गुस्ताखी माफ़ हरियाणा: हरियाणा “सरकार और प्रशासनिक अधिकारी”

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गुस्ताखी माफ़ हरियाणा: हरियाणा “सरकार और प्रशासनिक अधिकारी”

पवन कुमार बंसल

डी जी पी, प्रशांत अग्रवाल, आई जी, रोहतक ममता सिंह, गृह मंत्री विज, संदीप सिंह,  मनोहर लालऔर चंडीगढ़ पुलिस।
महिला कोच से मंत्री संदीप सिंह द्वारा छेड़छाड़ का मामला -सभी की भूमिका संदिग्ध। किसी की थोड़ी तो किसी की ज्यादा।
शुरुआत अनिल विज की भूमिका को लेकर।
विज अपने को गभर कहते हुए जनता को न्याय दिलाने के लम्बे -चौड़े दमगजे मारते है।

जनाब कह रहे है की डी जी पी अग्रवाल द्वारा गठित कमिटी केस की समानांतर जाँच नहीं करेगी बल्कि संदीप सिंह की शिकायत की जांच करेगी।

उनका कहना है की केस की जाँच तो चंडीगढ़ पुलिस जहा कोच ने मुकदमा दर्ज करवाया है ही करेगी।

जनाब विज साहिब आप छोटे -छोटे मामलों में तो रात बारह बजे भी जिले के पुलिस अधीक्षक को फ़ोन कर देते हो लेकिन जब शिकायत आपकी सरकार के मंत्री के खिलाफ हो तो आपकी पिंडी कांपने लगती है। जब चंडीगढ़ में आपराधिक मुकदमा दर्ज हो गया है तो आपके डी जी पी ,संदीप की किस शिकायत की जाँच करवाएंगे। मंत्री संदीप तो कह चुके है की में पाक साफ हूँ और यह आरोप मेरी छवि धूमिल करने की राजनीतिक साजिश है। तो क्या ममता सिंह कमिटी मंत्री के इन आरोपो की जाँच करेगी ?छेड़छाड़ की विक्टिम ने आपसे भी शिकायत करने के लिए सम्पर्क करने का प्रयास किया था। उसकी शिकायत की जांच के लिए तो कोई कमिटी गठित नहीं की गयी और आखिर चंडीगढ़ पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया।

“डी जी पी अग्रवाल” ममता सिंह कमिटी बना इतिहास रच दिया लेकिन इस मामले पर मीडिया से कन्नी काट रहे है। विक्टिम ने उनके पी ए को फ़ोन करके आपसे मिलने का आग्रह किया था जिसपर कोई कार्रवाई नहीं हुई लेकिन दोषी संदीप की कथित शिकायत को लेकर जनाब ने आनन – फानन में कमिटी गठित कर दी।

“ममता सिंह”  मैडम कह रही है की उन्हें नहीं पता की विक्टिम ने चंडीगढ़ पुलिस के पास कोई शिकायत दर्ज करवाई है। उन्हें तो डी जी पी के आदेश की कॉपी मिली है। कितनी मासूमियत है उनके बयान में। डिजिटल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सब जगह विक्टिम की चंडीगढ़ पुलिस को दी शिकायत की चर्चा हो रही है, लेकिन मैडम इससे अनजान है। मतलब मैडम को विक्टिम की शिकायत से कोई मतलब नहीं उन्हें तो संदीप सिंह की शिकायत की जांच करनी है।

संदीप सिंह की शिकायत की कॉपी सार्वजनिक क्यों नहीं की जा रही ?

जनाब कह रहे है की उन्होंने खेल महकमा चीफ मिनिस्टर को वापिस दे दिया है। मुझे समझ नहीं आ रहा। वे अभी मंत्री है। चीफ मिनिस्टर की सिफारिश पर गवर्नर मंत्री पद पर नियुक्ति करता है और बाद में चीफ मिनिस्टर उन्हें महकमे देता है। कोई मंत्री अपने मंत्री पद से इस्तीफ़ा तो चीफ मिनिस्टर को दे सकता है लेकिन कोई महकमा वापिस देने की बात तो समझ नहीं आ रही। चीफ मिनिस्टर तो किसी मंत्री से कोई महकमा वापिस ले सकता है।

अब मनोहर लाल जी… सारे प्रकरण में ‘मोनी बाबा ‘ बने हुए है।

अब चंडीगढ़ पुलिस…. विक्टिम की शिकायत पर छेड़छाड़ और धमकी देने आदि गंभीर धाराओं में संदीप के खिलाफ केस तो दर्ज कर लिया लेकिन उम्मीद करते है की वो इस मामले की जाँच बराला के बेटे के खिलाफ लगे छेड़छाड़ के आरोप की तरह नहीं करेगी बल्कि बिना किसी दवाब के निष्पक्ष जाँच करेगी।

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