आफ़ताब के ”दृश्यम” पर भारी पड़ा पुलिस का ”सम्मोहन”, शातिर से ऐसे उगलवाये क़त्ल के राज

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली ,27 नवंबर।श्रद्धा के क़त्ल के आरोपी आफ़ताब ने पुलिस से बचने के लिए एक कहानी रची थी, उसको पता था कि एक ना एक दिन वो पकड़ा जाएगा और इसी लिए उसने पुलिस से बचने के लिए एक ऐसी कहानी रची जिसको सुनाकर वो पुलिस को 14 दिन तक उलझा सके. शुरुआत में वो पुलिस को बताता रहा कि श्रद्धा 22 मई को उसको छोड़कर कहीं चली गई है. लेकिन जब पुलिस ने टेक्निकल एविडेंस दिखाकर आफ़ताब को बताया कि वो झूठ बोल रहा है तो उसने बताया कि कैसे उसने गुस्से में श्रद्धा का मर्डर कर दिया. जिसके बाद उसने अपनी और श्रद्धा की एक ऐसी प्रेम कहानी सुनाई जिसमे उसने खुदको बेचारा और बेबस साबित करने की कोशिश की.

शुरुआत में पुलिस को पता था कि छह महीने पुराने इस केस में खुद से सबूत जुटाना उसके लिए टेढ़ी खीर साबित होगा, लिहाज़ा पुलिस ने आफ़ताब की दृश्यम वाली कहानी को तोड़ने के लिए सम्मोहन का सहारा लेने का फैसला किया. सूत्रों के मुताबिक दिल्ली पुलिस ने आफ़ताब के सीने में दफ़न राज़ को उगलवाने के लिए उसे पूरी तरह अपने वश में करने का फैसला लिया और ये जिम्मेदारी सौंपी गई इस केस के जांच अधिकारी इंस्पेक्टर राम सिंह पर, राम सिंह ने गिरफ्तारी के बाद से ही आफ़ताब का पूरा ख्याल रखना शुरू कर दिया, बिना आफ़ताब पर कोई सख्ती किए आफ़ताब जो भी खाने को मांगता उसे दिया जाने लगा.

अपने ऊपर पुलिस का भरोसा होता देख आफ़ताब जांच अधिकारी को सारी बात खुलकर बताने लगा. पुलिस ने आफ़ताब को भरोसा दिलाया कि वो उसको इस केस में बचा सकती है बशर्ते वो बता दे कि उसने श्रद्धा के लाश के टुकड़ो को कहां फेंका है. अब आफ़ताब पूरी तरह पुलिस के सम्मोहन में जकड़ चुका था और उसे जांच अधिकारी पर पूरा भरोसा हो गया था लिहाज़ा वो पुलिस को हर उस जगह पर लेकर गया जहां उसने लाश के टुकड़ो को ठिकाने लगाया था. पुलिस ने उसकी निशानदेही पर अलग अलग जगहों से 18 से ज्यादा हड्डियां बरामद की और उन्हें CFSL जांच के लिए भेज, आफ़ताब ने पुलिस को बताया कि उसने लाश काटने में इस्तेमाल आरी गुरुग्राम के जंगलों में फेंकी थी लेकिन ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद अभी तक आला ए क़त्ल नहीं मिला है.

पॉलीग्राफी और नार्को टेस्ट के लिए आफ़ताब की हामी भरवाना भी था उसी सम्मोहन का हिस्सा…

सूत्रों के मुताबिक जब पुलिस ने आफ़ताब का पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट करवाने का फैसला किया और उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती थी टेस्ट के लिए आफ़ताब को राज़ी करने की, लिहाज़ा यहां पर भी जांच अधिकारी पर आफ़ताब का अटूट भरोसा काम आया और उसने जांच अधिकारी के कहने पर पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट करवाने के लिए हामी भर दी. आफ़ताब अगर चाहता तो वो कोर्ट के सामने पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट करवाने से मना भी कर सकता था, जिसके बाद पुलिस चाहकर भी उसका पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट नहीं करवा सकती थी लेकिन आफ़ताब खुद नहीं जानता था कि जिस पुलिस को वो दृश्यम की तर्ज पर अपनी कहानी सुना कर गुमराह करने की कोशिश कर रहा था. पुलिस उससे एक कदम आगे चलकर उसको अपनी सम्मोहन की ट्रिक से पूरी तरह काबू कर चुकी थी.

पुलिस ने आफ़ताब का पॉलीग्राफ टेस्ट करवाने के बाद उसका नार्को टेस्ट करवाने की तैयारी कर रही है. फिलहाल आफ़ताब को 14 दिन की रिमांड खत्म होने के बाद 13 दिन की न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल की जेल नम्बर चार में भेज दिया है.

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