फिल्मों को गंभीरता से लेने वाले दर्शक ही मेरी फिल्में देखें: शूजीत सरकार
फिल्म निर्माण का कार्य फुटबॉल की तरह है, इसमें टीम का हर सदस्य महत्वपूर्ण है: 53वें आईएफएफआई में आयोजित मास्टर क्लास
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 22नवंबर। फिल्म का निर्माण पेंटिंग या एक टेनिस के खेल की तरह नहीं है, जहां व्यक्तिगत योगदान या कड़ी मेहनत सफलता निर्धारित करती है। यह फुटबॉल या क्रिकेट की तरह है, जिसमें टीम के हर एक सदस्य का योगदान महत्वपूर्ण होता है। ये बातें गोवा के पणजी में आयोजित 53वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव से अलग एक मास्टर क्लास में साझा की गई। ‘फिल्म निर्माण एक टीम वर्क है’ विषयवस्तु पर आयोजित इस मास्टर क्लास में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता निर्देशक शूजीत सरकार और निर्देशक/पटकथा लेखक अद्वैत चंदन ने हिस्सा लिया।
विक्की डोनर, पिंक, सरदार उधम जैसी कई प्रशंसित फिल्मों के निर्देशक शूजीत सरकार ने इस सत्र की शुरुआत में कहा कि वे अपने कलाकारों और टीम को चुनते समय लोगों की विशेषज्ञता की जगह उन्हें प्राथमिकता देंगे, जो उनको समझते हैं। उन्होंने आगे कहा, “कोई जिन लोगों के साथ काम कर रहे हैं, उन्हें उन लोगों के बारे में सचेत रहना होगा। इसमें सबसे अहम लेखक और निर्देशक के बीच की बातचीत है। मेरा जुनून फुटबॉल है। मुझे फिल्म निर्माण से अधिक फुटबॉल पसंद है। एक टीम के रूप में फिल्म निर्माण के लिए काम करने के दौरान फुटबॉल में मेरा अनुभव काम आता है।”
लाल सिंह चड्ढा और सीक्रेट सुपरस्टार के निदेशक अद्वैत चंदन ने टीम वर्क के इस विचार को मजबूती प्रदान की। उन्होंने कहा कि वे कलाकारों और टीम का चयन के दौरान कमरे में सबसे बेवकूफ व्यक्ति बनना चाहेंगे। अद्वैत चंदन ने कहा, “मुझे अपनी टीम में ऐसे लोगों का होना पसंद है, जिन्हें मैं देखता रहा हूं, क्योंकि मैं फिल्म निर्माण में बहुत अधिक अनुभवी नहीं हूं।”
शूजीत सरकार ने फिल्म निर्माण में होने वाली निर्देशक और अभिनेता की बातचीत के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि एक अभिनेता के साथ संवाद करते समय सबसे महत्वपूर्ण बात उनका आईक्यू स्तर है। शूजीत सरकार ने कहा, “कुछ कलाकार अभिनय में अच्छे होते हैं, लेकिन उनका आईक्यू का स्तर कम होता है। उनमें से कुछ का आईक्यू स्तर इतना अधिक होता है कि पटकथा के बारे में उनके सवालों का जवाब देना हमारे लिए मुश्किल हो जाता है। विभिन्न अभिनेताओं पर अलग-अलग तरीकों को लागू करने की जरूरत है, जिससे पटकथा और सिनेमा की सोच के साथ न्याय किया जा सके। आपको अपनी सोच को मूर्त रूप देने के लिए दृश्य दर दृश्य, पटकथा दर पटकथा जाना होगा।”
अद्वैत ने इस विषय पर अपनी बात रखते हुए कहा कि एक्टर्स के साथ काम करना बेहद अलग तरह का अनुभव होता है क्योंकि सभी अलग अलग प्रतिभाओं से भरे होते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई डायरेक्टर अपने अभिनेताओं और क्रू मेंबर्स से सही में प्यार करता है तो वह टीम की खामियों में सुधार करता हुआ आगे बढ़ता है। उन्होंने अच्छा क्रू पाने की तुलना अच्छा पार्टनर पाने से की। उन्होंने आगे कहा, “फिल्म एक शादी की तरह है। आपको अपने क्रू पार्टनर के साथ सम्मान और प्यार से पेश आना होता है। कभी आपको उनका साथ मिलेगा तो कभी-कभी आप अलग हो जाएंगे। आप सहमत होंगे, असहमत होंगे, बहस करेंगे और लड़ेंगे भी। लेकिन आप या तो दूसरे व्यक्ति को राजी कर लेंगे या खुद को राजी कर लेंगे।”
स्क्रिप्ट राइटिंग प्रक्रिया में लेखक के ब्लॉक को ‘अनब्लॉक’ करने के टिप्स साझा करते हुए, शूजीत ने कहा कि निर्देशक और लेखक को बातचीत करने और इसे प्राप्त करने के लिए स्क्रिप्ट के बाहर भी लीक से हटकर बात करने और चर्चा करने में बहुत समय बिताने की आवश्यकता होती है। आमिर खान से उनकी सीख पर सवाल का जवाब देते हुए, अद्वैत चंदन ने कहा कि आमिर सचमुच एक फिल्म स्कूल है जहां से नए फिल्म निर्माताओं को बहुत कुछ सीखने को मिलता है। उन्होंने यह भी कहा कि “आमिर बहुत खुले और ग्रहणशील हैं। वह वास्तव में अपनी टीम और उनकी प्रतिक्रिया को सुनते हैं”।
निर्देशकों ने फिल्मों की टेस्ट स्क्रीनिंग के विचार पर विपरीत विचार साझा किए। जबकि अद्वैत ने कहा कि फिल्मों के बारे में दर्शकों से प्रतिक्रिया लेना अच्छा है, शूजीत ने कहा कि वे इस विचार के पूरी तरह से खिलाफ हैं। उन्होंने कहा, “दर्शक मेरी फिल्म की आखिरी चीज है। मेरे लिए महत्वपूर्ण बात यह है कि मेरे पास जो कहानी है उसमें एक विजन है। मैंने जो किया है या बनाने का प्रयास किया है, उसके लिए मुझसे बेहतर कोई जज नहीं है”। उन्होंने आगे कहा कि फिल्मों को गंभीरता से लेने वाले दर्शक ही मेरी फिल्में देखें।
शूजीत सरकार ने अगली फिल्म को लेकर लोगों की उम्मीदों से बढ़ते दबाव की धारणा को भी खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, “दबाव न तो लोगों से है, न ही इंडस्ट्री से, बल्कि खुद से है। मैंने कुछ बुरी फिल्में बनाईं। मैंने लाखों गलतियाँ की थीं। फिल्म दर फिल्म, मैं इन गलतियों को सुधारने की पूरी कोशिश करता हूं”। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि एक निर्माता का काम अधिक पैसा बनाने के लिए फिल्मों में निवेश करना नहीं है, बल्कि फिल्म निर्माण की प्रक्रिया में रचनात्मक रूप से निवेश करना है।
बतौर फिल्म निर्माता विभिन्न क्षेत्र को तलाशने के सवाल पर अद्वैत ने जवाब दिया कि वह विभिन्न क्षेत्र के हिसाब से नहीं, बल्कि कहानी और भावना के आधार पर आगे बढ़ते हैं। इस सत्र का संचालन फिल्म पत्रकार हिमेश मांकड़ ने किया।