भारत संयुक्त अरब अमीरात के साथ अपने अंतरिक्ष सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का इच्छुक:केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 5दिसंबर। केंद्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में एक प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी बताते हुए यह दोहराया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत अरब अमीरात (यूएई) के साथ अपने अंतरिक्ष सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का इच्छुक है।
यूएई शिखर सम्मेलन, “अबू धाबी स्पेस डिबेट” के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद की गरिमामयी उपस्थिति में उन्हें और यूएई के लोगों को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की ओर से हार्दिक बधाई दी।
डॉ. जितेंद्र सिंह दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन “अबूधाबी स्पेस डिबेट” में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में आधिकारिक भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। उद्घाटन समारोह में यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान और इजराइल के राष्ट्रपति इसहाक हर्जोग के अलावा अनेक देशों के राजनयिक शामिल हुए।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के लोगों की ओर से इस महान देश के गठन के 51 साल पूरे होने के समारोह के अवसर पर संयुक्त अरब अमीरात के लोगों को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस वर्ष संयुक्त अरब अमीरात की एक और प्रशंसनीय उपलब्धि में कई स्वर्णिम मील के पत्थर के साथ-साथ अंतरिक्ष ओडिसी की रजत जयंती का पूरा होना भी शामिल है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत और संयुक्त अरब अमीरात दोनों देशों के नेताओं के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र का विकास एक प्राथमिकता वाला क्षेत्र है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने अपनी अंतरिक्ष यात्रा सात दशक पहले छोटे स्तर पर शुरू की थी और आज उसे एक अग्रणी अंतरिक्ष शक्ति माना जाता है। उन्होंने कहा है कि भारत की यात्रा का मुख्य आकर्षण नेताओं की प्रतिबद्धता से निर्देशित वैज्ञानिकों के समर्पण और कड़ी मेहनत के माध्यम से स्वदेशी विकास पर जोर देना रहा है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत के स्वदेशी रूप से विकसित अंतरिक्ष क्षेत्र और संयुक्त अरब अमीरात के तेजी से विकसित अंतरिक्ष क्षेत्र में बहुत अधिक सम्पूरकता है जिसका पूरा लाभ उठाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगर हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि अंतरिक्ष हमारी साझा मानवता की सेवा के लिए एक क्षेत्र बना रहे, तो अंतरिक्ष क्षेत्र के भविष्य के बारे में चर्चा और विचार-विमर्श करने के लिए सभी हितधारकों को एक मंच पर लाना महत्वपूर्ण है और इस संबंध में, इस मंच में अंतरिक्ष क्षेत्र के भविष्य को आकार देने की क्षमता है।
उन्होंने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष उद्योग आज दो चीजों – विश्वसनीयता और अर्थव्यवस्था के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। भारत को अपने प्रमुख अंतरिक्ष प्रक्षेपण यान – पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल या पीएसएलवी के लिए दुनिया में अधिकतम सफलता अनुपात अर्जित होने पर गर्व है। कुछ सप्ताह पहले ही भारत के पीएसएलवी ने विकसित और विकासशील दोनों देशों के 36 उपग्रह लॉन्च किए है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि भारत के अंतरिक्ष उद्योगों की उपलब्धियों की सूची काफी लंबी है और उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अब तक 100 से अधिक उपग्रह लॉन्च किए हैं और जीसैट, पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों और अंतरिक्ष आधारित सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम के लिए व्यापक इन-हाउस उपग्रह निर्माण क्षमताएं हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने अपना जीपीएस भी विकसित कर लिया है, जिसे हम इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम या आईआरएनएसएस कहते हैं। 