द्वारा: श्री गुरमीत सिंह धलवान (अदभुत मीडिया)
शिकागो (इलिनॉय), 3 जनवरी। भारत के महावाणिज्य दूतावास, शिकागो ने 26 दिसंबर, 2022 को श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के शहीद पुत्रो के अद्वितीय बलिदानों के लिए श्रद्धांजलि अर्पित करने हेतु दूतावास में “वीर बाल दिवस” मनाया।
इस पवित्र कार्यक्रम में भारतीय-अमेरिकी समुदाय के 150 सदस्य शामिल हुए। वक्ताओं ने भारत की पहचान और विरासत को समृद्ध बनाने वाले पहलुओं को उजागर करने के लिए भारत सरकार का धन्यवाद किया।
बताते चलें कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 9 जनवरी 2022 को, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के दिन यह घोषणा की थी कि 26 दिसंबर 2022 से प्रत्येक वर्ष इस तिथि को को श्री गुरु गोबिंद सिंह के पुत्रों- साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह जी और बाबा फतेह सिंह जी की शहादत की स्मृति में ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। इसी पहल पर भारत ने अपना पहला ‘वीर बाल दिवस’ 26 दिसंबर को बड़े प्रेरक रूप से मनाया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि “वीर बाल दिवस” हमें यह स्मरण कराएगा कि जब अत्यधिक वीरता और बलिदान की बात आती है तब उम्र कोई मायने नहीं रखती है। प्रधानमंत्री ने वीर साहिबजादों, गुरुओं और माता गुज़री को कृतज्ञ श्रद्धांजलि अर्पित की।
श्री मोदी ने टिप्पणी की कि भारत की आने वाली पीढ़ियों का भविष्य उनके प्रेरणा स्रोत पर निर्भर करेगा। भरत, भक्त प्रह्लाद, नचिकेता और ध्रुव, बलराम, लव-कुश और बाल कृष्ण जैसे प्रेरक बच्चों के असंख्य उदाहरणों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक बहादुर बालक और बालिकाएं भारत के शौर्य का प्रतिबिंब रहे हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा कि “राष्ट्र प्रथम” की यह परंपरा हमारे लिए प्रेरणा पुंज है। किसी राष्ट्र के मूल्यों को तभी संरक्षित किया जा सकता है जब मौजूदा पीढ़ियों को अपनी भूमि के इतिहास की स्पष्टता ज्ञात हो। युवा पीढ़ी को हमेशा सीखने और प्रेरणा पाने के लिए एक रोल मॉडल की जरूरत होती हैं। देश आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास के गौरव को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने वीर साहिबजादों के जीवन के संदेश को संकल्प के साथ दुनिया तक पहुंचाने की जरूरत को भी दोहराया।
महावाणिज्यदूत ने अपनी टिप्पणी में साहिबज़ादे बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की शहादत को याद करने के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि ऐसे धर्म और सम्मान की रक्षा एवं अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले कितने ही ओजपूर्ण संघर्षों की कहानियां इतिहास में दबी पड़ी हैं जिन्हें हमें अपनी आगे की पीढ़ियों को प्रेरणा श्रोत के रूप में सौंपना होगा।
उन्होंने बताया कि आजादी से बहुत पहले गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर ने भारत के बालवीरों की वीरगाथाओं को स्कूली बच्चों तक पहुंचाने के लिए इस विषय पर अनुपम कविताएं लिखी हैं।
समागम में बोलने वाले अन्य वक्ताओं में बाबा दलजीत सिंह, श्री राजिंदरबीर सिंह मागो, धनु अकादमी पुरस्कार विजेता डॉ. आत्मजीत सिंह, डॉ. हरजिंदर सिंह खैरा, सुश्री पूर्णिमा नाथ, श्री बलिहार सिंह शामिल थे। कार्यक्रम स्थल पर भारत सरकार द्वारा निर्मित वीर बाल दिवस पर एक डिजिटल प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम के अंत में संचालन कर रहे कौंसल रंजीत सिंह ने उपस्थित अतिथियों एवं मीडिया सहयोगियों श्रीमती वंदना झिंगन (टीवी एशिया)और श्री गुरमीत सिंह धलवान (अदभुत मीडिया) को कार्यक्रम कवरेज के लिए धन्यवाद दिया।