आयकर योग्य आय नहीं होने पर भी आयकर रिटर्न भरना क्यों है जरूरी, आप भी जानिए

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 31दिसंबर। इनकम टैक्स रिटर्न भरने की भागमभाग अब अपने आखिरी पड़ाव पर पहुंच चुकी है. डेडलाइन 31 दिसंबर है. आप सुनते आ रहे हैं कि फाइलिंग से चूके तो 10 हजार रुपये तक जुर्माना लग सकता है, लेकिन लाखों लोग ऐसे भी हैं, जो हर साल इस कन्फ्यूजन में घिरे रहते हैं कि उन्हें इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करनी चाहिए या नहीं.

इनमें अधिकांश वे नौकरीपेशा लोग भी हैं, जिनकी सालाना सैलरी तो ढाई लाख रुपये से ज्यादा है, लेकिन कोई टैक्स देनदारी नहीं बनती, न ही कोई TDS कटता है. बहुत से लोग थोड़ा-बहुत टैक्स कटने के बाद इस डर से रिटर्न नहीं भरते कि कहीं किसी पचड़े में न फंस जाएं.

इस तरह की आपकी कई उलझनों को तो हम यहां सुलझाएंगे ही. साथ ही रिटर्न भरने के कुछ ऐसे फायदे भी बताएंगे, जिनके बिना सरकारी जुर्माना तो छोड़िए, आपको अपने लेवल पर भी कहीं ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है. वैसे आपको यह जानकर भी हैरानी होगी कि कुछ मामलों में ढाई लाख रुपये से कम इनकम पर भी रिटर्न भरना जरूरी होता है.

क्या कहता है आयकर कानून ?
वित्तवर्ष 2021-22 में अगर आपकी इनकम ढाई लाख रुपये से ज्यादा रही है, तो आपके लिए इनकम टैक्स रिटर्न भरना अनिवार्य है. 60 साल से ऊपर और 80 साल से कम उम्र के लोगों के लिए छूट की यह आय-सीमा 3 लाख रुपये है. 80 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों को 5 लाख रुपये तक सालाना इनकम पर रिटर्न भरने से छूट मिली हुई. लेकिन तीनों ही कैटेगरी में यह छूट कुछ शर्तों के साथ है.

2.5 लाख से कम आय पर भी रिटर्न क्यों ?
अगर आपकी सालाना इनकम ढाई लाख से कम है. लेकिन देश से बाहर कहीं भी कोई संपत्ति या निवेश है, तो आपको IT रिटर्न भरना ही होगा. भारत के बाहर किसी बैंक अकाउंट में अगर आप सिग्नेटरी हैं, यानी खाता आपका है या आपकी ओर से खुलवाया गया है तब भी.अगर किसी बैंक के करंट अकाउंट में आपके नाम 1 करोड़ रुपये से ज्यादा रकम जमा हुई है, तब भी रिटर्न भरना होगा. भले ही उससे कोई ब्याज नहीं आता या उस वित्त वर्ष में आपको कोई इनकम नहीं हुई हो.

इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने के फायदे के बारे में जान लीजिए
वित्त वर्ष में अगर आप या परिवार के किसी सदस्य की विदेश यात्रा पर 2 लाख रुपये से ज्यादा खर्च हुआ है तो भी आप पर रिटर्न भरने की जिम्मेदारी आती है. अगर किसी ने साल में 1 लाख रुपये से ज्यादा की बिजली खर्च कर डाली हो, तब भी उसकी कम सालाना इनकम मायने नहीं रखती और उसे रिटर्न दाखिल करना होगा.

करसलाहकार प्रतापसिंह कहते हैं इनकम न होते हुए भी आयकर कानून में कई ऐसे प्रावधान हैं, जहां आपको हर हाल में रिटर्न भरना है. मसलन, कोई कंपनी या फर्म चाहे उसकी इनकम कितनी भी कम क्यों न हो, उसे इनकम टैक्स रिटर्न भरना ही होता है. रिटर्न भरना सिर्फ मजबूरी ही नहीं होती, यह कई बार फायदे का सौदा साबित होता है.

2.5 लाख से ज्यादा आय, लेकिन टैक्स नहीं कटता तो ?
यही कन्फ्यूजन सबसे ज्यादा लोगों को होता है. अगर आपकी सालाना इनकम ढाई लाख रुपये से ज्यादा है. लेकिन कानूनी तौर पर मिली हुई छूट जैसे, सेक्शन 80C के तहत डेढ़ लाख रुपये तक के निवेश पर मिलने वाली कटौती आदि के बाद अगर आप पर कोई टैक्स देनदारी नहीं बनती, तब भी आपको रिटर्न भरना चाहिए. इसके अपने फायदे हैं-
पहला, अगर उस साल आपके बैंक एफडी पर टीडीएस कटा हो तो उसका रिफंड लेने के लिए रिटर्न भरना ही एक मात्र विकल्प है. अगर आप कोई व्यवसायी, कॉन्ट्रैक्टर या स्वरोजगार वाले व्यक्ति हैं और किसी भी दफ्तर या विभाग में टीडीएस कटा बैठे हैं, तो बिना रिटर्न भरे वाजिब रिफंड नहीं ले पाएंगे.

