फिरोज़ बख्त अहमद।
दुनिया के पहले और तीसरे सबसे बड़े मुस्लिम देश जहां दुनिया की एक चौथाई मुस्लिम आबादी रहती हैं, इन दोनों देशों के इस्लामिक धर्मगुरु, उदारवादी इस्लाम के रोडमैप पर चर्चा करेंगे।
इस्लामिक दुनिया को इससे बड़ा कूटनीतिक संदेश क्या भेजा जा सकता है’ जब विश्व का सबसे बड़ा मुस्लिम राष्ट्र इंडोनेशिया दुनिया के तीसरे सबसे बड़े मुस्लिम राष्ट्र भारत के साथ धार्मिक सहयोग कर रहा है। जिससे कि इस्लाम (Islam) की दृष्टि के लिए एक रोडमैप तैयार किया जा सके, जो दुनिया में टकराव के सोर्स के बजाय शांति और सद्भाव का सोर्स होना चाहिए। दोनों देशों के सरकारों से समर्थित, इस पहल में 29 नवंबर को नई दिल्ली में दोनों देशों के उलेमा एक साथ आएंगे और इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे कि इस रोडमैप तक कैसे पहुंचा जाए।
इंडोनेशिया के टॉप मंत्री डॉ. मोहम्मद महफुद, जो देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एनएसए के रूप में भी काम करते हैं, उनके प्लान और उनके भारतीय समकक्ष अजीत डोभाल के संचालन में, दिन भर चलने वाले कार्यक्रम में दोनों देशों के शीर्ष इस्लामिक धर्मगुरु इस्लाम में समानता, निरंतरता और परिवर्तन पर बातचीत करेंगे, जिसमें कट्टरता, दुष्प्रचार और प्रचार पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। एक शीर्ष सूत्र ने बताया, “इस कार्यक्रम का विचार इन संबंधों पर कुछ रचनात्मक कार्य करने और भविष्य में इसे विकसित और पोषित करने का है।”
भारत की ओर से भाग लेने वाले इस्लामिक धर्मगुरुओं में जमीयत-ए-उलेमा-ए-हिंद, मरकजी अहल-ए-हदीस, मुस्लिम छात्र संगठन, शाही आसफी मस्जिद (लखनऊ) और कुछ बोहरा समुदाय के प्रतिनिधि शामिल होंगे। वहीं इंडोनेशिया की ओर से महफुद उलेमा, उच्च अधिकारियों के 24-सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं, जो इस विषय पर अपने वैश्विक दृष्टिकोण को रखेंगे। इस कार्यक्रम को भारत इस्लामिक कल्चरल सेंटर को-ऑर्डिनेट कर रहा है। इसके साथ ही अजीत डोभाल और डॉ. मोहम्मद महफुद दोनों उद्घाटन और समापन सत्र के दौरान कार्यक्रम में मौजूद लोगों को संबोधित करेंगे।
एक सोर्स ने कहा कि, उदाहरण के लिए संयुक्त अरब अमीरात जैसे अन्य मुस्लिम राष्ट्रों के साथ भारत के समान राजनयिक डायलॉग हैं, लेकिन इंडोनेशिया हमारी तरह ही एक बहु-जातीय, बहुसांस्कृतिक, बहु-धार्मिक संवैधानिक लोकतंत्र है। जब कुछ प्रतिगामी प्रभावों की बात आती है, तो दोनों देश समान मुद्दों का सामना करते हुए, हमने इस संवाद के बारे में सोचा, जो कि एक अच्छा विचार होगा। कार्यक्रम में ‘भारत और इंडोनेशिया में कट्टरता और उग्रवाद के घातक प्रभावों का मुकाबला कैसे करें” इस पर एक पूरा सेशन होने वाला है। सोर्स ने आगे कहा, “दोनों देशों में हजारों साल पुरानी गैर-अरब प्रथा से अधिक इस्लाम को मानने वाले हैं, जो हिंदू धर्म से प्रभावित संबंधित स्थानीय संस्कृतियों में घुली हुई बहुत ही समकालिक संस्कृति के साथ रहते हैं। उस समन्वयवाद और परिणाम सद्भाव की ओर बढ़ने वाली वैश्विक दृष्टि को मजबूत करने की आवश्यकता है। यह उसी दिशा में एक कदम है।”
बैठक के बाद, एक संयुक्त बयान जारी किया जाएगा, जिसमें दुनिया के लिए विविधता में एकता, कानून के शासन, बहुभाषी, बहुधर्मी और बहुधार्मिक सह-अस्तित्व जैसे मुद्दों पर जोर देने की उम्मीद है। दोनों पक्षों का इरादा डायलॉग को संस्थागत (institutionalize) करने और आगे बढ़ने वाले सामाजिक समूहों की भागीदारी के साथ इसे व्यापक आधार देने का है।
इंडोनेशिया के बाली में 17वें जी20 शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया। बाली में जी20 के 17वें शिखर सम्मेलन में भारत को इसकी कमान सौंपी गई है। बता दें, आज समापन सत्र में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता भारत को दे दी है। 1 दिसंबर से एक साल के लिए भारत जी20 शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता करेगा। भारत अपने जी20 के एजेंडे को आगे लेकर जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे गर्व की बात बताया।
बाली में जी20 की अध्यक्षता मिलने पर पीएम मोदी ने कहा, “G20 की अध्यक्षता हर भारतीय के लिए गर्व की बात है। हम अपने विभिन्न शहरों और राज्यों में बैठकें आयोजित करेंगे। हमारे अतिथियों को भारत की अद्भुदता, विविधता, समावेशी परंपराओं और सांस्कृतिक समृद्धि का पूरा अनुभव मिलेगा।”
आगे उन्होंने कहा, “भारत G20 का जिम्मा ऐसे समय में ले रहा है, जब विश्व जियो पॉलिटिकल तनावों, आर्थिक मंदी और ऊर्जा की बढ़ी हुई कीमतों और महामारी के दुष्प्रभावों से एक साथ जूझ रहा है। ऐसे समय विश्व G20 के तरफ आशा की नजर से देख रहा है।”
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “मैं आश्वासन देना चाहता हूं कि भारत की G-20 अध्यक्षता समावेशी, महत्वाकांक्षी, निर्णायक और क्रिया-उन्मुख होगी। हमारा प्रयत्न रहेगा की G-20 नए विचारों की परिकल्पना और सामूहिक एक्शन को गति देने के लिए एक ग्लोबल प्राइम मूवर की तरह काम करेगा।”
पीएम मोदी अक्सर महिला सशक्तिकरण, उन्हें साथ लेकर चलने, उन्हें आगे बढ़ाने और अवसर देने की बात करते हैं। जी20 शिखर सम्मेलन में भी पीएम मोदी ने इस मुद्दे को आगे रखा और कहा, “वैश्विक विकास महिलाओं की भागीदारी के बिना संभव नहीं है। हमें अपने G-20 एजेंडा में महिलाओं के नेतृत्व में विकास को प्राथमिकता देनी होगी।”