एक अंग्रेज भारत आया और एक गुरुकुल में भ्रमण करने चला गया।
जैसे उनकी आदत है, अपनी हर बात को सर्वश्रेष्ठ बताने की, और दूसरे को निम्न समझने की……..
उसी सोच से उसने एक गुरुकुल के विद्यार्थी से पूछा :
अंग्रेज – अंग्रेजी के alphabets सुनाओ।
भारतीय बच्चा – D J M K Y S T Q ……
अंग्रेज – अरे मूर्ख ! क्रम से बोलो ABCDEFGH , इस तरह से ।
भारतीय बच्चा – महाशय, पहले इस क्रम का विज्ञान तो बता दीजिए ।
अंग्रेज – मूर्ख बालक ! Alphabets के पीछे भी कोई विज्ञान होता है ?
भारतीय बच्चा – सुनिए ! देवनागरी वर्णक्रम ।
पहले स्वर अ आ इ ई जिनका उच्चारण स्वतंत्र रूप से हो सकता है।
फिर व्यंजन जिन्हें स्वर के बिना नहीं उच्चारित किया जा सकता है।
शब्द / ध्वनि कंठ, तालु, मूर्धा, दन्त से होती हुई ओष्ठ की ओर आती है।
तो पहले कंठव्य के पांच वर्ण, फिर तालव्य, मूर्धन्य, दन्तव्य और फिर ओष्ठव्य ।
उसके बाद दो स्थानों से निकलने वाली ध्वनि के अन्तस्थ और उष्मीय वर्ण फिर मिश्र व्यंजन।
यह तो केवल वर्णमाला का संक्षेप में विवरण है।
यदि संस्कृत में वर्ण का वर्गीकरण और वेदों का ध्वनि विज्ञान बताने लगे तो आपके मस्तिष्क के सारे तन्तु हिल जाएंगे !
अंग्रेज – इतना बड़ा विज्ञान केवल वर्ण और ध्वनि का !
तो फिर भारतीय इतनी महान संस्कृत और उससे निकली भारतीय भाषाओं को छोड़ कर इस निर्धन अंग्रेजी के पीछे क्यों पड़े हैं ?
भारतीय बच्चा – क्योंकि हमारी मतिभ्रष्ट हो गयी है जो गुलामी की मानसिकता से बाहर आना ही नहीं चाहते हैं !
साभार- सोशल मीडिया