दूसरा, अगर आप किसी बैंक से लोन लेना चाहते हैं तो उसकी एलिजिबिलिटी आपकी इनकम से ही तय होती है और बैंक हमेशा इनकम टैक्स रिटर्न को तरजीह देता है. बड़े होम लोन के मामले में तो कुछ बैंक रिटर्न को ही इनकम प्रूफ मानकर चलते हैं.

तीसरा, कई देश वीजा देने के मामले में आपसे इनकम टैक्स रिटर्न मांगते हैं और वे यह दलील नहीं स्वीकार करेंगे कि आपने रिटर्न इसलिए नहींं भरा क्योंकि आपकी टैक्स लाइबिलिटी नहीं बनती. पासपोर्ट ऑफिस और कुछ अन्य कामों में इनकम प्रूफ ही नहीं एड्रेस प्रूफ के तौर पर भी रिटर्न की कॉपी मान्य होती है.

चौथा, आपको शेयर, म्यूचुअल फंड, प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री में नफा-नुकसान हुआ हो तो रिटर्न मिस करने से एक तो पुरानी रिटर्न्स से चली आ रही कैपिटल गेन या लॉस की चेन टूट जाएगी. और हो सकता है कि आप कोई बड़ा रिफंड या राहत चूक जाएं. किसी भी तरह के कैपिटल गेन या लॉस का एडजस्टमेंट बिना रिटर्न भरे संभव नहीं है.

पहले भरते थे, फिर इनकम बंद हो गई, अब क्या करें ?
आप लगातार कई वर्षों से इनकम टैक्स रिटर्न भरते आ रहे थे, लेकिन किसी वर्ष नौकरी छूट जाने या आय ढाई लाख से कम हो जाने के चलते रिटर्न नहीं भर पाए, तब आप मुश्किल में पड़ सकते हैं.

आपको हर हाल में रिटर्न का सिलसिला जारी रखना चाहिए, नहीं तो इनकम टैक्स विभाग की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी में आपके आने के चांसेज सबसे ज्यादा होंगे. जाहिर है आप पर कोई खास आंच नहीं आने वाली. लेकिन बेवजह परेशान तो होंगे ही. यह भी हो सकता है कि आने वाले साल आपको दूसरे स्रोतों से आय पर लाभ या नुकसान हो. तब भी आप कैपिटल गेन या लॉस को समायोजित नहीं कर पाएंगे.

टैक्स एक्सपर्ट सिंह सा कहते हैं‘ आयकर रिटर्न आपकी पहचान है. जो बहुत से कार्यों में अधिकृत दस्तावेज माना जाता है. आप लोन लेने जाएं तो बैंक भी कम से कम 3 साल के लगातार रिटर्न मांगते हैं. न सिर्फ लोन की रकम, बल्कि कई मायनों में ब्याज दरें भी आपकी आय से तय होती हैं. इसके अलावा भी कई मामलों में लगातार रिटर्न का रिकॉर्ड मेनटेन रखना जरूरी होता है.’

10 हजार का जुर्माना क्या है?
आज से तीन साल पहले तक रिटर्न में देरी या डेडलाइन चूकने पर कोई जुर्माना नहीं लगता था. लेकिन सरकार ने फाइनेंस एक्ट 2017 में संशोधन कर पेनाल्टी थोप दी. लेकिन डरिए मत. सभी लोगों पर एक सा जुर्माना नहीं लगता. अगर आपकी इनकम 5 लाख रुपये से कम है, तो रिटर्न में देरी पर आपको सिर्फ एक हजार रुपये जुर्माना देना होगा. जब रिटर्न की डेडलाइन 31 जुलाई या अगस्त हुआ करती थी, तब 31 दिसंबर तक रिटर्न भरने वालों पर 5 हजार रुपये जुर्माना तय था. 1 जनवरी से 31 मार्च के बीच भरने पर 10 हजार रुपये की पेनाल्टी थी. जानकारों का कहना है कि दिसंबर रिटर्न भरने पर 5 लाख से ऊपर इनकम वालों के लिए जुर्माने की राशि 5 हजार रुपये ही है. यही नहीं, देरी से रिटर्न के मामले में टैक्सेबल रकम पर 1% ब्याज का भी प्रावधान है.

साभार- प्रतापसिंह

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