23 खनिज अन्वेषण परियोजनाएं शुरू की हैं। श्री जोशी ने कहा कि सरकार राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट (एनएमईटी) के माध्यम से परियोजनाओं का वित्तपोषण भी कर रही है। एनएमईटी द्वारा वित्त पोषित नागालैंड के चूना-पत्थर और लौह अयस्क की दो खनिज अन्वेषण परियोजनाएं पहले ही पूरी हो चुकी हैं। एनएमईटी राज्यों के खान महानिदेशालयों (डीजीएमएस) को वर्ष में कुल अनुमोदित अन्वेषण परियोजनाओं के 10% तक मशीनरी/ प्रयोगशाला उपकरण/उपकरण आदि की खरीद के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान कर रहा है। नीलामी की प्रक्रिया से संबंधित कई मुद्दों को हल करने के लिए विभिन्न राज्यों के लिए खान मंत्रालय द्वारा एक संयुक्त कार्य समूह का गठन किया गया है।
उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र को पूर्ण समर्थन का आश्वासन देते हुए, श्री प्रल्हाद जोशी ने आगे कहा कि मंत्रालय जीएसआई और भारतीय खान ब्यूरो (आईबीएम) के माध्यम से राज्यों के भूवैज्ञानिक एवं अन्य पदाधिकारियों के लिए उनकी क्षमता निर्माण हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर सकता है। इस तरह के कार्यक्रम जीएसआई द्वारा अपने शिलांग केंद्र या हैदराबाद में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण प्रशिक्षण संस्थान (जीएसआईटीआई) द्वारा राज्यों की सुविधा के अनुसार आयोजित किए जा सकते हैं।
हालांकि श्री प्रल्हाद जोशी ने उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र में नीलामी प्रक्रिया के संबंध में अपनी चिंताओं को जताने के साथ ही राज्य सरकारों से उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र के विभिन्न राज्यों में नीलामी से संबंधित मुद्दों को हल करने का आग्रह भी किया। उन्होंने कहा कि संसाधनों की स्थापना और उनकी सफल नीलामी से राजस्व वृद्धि, रोजगार सृजन तथा उद्योग प्रवाह के माध्यम से आर्थिक समृद्धि आएगी जिससे उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र का समग्र विकास और विकास होगा। साथ ही ब्लॉकों की सफल नीलामी इस क्षेत्र में अन्य वित्तपोषण स्रोतों को लाने के लिए उत्प्रेरक के रूप में भी काम कर सकती है।
बाद में मीडिया को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार कोयले और तेल की खोज के पर्यावरणीय प्रभावों की भी गहन जांच कर रही है और इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित कर रही है कि क्षेत्र के लाभ के लिए समृद्ध खनिज संसाधनों का उचित दोहन किया जाए। खान मंत्रालय के अपर सचिव श्री संजय लोहिया ने यह कहते हुए अपनी टिप्पणी दी कि मंत्रालय देश में खनिजों की खोज की गति बढ़ाने के साथ-साथ खनिज ब्लॉकों की नीलामी पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है। जीएसआई देश में राष्ट्रीय आधाररेखा भूवैज्ञानिक आंकड़ा सृजन कार्यक्रम (नेशनल बेसलाइन जियोसाइंस डेटा जनरेशन प्रोग्राम) को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और उसने उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र में महत्वपूर्ण खनिजों की खोज पर ध्यान केंद्रित किया है। हाल ही में एनएमईटी की ओर से असम राज्य को तीन परियोजनाओं के लिए 10 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। उन्होंने कहा कि खान मंत्रालय और उसके निकाय जीएसआई, आईबीएम तथा मिनरल एक्सप्लोरेशन कंसल्टेंसी लिमिटेड (एमईसीएल) राज्य सरकारों को पूरा समर्थन देंगे। श्री लोहिया ने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि यह सम्मेलन क्षेत्र में खनन और भूवैज्ञानिक गतिविधियों में सुधार लाने में अत्यधिक सहायक सिद्ध होगा।