समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 21 जनवरी। दुनिया की आबादी 8 अरब पार कर चुकी है. इनमें से 5.3 अरब इंटरनेट यूजर्स हैं. सोशल मीडिया यूजर्स की संख्या सबसे ज्यादा चीन में है. लेकिन, पूरी दुनिया में सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा टाइम बिताते हैं हम इंडिया वाले. अपनी भूख, प्यास, नींद और रिश्तों को दरकिनार कर हमने कम से कम इस मामले में अमेरिका और चीन को पीछे छोड़ दिया है.
रिसर्च फर्म ‘रेडसियर’ के मुताबिक इंडियन यूजर्स हर दिन औसतन 7.3 घंटे अपने स्मार्टफोन पर नजरें गड़ाए रहते हैं. इसमें से अधिकतर टाइम वे सोशल मीडिया पर बिताते हैं. जबकि, अमेरिकी यूजर्स का औसतन स्क्रीन टाइम 7.1 घंटे और चीनी यूजर्स का 5.3 घंटे है. सोशल मीडिया ऐप्स भी इंडियन यूजर्स ही सबसे ज्यादा यूज करते हैं. अमेरिका और ब्रिटेन में एक इंसान के औसतन 7 सोशल मीडिया अकाउंट्स हैं, जबकि एक भारतीय कम से कम 11 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मौजूद है.
रिसर्च बताती हैं कि स्क्रीनटाइम जितना ज्यादा होता है, लोग सोशल मीडिया जितना ज्यादा यूज करते हैं, उनकी मेंटल हेल्थ उतनी ही ज्यादा खराब हो जाती है. वे एंग्जाइटी और डिप्रेशन के अलावा और कई गंभीर डिसऑडर्स के शिकार हो जाते हैं. ज्यादा स्क्रीनटाइम सोशल मीडिया की लत लगा देता है. रिसर्च जर्नल PubMed के मुताबिक 70% लोग बिस्तर पर जाने के बाद भी मोबाइल नहीं छोड़ते और सोशल मीडिया पर बिजी रहते हैं.
लैंसेट चाइल्ड एंड एडोलसेंट हेल्थ’ की स्टडी के मुताबिक सोशल मीडिया पर मौजूद लड़कों की तुलना में लड़कियों की मेंटल हेल्थ पर ज्यादा बुरा असर पड़ता है. वे ट्रोलर्स, साइबर बुलीइंग के अलावा सेक्शुअल एब्यूज की चपेट में ज्यादा आती हैं. यह उनकी नींद उड़ा देता है जिसके बाद वे मानसिक बीमारियों के जाल में फंसती जाती हैं.
जर्नल PubMed की रिपोर्ट के मुताबिक सोशल मीडिया पर ज्यादा एक्टिव होने की वजह से नींद पूरी नहीं होती, जिससे मेंटल हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है. व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार और भुलक्कड़ बन जाता है. साइबर बुलीइंग हालात को और बिगाड़ देती है. अफवाहें, निगेटिव कमेंट्स और गालियां यूजर्स के मन को चोट पहुंचाती हैं, जिसका असर गहरा होता है. प्यू रिसर्च के एक सर्वे के अनुसार करीब 60% यूजर्स ऑनलाइन एब्यूज का शिकार होते हैं.
साइकेट्रिस्ट डॉ. राजीव मेहता बताते हैं कि सोशल साइट्स पर बिजी रहने वालों की सामाजिक जिंदगी खत्म हो जाती है. आप घरवालों, दोस्तों से बात नहीं करते. आपसी रिश्ते खराब होते हैं. इमोशनल कनेक्शन खत्म होता है, जो नुकसानदेह है। रिश्तों में शेयरिंग, केयरिंग नहीं रहती. व्यक्ति का दायरा सीमित होता है और कुंठाएं बढ़ती हैं. यहां तक कि नए कपल भी सोशल साइट्स में इतने खोए रहते हैं कि उनकी पर्सनल लाइफ डिस्टर्ब हो जाती है, जो एक्सट्रा मैरिटल अफेयर की वजह बनता है. डॉ. मेहता कहते हैं कि मैं अपने दो पेशेंट्स का जिक्र करना चाहूंगा।।