समग्र समाचार सेवा
लखनऊ, 4नवंबर। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति प्रो. विनय पाठक की मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं। डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा में कमीशन खोरी की जांच कर रही एसटीएफ ने पाठक के पूरे कार्यकाल की पड़ताल शुरू कर दी है। सूत्रों का कहना है कि पाठक जिन जिन विश्वविद्यालयों में कुलपति रहे अथवा उन्हें अतिरिक्त प्रभार दिया गया, उनका ब्योरा निकलवाया जा रहा है। कार्यकाल में कब-कब बड़ी रकम स्थानांतरित की गई? किन लोगों की नियुक्ति हुई और बिना टेंडर जारी कौन से काम किए गए, इसको लेकर एसटीएफ ने दस्तावेज खंगाले हैं।
प्रो. पाठक सबसे पहले उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी के कुलपति बने थे। 25 नवंबर, 2009 से 24 नवंबर, 2012 तक वह वहां पर तैनात रहे। इसके अलावा वर्ष 2013 से 2015 तक कोटा की वर्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी के कुलपति बनाए गए। वर्ष 2015 से 2021 तक उन्हें अब्दुल कलाम आजाद टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एकेटीयू) में कुलपति का प्रभार सौंपा गया। इसी दौरान वर्ष 2020 से 2021 तक लखनऊ की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय के कुलपति का अतिरिक्त प्रभार भी उन्हें सौंपा गया।
इसके बाद वह छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति बने। इसी बीच जनवरी 2022 से सितंबर तक उन्हें डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के कुलपति का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था। एसटीएफ ने इन सभी विश्वविद्यालयों में पाठक की ओर से कराए गए कार्यों की पड़ताल शुरू कर दी है। एकेटीयू में तैनाती के दौरान पाठक ने 2400 करोड़ रुपये की एफडी तुड़वा दी थी। एसटीएफ ने नियुक्ति और एफडी तुड़वाने समेत अन्य बिंदुओं पर विश्वविद्यालय से दस्तावेज लिए हैं। एसटीएफ मुख्यालय की टीम ने बुधवार को विश्वविद्यालय में जाकर छानबीन की और दस्तावेज कब्जे में लिए।
एसटीएफ कुलपति विनय पाठक के करीबी अजय मिश्रा की कंपनी के बैंक खातों की पड़ताल कर रही है। बैंक खातों से कब कब कितनी राशि किसे स्थानांतरित की गई थी, इसका ब्यौरा निकलवाया जा रहा है। यही नहीं अजय के फोन की काल डिटेल भी निकलवाई गई है। इससे पता लगाया जा रहा है कि अजय किन किन लोगों के संपर्क में था। पुलिस ने अजय को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। माना जा रहा है कि पुलिस अजय को कस्टडी रिमांड पर लेकर कुछ लोगों से उसका आमना सामना कराएगी।