इंद्र वशिष्ठ
इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर दिल्ली पुलिस के दो हवलदारों ने दो अलग-अलग मामलों में दो लोगों से पचास लाख रुपए से ज्यादा मूल्य का 1 किलो ग्राम सोना लूट लिया. दोनों हवलदारों को गिरफ्तार कर लिया गया है.
लूट को वसूली में दर्ज किया-
लूट, अपहरण और जान से मारने की धमकी देने के संगीन अपराध के इस सनसनीखेज मामले में एयरपोर्ट थाने में तैनात हवलदार रोबिन सिंह और हवलदार गौरव कुमार के खिलाफ जबरन वसूली की हल्की धारा में मामला दर्ज किया गया है.
डीसीपी की भूमिका पर सवालिया निशान-
इससे डीसीपी रवि कुमार सिंह की भूमिका पर भी सवालिया निशान लग जाता है. क्योंकि ऐसे संगीन मामले में वरिष्ठ अफसरों के सलाह मशवरा/ मंजूरी के बिना एफआईआर दर्ज नही की जाती है.
कमिश्नर एक्शन लें-
पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा लुटेरे पुलिसकर्मियों के खिलाफ हल्की धारा में मामला दर्ज करने वाले अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करके अपनी काबलियत दिखाएं वरना यह माना जाएगा कि वह भी पूर्व कमिश्नरों की तरह आंकड़ों की बाजीगरी द्वारा अपराध कम दिखाने के लिए अपराध दर्ज न करना या हल्की धारा में दर्ज करने का परंपरागत तरीका अपना रहे हैं.
अपहरण कर सोना लूटा-
मस्कट में मजदूरी करने वाला राजस्थान का सलाउद्दीन 19-20 दिसंबर की रात को भारत वापस आया था. दिल्ली एयरपोर्ट से महिपाल पुर के लिए उसने टैक्सी ली, जिसमें में दो सवारी ओर थी.एयरपोर्ट रैम्प से उतरते ही एक पुलिस जिप्सी ने टैक्सी को रोका. सलाउद्दीन को टैक्सी से उतार कर जिप्सी में बिठाया और थाने ले गए. जिप्सी में दो पुलिसकर्मी सवार थे.
जंगल में पीटा, लूटा, धमकी दी-
पुलिसकर्मियों ने जिप्सी को थाने में खड़ा किया, सलाउद्दीन से सोने के बारे में पूछा तो उसने मना कर दिया, पुलिसकर्मी वहां से एक निजी गाड़ी में सलाउद्दीन को जंगल में ले गए. वहां पुलिसकर्मियों ने उसे मारा पीटा और उसके बैग में तीन कैप्सूल के आकार में रखा 600 ग्राम सोना लूट लिया. सलाउद्दीन के मोबाइल फोन का सिम तोड़ दिया. पुलिसकर्मियों ने सलाउद्दीन को कहा कि, किसी को बताया तो जान से मार देंगे.
पुलिसकर्मियों ने इसके बाद सलाउद्दीन को ढाई हजार रुपए दिए और एक ओला टैक्सी में बिठा दिया. सलाउद्दीन टैक्सी से धौला कुंआ गया और वहां से जयपुर चला गया. सलाउद्दीन को यह सोना मस्कट में उसके साथ काम करने वाले सिकंदर ने दिया था. सलाउद्दीन ने सिकंदर को फोन कर सारी बातें बताई. सिकंदर ने सलाउद्दीन को बताया कि सोना रामस्वरूप (सीकर ,राजस्थान)का था.
हवलदारों ने सोना वापस करने से मना किया-
रामस्वरूप ने फोन कर सलाउद्दीन को 21 दिसंबर को वापस दिल्ली बुलाया. रामस्वरूप को उसके परिचित पुलिसकर्मी शमशेर ने बताया कि सोना आईजीआई एयरपोर्ट थाने में तैनात हवलदार रोबिन सिंह और हवलदार गौरव कुमार ने लूटा है . रामस्वरूप ने दोनों हवलदारों से बात की, लेकिन उन्होंने सोना वापस देने से मना कर दिया.
इसके बाद सलाउद्दीन ने 24 दिसंबर को इस मामले की रिपोर्ट आईजीआई थाने में दर्ज कराई.
