सोना खरीदिये और जोड़िये भी मगर सावधानी से !
सही प्रमाणक न होने पर बेनामी माने जाने का खतरा
हम भारतीयों में सोने के प्रति बहुत आकर्षण है और हमारे घरों में अनुमानतः 25000 टन से अधिक सोना है शायद इसीलिये विश्व हमें सोने की चिड़िया मानता है। भारत का मध्यमवर्गीय समाज सालाना 56 प्रतिशत सोना खरीदता है मगर यह सारा लेन-देन एक कागज के टुकड़े पर होता है जिस पर “इस्टीमेट” लिखा होता है इसलिये इसे सही प्रमाण नहीं माना जा सकता है। केवल 3 फीसदी जीएसटी के चक्कर में यह घालमेल होता है। जबकि विक्रेता घुमा-फिरा कर यह रकम भी आपसे वसूल ही लेता है। आपको यह मालूम होना चाहिये कि 16 जून 2021 से भारत में हॉलमार्क अनिवार्य कर दिया गया है जो आपको हर प्रकार के नुकसान से बचाता है किन्तु अभी भी बहुत से विक्रेता हॉलमार्क की जगह अपना मार्का लगा कर बिक्री कर रहे हैं। हॉलमार्क जेवरात आप पूरे भारत में कहीं भी पूरी कीमत पर बेच सकते हैं जबकि “इस्टीमेट” पर खरीदा सोना आपको उसी सुनार को बेचना पड़ता है जिससे आपने खरीदा था और वह भी नकद की जगह कोई और जेवर खरीदने का ही आग्रह करता है। यह स्मरण रहे कि निर्धारित सीमा से अधिक बिना हिसाब का सोना बेनामी माना जा सकता है और आप को लेने के देने पड़ सकते हैं। आयकर की 1 दिसंबर 2016 की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार यदि आप हिसाब दे सकें तो सामर्थ्य के अनुसार जेवरात रख सकते हैं और सामान्यतया स्त्रीधन के रूप में विवाहित स्त्री के पास 500 ग्राम एवं अविवाहित स्त्री के पास 250 ग्राम तक सोने का हिसाब नहीं लिया जाता मगर पुरुष केवल 100 ग्राम तक ही रख सकते हैं। आशय यह कि निर्विवाद रूप से सोना निवेश का बेहतरीन माध्यम है किन्तु सदैव बिल पर ही खरीदी करें और यह आग्रह रखें कि जेवरात पर हॉलमार्क हो। आप उस हॉलमार्क को वेबसाईट पर जाकर चेक भी कर सकते हैं आपको उस जेवर की पूरी कथा ज्ञात हो जायेगी। एक बात और जानने जैसी है कि अब लगभग सभी बैंक आपके जेवरात की जमानत पर गोल्ड लोन देते हैं जिसकी ब्याज दर भी बहुत कम होती है। इसलिये जब भी कभी पैसे की अल्पकालिक जरूरत हो तो बेहिचक बैंक जायें और कर्ज उठायें। जब तक कर्ज चलेगा बैंक में आपका सोना सुरक्षित रहेगा और आपका सोना आपके काम भी आ सकेगा और आपको आपके जेवरात की औकात बैंक का वेल्युअर बता देगा।