2013 में भारत के मार्स ऑर्बिटर मिशन के सफल लॉन्च के अलावा, भारत ने चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 के नाम से जाने जाने वाले अपने मिशन को चंद्रमा पर भेजने का दो बार प्रयास किया है। चंद्रमा के लिए तीसरा उपग्रह मिशन, चंद्रयान-3 अगले साल लॉन्च किया जाएगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, भारत के अन्य प्रमुख अंतरिक्ष कार्यक्रमों में मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र है जिसे हम भारत में गगनयान परियोजना कहते हैं। इसके तहत हम 2024 में अंतरिक्ष में अपनी पहली चालक दल की उड़ान भेजने की योजना बना रहे हैं।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि ‘वासुदेव कुटुम्बकम’ के भारतीय दर्शन जिसका अर्थ है – विश्व एक परिवार है, के आलोक में भारत सभी देशों तक पहुंचने और अंतरिक्ष क्षेत्र में सरकारों और निजी संस्थाओं के बीच घनिष्ठ सहयोग स्थापित करने के लिए अंतरिक्ष विकास के लाभों को साझा करना चाहता है। उन्होंने कहा कि इस विचार के साथ, भारत ने हाल ही में ऐतिहासिक सुधार किए हैं, जिससे हमारी सर्वोत्तम शोध क्षमता के साथ-साथ निजी क्षेत्र की भागीदारी का लाभ उठाने के लिए हम नीतिगत पहल की ओर अग्रसर हैं।
उन्होंने कहा कि भारत विदेशी सरकार और निजी क्षेत्र की संस्थाओं के प्रवेश की सुविधा के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र में स्टार्ट-अप्स के विकास को भी बढ़ावा दे रहा है। इस संबंध में, भारत ने भारतीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र या इन-स्पेस नामक एक समर्पित संगठन की स्थापना की है, जिसे अंतरिक्ष क्षेत्र में हमारी नई निजी संस्थाओं को संभालने के उद्देश्य से कार्य सौंपा गया है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्मरण किया कि महामहिम शेख मोहम्मद बिन जायद की कई अग्रणी पहलों में अबूधाबी स्पेस डिबेट भी शामिल है, जो अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए उनकी प्रतिबद्धता और दृष्टिकोण को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि यूएई के मंगल ग्रह की कक्षा में अंतरिक्ष मिशन भेजने के साथ इस दृष्टिकोण का अधिकांश हिस्सा पहले ही एक वास्तविकता बन गया है, जिससे यूएई ऐसा छठा देश बन गया है जो अंतरिक्ष क्षेत्र में अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर रहा है और यूएई भारत के अलावा, दूसरा ऐसा देश बन गया है, जिसने अपने पहले ही प्रयास में मंगल ग्रह की कक्षा को सफलतापूर्वक लॉन्च किया है।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने छह महीने के लिए चार अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजकर अगले साल अपने दूसरे मानव अंतरिक्ष मिशन की योजना बनाने के लिए यूएई को बधाई दी। निकट भविष्य में यूएई के मून मिशन राशिद रोवर की लॉन्चिंग और स्पेस फंड का निर्माण ऐसे मील के पत्थर हैं जो अंतरिक्ष क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए यूएई की प्रतिबद्धता और दृढ़ संकल्प को दर्शाते हैं।
उन्होंने इस जानकारी को साझा किया कि संयुक्त अरब अमीरात के साथ भारत की सक्रिय अंतरिक्ष साझेदारी 2017 से है, जब हमारे पीएसएलवी ने पर्यावरणीय अंतरिक्ष डेटा एकत्र करने के लिए संयुक्त अरब अमीरात का पहला नैनोसैटेलाइट – ‘नायिफ-1’ लॉन्च किया था।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने अंतरिक्ष व्यवसाय और प्रौद्योगिकी को सशक्त बनाने में सरकारों की भूमिका के निर्माण के लिए अबू धाबी अंतरिक्ष डिबेट की जोरदार सराहना की। उन्होंने कहा कि जलवायु के मुद्दों को हल करने, पर्यावरणीय प्रतिबद्धताओं के प्रति जवाबदेही लाना, अंतरिक्ष के संबंध में राजनीतिक विचार-विमर्श और निजी क्षेत्र की उपस्थिति और अंतरिक्ष नवाचार लोगों को प्रेरित करना, मानव जाति की सेवा करना, हमारे समय के लिए बहुत प्रासंगिक हैं और आंखें खोलने वाले विषय हैं, जिन्हें हल करने के लिए, अंतरिक्ष क्षेत्र की भूमिका के बारे में एडीएसडी में विचार-विमर्श करने की सूची में शामिल किया गया है। इसके अलावा, इसमें विगत में अंतरिक्ष क्षेत्र में की गई किसी अन्य पहल को भी शामिल करना है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि अबू धाबी अंतरिक्ष डिबेट का आने वाले वर्षों में कद बढ़ेगा और अंतरिक्ष से संबंधित मामलों में चर्चा करने के लिए एक पूर्व-प्रतिष्ठित मंच बन जाएगी और भारत-यूएई अंतरिक्ष सहयोग को उच्च स्थानिक कक्षा में ले जाएगी। अंत में, उन्होंने एक दिसंबर को भारत द्वारा जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण करने का उल्लेख करते हुए एक बार फिर जी-20 शिखर सम्मेलन और जी-20 बैठकों में संयुक्त अरब अमीरात का स्वागत किया।