400 ग्राम सोना लूटा-
दूसरा मामला तेलंगाना के शेख कादर बाशी का है शेख भी 19-20 दिसंबर की रात दुबई से दिल्ली आया था उससे भी पुलिस जिप्सी में सवार दो पुलिस वालों ने 400 ग्राम सोना लूट लिया.
यह सोना शेख ने महिपाल पुर के आरिफ़ को देना था. आरिफ ने भी अपने तौर पर पता किया तो पाया कि हवलदार रोबिन सिंह और हवलदार गौरव कुमार ने सोना लूटा है.
वारदात 19-20 दिसंबर की रात में सवा तीन बजे से सुबह साढ़े छह बजे के बीच हुई.
हवलदार गिरफ्तार-
एयरपोर्ट थाने में तैनात हवलदार रोबिन सिंह और हवलदार गौरव कुमार के खिलाफ पुलिस ने जबरन वसूली की धारा में मामला दर्ज किया है. 25 दिसंबर को दोनों हवलदारों को गिरफ्तार कर लिया गया. दोनों को निलंबित भी कर दिया गया है.
पुलिस का कारनामा-
पुलिस ने लूट की दो अलग-अलग हुई वारदात को एक ही एफआईआर में दर्ज किया है. पुलिस ने एफआईआर में लिखा है कि सलाउद्दीन की एफआईआर दर्ज करते समय ही, दूसरा पीड़ित शेख कादर भी शिकायत दर्ज कराने आ गया.
कहानी बनाने में माहिर पुलिस –
वारदात 19-20 दिसंबर की रात में हुई.
वारदात के चार दिन बाद दोनों पीड़ित एक साथ और एक ही समय शिकायत दर्ज कराने थाने पहुंच जाएं, ऐसा इतेफ़ाक या कलाकारी पुलिस की कहानी में ही हो सकती है.
अपराध कम दिखाने का अभियान-
लूट जैसे संगीन अपराध को आंकड़ों के माध्यम से कम दिखाने के लिए ही पुलिस या तो अपराध दर्ज नही करती या हल्की धारा में दर्ज करती है. जैसा इस मामले में किया गया है. पुलिस वालों ने पीड़ित को जबरन रोका, टैक्सी से उतार कर पहले जिप्सी में अगवा किया, फिर दूसरी गाड़ी में अगवा करके जंगल में ले गए. पीड़ित को पीटा, सोना लूटा और जान से मारने की धमकी दे कर छोड़ दिया. लेकिन पुलिस ने लूट, अपहरण, जबरन रोकने और जान से मारने की धमकी देने आदि की धारा ही नहीं लगाई.
अफसरों की भूमिका पर सवाल-
हल्की धारा में मामला दर्ज करके एक तरह से लुटेरे पुलिसकर्मियों की मदद करने का अफसरों ने भी अपराध किया है.
जितना दिमाग और मेहनत पुलिस अपराध कम दिखाने और कहानी बनाने में लगाती है अगर उसकी बजाए ईमानदारी से एफआईआर ही दर्ज करने लगे तो अपराध और अपराधियों पर नियंत्रण लग सकता हैं.
डीसीपी ने फोन रिसीव नहीं किया-
इस मामले में पुलिस का पक्ष जानने के लिए एयरपोर्ट के डीसीपी रवि कुमार सिंह को मोबाइल फोन पर संपर्क की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया.
एसएचओ की भूमिका-
दिलचस्प बात यह है कि दोनों मामलों में पीड़ितों ने अपने स्तर पर लुटेरे पुलिसकर्मियों का पता लगा लिया.
क्या एस एच ओ को अपने मातहत हवलदारों की गतिविधियों और चरित्र के बारे में पूरी जानकारी/ निगरानी नहीं रखना चाहिए थी ?
इस मामले में एसएचओ की भूमिका पर भी सवालिया निशान लग जाता है.
एयरपोर्ट जांच की पोल खुल गई-
एयरपोर्ट पर कस्टम और अन्य एजेंसियों की जांच व्यवस्था की पोल इस मामले से खुल गई है.
दोनों यात्री एयरपोर्ट से सोना लेकर बाहर आ गए. इससे एयरपोर्ट पर जांच करने वाले अफसरों की भूमिका पर भी सवालिया निशान लग जाता है