म्यांमार के मुद्दे पर UN में रूस और चीन के साथ खड़ा हुआ भारत, जानें पूरा मामला?

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 23दिसंबर। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में म्यांमार को लेकर हुई वोटिंग से भारत ने दूरी बना ली. म्यांमार में जारी सैन्य जुंटा की हिंसा को तत्काल प्रभाव से रोकने के लिए सुरक्षा परिषद में यह प्रस्ताव पेश किया गया था. इस प्रस्ताव में म्यांमार में जारी हिंसा को रोकने के साथ आंग सान सू की सहित राजनीतिक कैदियों को रिहा करने की भी मांग की गई थी.

15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में बुधवार को इस प्रस्ताव को पेश किया गया था. इस प्रस्ताव के पक्ष में 12 देशों ने वोटिंग की जबकि भारत, चीन और रूस वोटिंग से नदारद रहा.

बीते 74 सालों में म्यांमार को लेकर सुरक्षा परिषद में यह दूसरा प्रस्ताव लाया गया था. इससे पहले 1948 में म्यांमार की स्वतंत्रता को लेकर सुरक्षा परिषद में पहला प्रस्ताव पेश किया गया था. उस समय म्यांमार को बर्मा के नाम से जाना जाता था.

संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत मानता है कि म्यांमार की जटिल स्थिति को धैर्य से सुलझाया जाना चाहिए. इसके अलावा किसी अन्य तरीके से इस मसले का समाधान नहीं होगा क्योंकि अन्य तरीके शांति और स्थिरता को बाधित करने वाले हैं.

स्थाई समाधान ढूंढने की जरूरत

उन्होंने कहा, मौजूदा परिस्थितियों को लेकर हमारा मानना है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का यह प्रस्ताव सभी पक्षों को एक समावेशी राजनीतिक संवाद को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करने के बजाए असमंजस की स्थिति में डाल सकता है. उन्होंने कहा कि भारत सभी पक्षों से आह्वान करता है कि वह तुरंत दुश्मनी को खत्म करें और लोकतंत्र की बहाली के लिए जल्द से जल्द एक समावेशी राजनीतिक संवाद शुरू करें.

उन्होंने जोर देकर कहा कि म्यांमार को सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा करना चाहिए और राजनीतिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने देना चाहिए.

संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को इस संवाद के लिए सभी पक्षों की मदद करनी चाहिए ताकि आपातकाल की इस स्थिति को खत्म किया जा सके और म्यांमार में लोकतंत्र की बहाली हो पाए.

उन्होंने कहा कि इसलिए यह जरूरी है कि सुरक्षा परिषद अपनी गतिविधियों पर ध्यान दें. म्यांमार में स्थाई समाधान के लिए रचनात्मक कूटनीति ही विकल्प है. म्यांमार में अस्थिरता का उसके पड़ोसी देशों पर सबसे अधिक असर पड़ेगा इसलिए जरूरी है कि इस मामले में सोच-समझकर और गंभीरता से विचार किया जाए.

म्यांमार की भलाई के लिए वोटिंग से बनाई दूरी

रुचिरा कंबोज ने इस प्रस्ताव पर वोट नहीं करने पर सफाई देते हुए कहा कि भारत ने लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को लेकर हमारी प्रतिबद्धता और म्यांमार के लोगों की भलाई के मद्देनजर इस प्रस्ताव से दूर रहने का फैसला किया.

उन्होंने कहा कि भारत की म्यांमार के साथ लगभग 1700 किलोमीटर लंबी सीमा है. इसके साथ ही म्यांमार के लोगों के साथ ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध भी हैं.

उन्होंने कहा कि म्यांमार में किसी भी तरह की अस्थिरता का भारत पर सीधे असर पड़ता है.म्यांमार के मौजूदा सकट को सुलझाने, वहां शांति, समृद्धि और स्थिरता को बनाए रखना हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में है. म्यांमार के लोगों की भलाई हमारी प्राथमिकता है और हम सब इसी प्रयास में लगे हुए हैं.

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